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#उत्कल_धरा पर समण #दीक्षा प्रदान कर महातपस्वी ने रचा नव कीर्तिमान
-#बंगोमुण्डा की धरा पर जैन धर्म दीक्षा कार्यक्रम में उमड़ा आस्था का ज्वार
-केसिंगा की मुमुक्षु बनी #समणी_ओजस्वीप्रज्ञा, श्रीमुख दीक्षा ग्रहण कर साधना के पथ पर बढ़ाया कदम
03.03.2018 बगोमुण्डा, बलांगीर (#ओड़िशा):- जन-जन का कल्याण करने वाली ऐतिहासिक अहिंसा यात्रा लेकर निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम देदीप्यमान महासूर्य, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, महातपस्वी, अखंड परिव्राजक #आचार्य_श्री_महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ भारत की नहीं विदेशी धरती पर सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की अखंड अलख जागकर एक नित नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। कीर्तिधर महापुरुष का बढ़ता हुआ प्रत्येक चरण तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता तो प्रत्येक राज्य तथा प्रत्येक नगर का प्रवास एक स्वर्णिम इतिहास रच जाता है। अपनी इसी महान अहिंसा यात्रा के क्रम में उत्कल धरा को अपने ज्योतिचरण से ज्योतित करते हुए आचार्यश्री महाश्रमणजी पश्चिम ओड़िशा क्षेत्र के बगोमुण्डा में शनिवार को ओड़िशा की धरा पहली बार अपने श्रीमुख से समण दीक्षा प्रदान कर एक नवीन इतिहास का सृजन किया तो तेरापंथ के इतिहास में स्वतः एक नया कीर्तिमान स्थापित हो गया।
#बलांगीर जिले के बगोमुण्डा में दो दिवसीय प्रवास कर रहे आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में दीक्षा समारोह का समायोजन होना था। इसे लेकर सुबह से ही श्रद्धालुओं को मानों हुजूम उमड़ता चला आ रहा था। ओड़िशा के आसपास के क्षेत्रों के अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों से उपस्थित श्रद्धालुओं के आने का क्रम निरंतर जारी था। दीक्षा समारोह कार्यक्रम एक बजे से आरम्भ होना था। ओड़िशा में अभी से तेज गर्मी का अहसास के बावजूद भी लोगों का उत्साह अपने चरम पर था। लगभग निर्धारित समय पर आचार्यश्री पंचायत समिति डिग्री कालेज परिसर से संयम समवसरण के पंडाल में पधारे तो जयघोषों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। खुले क्षेत्र में बना विशाल पंडाल भी लोगों की विराट उपस्थिति के सामने नगण्य साबित हुआ। जैन-अजैन श्रद्धालु भी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनने को उपस्थित थे। प्रवचन स्थल में चारों ओर केवल जन-जन की दृष्टिगोचर हो रहे थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्यश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र से किया गया। इसके उपरान्त ‘जीवन में त्याग का महत्त्व’ विषय पर साध्वीवर्याजी का उद्बोधन हुआ। ‘दीक्षा क्यों’ विषय पर मुख्यनियोजिका का प्रेरक वक्तव्य हुआ तथा तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने दीक्षा प्रणाली के विषय में लोगों पावन अवगति प्रदान की।
इसके उपरान्त आचार्यश्री ने उपस्थित जनमेदिनी को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि प्रत्येक प्राणी की आत्मा अनंतकाल से इस संसार में विद्यमान है, ऐसा सिद्धान्त है। उपस्थित आत्माएं अनंत-अनंत बार जन्म ले चुकी हैं। दुनिया में जन्म, मरण, रोग तथा बुढ़ापा को दुःख माना गया है। इनके द्वारा प्राणी दुःख को प्राप्त कर सकता है। इन दुःखों से यदि पार है तो साधु बनकर साधना के माध्यम से आदमी इन दुःखों से छुटकारा प्राप्त कर सकता है और मोक्ष का भी वरण कर सकता है। आचार्यश्री ने लोगों को जैन धर्म, तेरापंथ धर्मसंघ का परिचय तथा जैन साधुचर्या की भी अवगति प्रदान की।
मंगल प्रवचन में उपरान्त दीक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत सर्वप्रथम मुमुक्षु चन्दनबाला द्वारा समण दीक्षा स्वीकार करने जा रही मुमुक्षु अंजली का परिचय प्रस्तुत किया गया। पारमार्थिक शिक्षण संस्था की ओर से श्री मोतीलाल जीरावला ने आज्ञा पत्र का वाचन किया। मुमुक्षु के पिता श्री हीराराम जैन ने आचार्यश्री को आज्ञा पत्र सौंपा तो आचार्यश्री ने अन्य परिजनों से मौखिक आज्ञा भी देने का आह्वान किया तो उपस्थित परिजनों ने सहर्ष आज्ञा प्रदान की। मुमुक्षु अंजली ने भी इस अवसर पर अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
तत्पश्चात् महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवान महावीर, तेरापंथ के आचार्यों का स्मरण-वंदन करते हुए अपने श्रीमुख से नमस्कार महामंत्र का उच्चारण करते हुए दीक्षा प्रदान करने का शुभारम्भ किया तो एक के बाद एक विभिन्न मंत्रों से अभिमंत्रित करते, सापेक्ष सावद्य योगों का त्याग कराते हुए आचार्यश्री ने मुमुक्षु अंजली को समण दीक्षा प्रदान की। इस प्रकार आचार्यश्री से दीक्षा ग्रहण करते ही मुमुक्षु अंजली का संसारपक्षीय परिवार से संबंध टूटा और धर्मसंघ के साथ संबंध जुट गया। आचार्यश्री ने आर्सवाणी द्वारा अतीत की आलोचना कराई।
आचार्यश्री ने आध्यात्मिक क्षेत्र में निरंतर विकास करने की मंगलकामना के साथ ही आचार्यश्री ने मुमुक्षु अंजली को समणी ओजस्वीप्रज्ञा नाम प्रदान कर नामकरण भी किया तो इसके साथ बगोमुण्डा की धरती पर ऐतिहासिक समण दीक्षा समारोह एक कीर्तिमान रच गया।
आचार्यश्री ने उपस्थित लोगों को अहिंसा यात्रा के संकल्प स्वीकार करने का आह्वान किया तो उपस्थित समस्त जनमेदिनी ने एक साथ संकल्पत्रयी स्वीकार की तो मानों एक दिव्य रूप पंडाल में उपस्थित हो गया। आचार्यश्री के श्रीमुख से उच्चरित वाणी को लोग जब उच्चरित कर रहे तो अहिंसा यात्रा के संकल्प पूरे वातावरण में गूंज रहे थे। तत्पश्चात मुख्यमुनिश्री ने भी लोगों को उद्बोध प्रदान करते हुए लोगों को मोक्ष का मार्ग अपनाने के लिए भी उत्प्रेरित किया।
जैन श्वेताम्बर #तेरापंथ महासभा
03.03.2018
प्रस्तुति > The Media Center
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*आचार्य श्री के सान्निध्य में शनिवार की सामायिक में क्या होता है*
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🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 03-03-2018
तिथि: - #चैत्र #बदी #दूज (02)
#शनिवार का त्याग/#पचखाण
★आज #रसमलाई (#मिठाई) खाने का #त्याग करे।
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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏 THE MEDIA CENTER 🙏
🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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