News in English:
Location: | Sambo dhi |
Headline: | Knowledge Of Acharya Mahaprajna Was Super◄ Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman remembered Acharya Mahaprajna on Prajna Diwas. He told that I lived with him and saw him from close. He was great scholar of Sanskrit language. I saw high level compassion in him. Acharya Mahaprajna always give due respect to all person he met. His contribution to world will be remembered forever. I am just trying to complete his unfinished work. Acharya Mahaprajna was great author and his book Sambodhi is one of wonderful books. His last Pravachan was based on it. Sadhvi Pramukha Kanakprabha, Muni Sumermal, Muni Kishanlal, Muni Subhkaran, Sadhvi Arogya Shree, Sadhvi Atul Yasha, Mukhya Niyojika Sadhvi Vishrut Vibha also spoke on life of Acharya Mahaprajna. |
News in Hindi:
आचार्य महाश्रमण ने श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा विराट था आचार्य महाप्रज्ञ का ज्ञान
नगर संवाददाता राजसमंद 30 JUNE 2011 (जैन तेरापंथ समाचार न्यूज ब्योरो
अहिंसा यात्रा के प्रवर्तक तेरापंथ धर्मसंघ के दशम आचार्य महाप्रज्ञ विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी थे। उनका ज्ञान विराट व व्यापक था। दूसरे धर्म व धर्म गुरुओं के प्रति उनमें उदारता का भाव था। वे संस्कृत के भी विद्वान थे।
आचार्य महाप्रज्ञ के 92वें जन्म दिवस पर राष्ट्रीय राजमार्ग आठ स्थित सुरम्य ध्यान स्थली संबोधि उपवन में आयोजित त्रिदिवसीय प्रज्ञा पर्व के दूसरे दिन बुधवार को आचार्य महाश्रमण ने श्रावकों को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए। आचार्य प्रवर ने कहा कि मैंने उनकी करुणा को नजदीक से देखा है उनकी ज्ञानवत्ता अपने आप में विशेषता लिए थी। दूसरों को सम्मान देना, सभी के प्रति प्रेम भाव, वात्सल्य भाव सहज भी देखा जा सकता था। प्रज्ञा के द्वारा धर्म की समीक्षा होती है, जिसकी प्रज्ञा स्थित हो जाती है। वह व्यक्ति विशिष्ट बन जाता है। गुरुदेव महाप्रज्ञ ने राष्ट्र व विश्व को जो अवदान दिए हैं। वे युगों तक याद रहेंगे। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि वे आचार्य महाप्रज्ञ के अधूरे कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न कर रहे हैं। इसी संदर्भ में मेवाड़ की यात्रा चल रही हैं एवं मारवाड़ की यात्रा भी पूर्ण कर अहिंसा यात्रा के माध्यम से नई गति प्रदान कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा लिखित ‘संबोधि’ एक सुंदर ग्रंथ है 16 अध्याय हैं। महाप्रज्ञ ने अपने महाप्रयाण के दिन ही संबोधि पर ही व्याख्यान दिया था, ऐसे में मैंने निश्चय किया है कि अब उससे आगे के श्लोक से व्याख्यान प्रारंभ करूं, जिसमें सुख और दुख कर्ता कौन हैं। सुख कैसे बढ़ सकता है, दुख कैसे कम हो सकता है आदि शामिल हैं। मंगलाचरण से प्रारंभ प्रज्ञा पर्व समारोह में साध्वी वृंद द्वारा महाप्रज्ञ अष्ठकम का संगान किया गया। साध्वी प्रमुख कनक प्रभा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने नौ दशक के जीवन में आठ दशक संयम यात्रा की।
विराट था..
उनमें समय नियोजन की अद्भुत कला थी। गुरु के प्रति श्रद्धा व समर्पण का भाव एकलव्य को भी भुला देता हैं। आचार्य तुलसी सपने देखते थे जिन्हें पूरा करने में आचार्य महाप्रज्ञ का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। मंत्री मुनि सुमेर मल ने कहा कि महाप्रज्ञ स्वयं श्रुत पुरुष थे। उनके जीवन में श्रुत, साधना व जीवन तीनों एकाकार बन गए। जीवन विज्ञान प्रभारी मुनि किशनलाल, ध्यान योगी मुनि शुभ करण, साध्वी आरोग्य श्री, साध्वी अतुल यशा, मुख्य नियोजिका विश्रुतविभा ने भी विचाराभिव्यक्ति दी। अतिथि के रूप में मेवाड़ कांफ्रेंस अध्यक्ष डॉ. बसंती लाल बाबेल, प्रतापसिंह मेहता उपस्थित थे। संचालन सुनीता जैन ने किया, आभार ट्रस्ट मण्डल अध्यक्ष खमाणचंद डागरा ने व्यक्त किया। इस अवसर पर पूर्णचन्द्र बड़ाला, धर्मचंद्र खाब्या, सुन्दरलाल लोढ़ा, चतुर कोठारी, सोहनलाल मांडोत, भंवरलाल कोठारी, राजकुमार दक, महेंद्र कोठारी कांकरोली सहित अनेक कार्यकर्ता विविध व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं।
मुनि शुभकरण को ध्यानयोगी संबोधन:
आचार्य महाश्रमण ने संबोधि उपवन में प्रवासरत मुनि शुभकरण की विशिष्ट ध्यान योग साधना का अंकन करते हुए कहा कि आज से उन्हें ध्यानयोगी मुनि शुभकरण के नाम संबोधित करता हूं। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा डूंगरगढ़ में दिए निर्देश की पालना में एक विशिष्ट डायरी भी मुनि शुभ करण को प्रदान की। इसी प्रकार साध्वी राजकुमारी नोहर द्वितीय जिन्होंने 22 वर्ष का मौन क्रम योगक्षेम वर्ष में पूर्ण किया उनके लिए मौन साधिका साध्वी राजकुमारी संबोधन प्रदान किया।
जितेन्द्र ने दी अनुपम प्रस्तुति:
दिल्ली निवासी गजल एवं संघीय गायक जितेन्द्र सिंह ने ऋषभायण का गायन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उल्लेखनीय है कि आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण के एक दिन पूर्व ही जितेन्द्र सिंह ने आचार्य महाप्रज्ञ के दर्शन किए तब उन्होंने इस काव्य का संगान करने का उन्हें दायित्व दिया।
मुनि ललितप्रभ आज बोधिस्थल में:
राष्ट्र संत मुनि ललितप्रभ एवं मुनि चंद्रप्रभ गुरुवार प्रात: भिक्षु बोधि स्थल में प्रवास करेंगे जहां नौ बजे प्रवचन होगा। उक्त जानकारी जैन समाज के विजेंद्र मादरेचा ने दी।