Ladnun
7.8.2014
Strong Will Power is Key of Successes. Vikas Kumar who is partial blind shared his story of struggle and how he reached on top level. Samani Charitra Pragya told that consciousness of compassion should be increased.
बेलारी के नेत्रहीन विकास कुमार ने बतायी संघर्ष की कहानी
करूणा की चेतना का विकास जरूरी- चारित्रप्रज्ञा
विश्वभारती विश्वविद्यालय एवं एसपायर हुमैन कैपिटल मैनेजमेंट संस्थान गुडगांव के संयुक्त तत्वावधान में चल रही दो दिवसीय एडवांस स्कील डवलपमेंट कार्यशाला का समापन बुधवार को विश्वविद्यालय के एसडी घोडावत ऑडिटोरियम में कुलपति समणी चारित्रप्रज्ञा की अध्यक्षता में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बेलारी के नेत्रहीन एवं टाटा मोटर्स के एचआर मैनेजर विकास कुमार जैन ने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से अपने अनुभव बताते हुए संषर्घ को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। विकास ने बताया कि नैत्रहीन होते हुए भी वे कभी निराश नहीं हुए फलस्वरूप आज वे संगीत, गायन एवं प्रबंधन क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है। विकास ने संगीत की प्रस्तुति देश ही नहीं बल्कि अमेरिका सहित विश्व के अनेक देशों में दे चुके है। तबला वादक के रूप में विकास ने संगीत जगत मेें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
विकास ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को प्ररेणादायी उद्बोधन देते हुए कहा कि लक्ष्य के प्रति समर्पण एवं मेहनत हमेशा सफलता दिलाती है। विकास ने कहा कि दुनिया में वे ही लोग हमेशा कुछ अलग हटकर कर चुके है जिनका दुनिया उपहास उडाकर नाकाबिल मानती है। उन्होनें कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ अच्छाई जरूर होती है जरूरत है उसे पहचान कर सही दिशा में आगे कदम बढाया जाये। विकास ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि वर्तमान में कम्प्यूटर एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति समणी चारित्रप्रज्ञा ने कहा कि व्यक्ति शारीरिक मानसिक एवं भावनात्मक रूप से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर जीवन का विकास कर सकता है। उन्होनें विद्यार्थियों के सफल जीवन की कामना करते हुए कहा कि जब एक व्यक्ति सफल होता है तो यह माता-पिता के लिए बहुत बडा उपहार होता है। समणी चारित्रप्रज्ञा ने कहा कि आज के दौर में आदमी में करूणा का स्रोत सूखता जा रहा है, जरूरत है प्रत्येक व्यक्ति में कुरूणा की चेतना जागे। उन्होनें कहा कि दूसरों के दुख के समझकर उनका समाधान करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। विश्वविद्यालय के मुख्य सलाहकार शांतिलाल छाजेड ने विकास का शॉल एवं प्रतीक चिन्ह भेँट कर अभिनन्दन किया।
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