27.03.2015 ►Jahaj Mandir ►Oli Worship

Published: 28.03.2015
Updated: 08.01.2018

Jahaj Mandir Mandawala


News in Hindi:


जैन जगत में नवपद की महिमा अपरंपार है!
नवपद: 1.अरिहंत 2. सिद्ध 3. आचार्य
4.उपाध्याय 5.साधु 6.दर्शन
7. ज्ञान 8. चारित्र 9. तप!!
यह आराधना वर्ष में दो बार आयंबिल तप के द्वारा की जाती है!
1. चैत्र सुदी 7 से 15 (पूनम)
2. आसोज सुदी 7 से 15 तक!
नवपद ओली आराधना का प्रारंभ आसोज माह से किया जाता है, एवं कुल 9 ओली अर्थात् चाढ़े चार वर्ष तक कुल 81 आयंबिल के साथ यह तप पूर्ण होता है!
नवपद आराधना में आज प्रथम पद में अरिहंत पद की आराधना की जाती है
अरि यानि शत्रु हंत यानि नाश करने वाले...
शत्रुओ का नाश करने वाले अरिहंत कहलाते है...
अरिहन्त अपने कर्म रूपी शत्रु का नाश करते है...
अगर अरिहंत नही होते तो करुणा का इतना प्रचार नही होता।।। धर्म का ज्ञान नही होता।।।
शासन की स्थापना नही होती।।।
in short सद्गति और पूण्य भी नही होता।।।
अरिहंत परमात्मा की देशना से इन सब बातो का ज्ञान सारे जगत को हुआ
अरिहन्त परमात्मा के 12 गुण होते है।।।
8 गुण देवता करते है परमात्म भक्ति से प्रेरित होकर।।
4 गुण कर्मक्षय होने पर प्रकट होते है।।।
1 अशोक वॄक्ष-
जो परमात्मा के शरीर से 12 गुना बड़ा होता है।।
2 सुर पुष्प वृष्टि-
परमात्मा के विचरण क्षेत्र में देवता विविध फूलों की बरसात करते है।।
3 दिव्य ध्वनि-
विविध वाद्य यंत्रों को बजाकर देवता दिव्य नाद करते है।।
4 चामर युगल-
अरिहंत प्रभु के दोनों तरफ देवता खड़े खड़े चामर से प्रभु की सेवा करते है।।। उसे विन्जना कहा जाता है
5 स्वर्ण सिंहासन-
प्रभु के बैठने के लिए दिव्य सिंहासन की रचना देवता करते है।।
6 भामंडल-
प्रभु के मस्तक के पीछे सूर्य के सामान जो आभामंडल होता है जिसे भामंडल कहते है।।
इस भामंडल के द्वारा ही हम अरिहंत प्रभु का मुख को निहार सकते है।
7 देव दुंदुभी- से दिव्य नाद द्वारा देवता सभी दिशाओ में प्रभु की जय जयकार करते है।।
8 छत्र-
प्रभु के सर के ऊपर 3 छत्र की रचना देवता करते है।
कर्मक्षय से प्रकट होने वाले गुण 1 ज्ञानातिशय 2 पूजातिशय
3 वचनातिशय।
4 अपायापगमातिशय।।
ऐसे गुण संपत्ति वाले देव देवेंद्रो से पूजित, तीन लोक के आधार अरिहंत परमात्मा को मैं नमस्कार करता हूँ।
जगत में पूजनीय वंदनीय सेवनीय और तारने वाले ये एक ही उत्तम आत्मा है।।
ऐसा सोचकर नवकार के प्रथम पद से हमे अरिहंत परमात्मा को भाव पूर्वक वंदन करना चाहिए।
अरिहंत पकर्मात्मा की आराधना के लिए
12 खमासमन
12 लोगस्स का काउसग्ग
12 नवकार मंत्र की माला आदि विधि करनी चाहिए।
अरिहंत परमात्मा के 34 अतिशय (विशेष प्रभाव) होते है। वाणी के 35 गुण होते है।।
अरिहंत परमात्मा की भक्ति को अपने जीवन में प्रथम स्थान देना है।
आज से सोते उठते बैठते आते जाते
जब कभी भी हम (हे राम, ए माँ, हे भगवान्) बोलते है उसकी जगह हमे हे अरिहंत प्रभु बोलकर अपनी श्रद्धा को प्रकट करके मजबूत करना है।।
परमात्मा की आज्ञा के विपरीत कहा गया हो तो मिच्छामि दुक्कडं।
अनंत उपकारी जिनेश्वर एवं गुरु भगवंतों की हमारे उपर असीम कृपा है, जिन्होंने समग्र सृष्टि को कल्याणमय मार्ग- दर्शन किया है!
जिनवाणी सार: तन-मन-धन से समर्पित भाव पूर्वक की गयी आराधना अवश्य ही आत्मा को क्रमश: जिनशासन, स्वर्ग, मोक्ष सुख प्रदान करते हुए परमात्मा भी बनाती है!!

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जहाज मंदिर वर्षगांठ संपन्न...

श्री जिनकान्तिसागरसूरि स्मारक जहाज मंदिर की 16वीं वर्षगांठ पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मनोज्ञसागरजी म. पू. मुनि श्री नयज्ञसागरजी म. की पावन निश्रा में माघ सुदि 14 सोमवार ता. 2 फरवरी 2015 को मनाई गई। अठारह अभिषेक करवाये गये।सतरह भेदी पूजा पढाने के साथ शिखर पर ध्वजा चढाई गई। मुख्य ध्वजा के अमर लाभार्थी श्री पारसमलजी भानमलजी छाजेड परिवार की ओर से उनके परिवार ने ध्वजा चढाई। इस अवसर पर पूजनीया साध्वी श्री मुक्तिप्रियाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा का ट्रस्ट के आग्रह पर पदार्पण हुआ।

इस अवसर पर प्रवचन फरमाते हुए पूज्य मुनिश्री ने कहा- पूज्य गुरुदेव की स्मृति में बना यह जहाज मंदिर संसार सागर को तिरने का एक उपक्रम है। इस मंदिर का अनूठा स्थापत्य, पूर्ण रूप से स्वर्ण अभिमंडित परिकर सहित परमात्मा की अलौकिक दिव्य प्रतिमा एक शान्ति भरा सुकून देती है। और यहाँ जो कांच का काम हुआ है, ऐसा लगता है जैसे हम किसी अन्य लोक में आ गये हैं। उन्होंने कहा- यह सब पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री की कृपा का ही फल है। मुझ पर पूज्य गुरुदेवश्री की पूर्ण कृपा थी। आजमैं जो कुछ भी हूँ, वह सब पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद का ही फल है।

ट्रस्ट की ओर से पूज्यश्री को कामली वहोराई गई। गुरुपूजन किया गया। अष्टप्रकारी पूजा के वार्षिक चढावे बोले गये।

------------------------------------------------ साधु साध्वी समाचार...

0 पूज्य ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक मुनि श्री मनोज्ञसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री नयज्ञसागरजी म.सा. अहमदाबाद सेविहार कर डीसा, पांथावाडा, भीनमाल होते हुए जहाज मंदिर मांडवला गुरु धाम पधारे। ता. 2 फरवरी को उनकी पावननिश्रा में जहाज मंदिर की वर्षगांठ मनाई गई। वहाँ से वे विहार कर ब्रह्मसर पधारेंगे। 0 पूज्य मुनि श्री मुक्तिप्रभसागरजी म. मनीषप्रभसागरजी म. चौहटन उपधान की संपन्नता के पश्चात् विहार करजैसलमेर, अमरसागर, ब्रह्मसर आदि तीर्थों की यात्रा करते हुए लौद्रवपुर पधारे, जहाँ उनकी निश्रा में 26 जनवरी कोजीर्णोद्धार कृत दादावाडी की प्रतिष्ठा संपन्न हुई। तत्पश्चात् वहाँ से पोकरण होते हुए फलोदी पधारे। वहाँ उनकीनिश्रा में 11 फरवरी को दादावाडी की प्रतिष्ठा संपन्न होगी।

0 पूज्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी म. मेहुलप्रभसागरजी म. सा. सूरत बडौदा होते हुए खंभात पधारे। खरतरगच्छ केआराध्य देव श्री स्तंभन पाश्र्वनाथ परमात्मा की यात्रा संपन्न की। वहाँ से विहार कर ता. 21 जनवरी को पालीतानापधार गये हैं। वहाँ व्याकरण, न्याय का अध्ययन प्रारंभ है। आगामी चातुर्मास पालीताना में होगा।

0 पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. समयप्रभसागरजी म. श्रेयांसप्रभसागरजी म. तिरूपातूर बिराज रहे हैं। वहाँ सेविहार कर वे बैंगलोर पधारेंगे, जहाँ ता. 2 मार्च को शुभ मुहूत्र्त में उनकी पावन निश्रा में श्री विमलनाथ जिन मंदिरदादावाडी में एक देवकुलिका में दादा गुरूदेव श्री जिनकुशलसूरि की प्रतिष्ठा करवायेंगे। वहाँ से विहार कर अम्बूरतिन्नपट्टी पधारेंगे, जहाँ उनकी निश्रा में ता. 12 मार्च को प्रतिष्ठा संपन्न होगी। वहाँ से पूज्यश्री चेन्नई की ओरविहार करेंगे।

0 पूजनीया संघरत्ना साध्वी श्री शशिप्रभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा जयपुर बिराज रहे हैं। उनकी पावन निश्रा में ता. 18 जनवरी को जवाहरनगर श्री महावीरस्वामी जिन मंदिर दादावाडी में शांतिसूरि आदि प्रतिमाओं की प्रतिष्ठासंपन्न हुई है। उनका विहार संभवत: बीकानेर की ओर होगा।

0 पूजनीया पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा नागपुर से ता. 17 जनवरी को विहारकर भद्रावती, चन्द्रपुर, आसीफाबाद होते हुए ता. 14 फरवरी तक वारांगल पहुँचेंगे। वहाँ से विजयवाडा होते हुए चैत्रीओली तक चेन्नई पहुँचने की संभावना है।

0 पूजनीया मारवाड ज्योति साध्वी श्री सूर्यप्रभाश्रीजी म.सा. पूर्णप्रभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा हुबली से विहार करगदग पधारे हैं। वहाँ से स्वास्थ्य की अनुकूलतानुसार विहार कर कोप्पल, हाँस्पेट होते हुए बल्लारी पधारेंगे।

0 पूजनीया महातपस्वी साध्वी श्री सुलक्षणाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा जयपुर बिराज रहे हैं। वहाँ मोतीडुंगरी रोड स्थितप्राचीन दादावाडी में 23 फरवरी को होने वाले दादा गुरुदेव की प्रतिष्ठा महोत्सव को अपनी सानिध्यता प्रदान करेंगे।

0 पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म.सा., पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म.सा. ठाणाभद्रावती पधारे। वहाँ से विहार कर हिंगनघाट पधारे हैं। जहाँ ता. 24 जनवरी को जिन मंदिर की वर्षगांठ परध्वजारोहण के पश्चात् नागपुर की ओर विहार किया है। नागपुर में 4-5 दिन की स्थिरता के पश्चात् छत्तीसगढ कीओर विहार करेंगे।

0 पूजनीया धवल यशस्वी साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा बाहुबली आदि तीर्थों की यात्रा करते हुएमैसुर पधारे। वहाँ से 22 जनवरी को विहार कर चामराजनगर, सत्यमंगलम् होते हुए ता. 1 फरवरी तक कोयम्बतूरपधार गये हैं। वहाँ से मदुराई होते हुए कन्याकुमारी पधारेंगे।

0 पूजनीया साध्वी मनोरंजनाश्रीजी म.सा. श्री शुभंकराश्रीजी म.सा. आदि ठाणा ने जैसलमेर से फलोदी की ओर विहारकिया है।

0 पूजनीया साध्वी श्री तरूणप्रभाश्रीजी म. सुमित्राश्रीजी म.सा. ठाणा 4 कोयम्बतूर बिराज रहे हैं। पू. साध्वी श्रीप्रियमित्राश्रीजी म. के पांव में तकलीफ है। वे यहाँ स्वास्थ्य लाभ हेतु बिराज रहे हैं।

0 पूजनीया साध्वी श्री मनोरंजनाश्रीजी म. आदि ठाणा 8 ने प्रतिष्ठा के पश्चात् जैसलमेर से फलोदी की ओर विहारकिया है। फलोदी में होने वाली प्रतिष्ठा में पधारेंगे। 0 पूजनीया साध्वी श्री कल्पलताश्रीजी म.सा. आदि ठाणा ने चौहटन से पाली की ओर विहार किया है। वे पाली मेंगौतम गुण विहार में ता. 2 फरवरी को आयोजित अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव में पधारेंगे।

0 पूजनीया साध्वी डाँ. श्री सौम्यगुणाश्रीजी म.सा. ठाणा 4 की निश्रा में बाडमेर कुशल वाटिका में दूसरी वर्षगांठ काभव्य आयोजन हुआ। वहाँ से नाकोडाजी की ओर विहार किया है। ता. 2 फरवरी को होने वाली समवशरण मंदिर केप्रतिष्ठा महोत्सव में अपनी सानिध्यता प्रदान करेंगे।

0 पूजनीया साध्वी श्री विरागज्योतिश्रीजी म.सा. विश्वज्योतिश्रीजी म.सा. ठाणा 3 सोलापुर से बिजापुर होते हुए ता. 28 जनवरी को चित्रदुर्गा पधारे। वहाँ से विहार कर हिरियुर होते हुए फरवरी के प्रारंभ में बैंगलोर पधारे। वहाँ सेकन्याकुमारी की ओर विहार करेंगे।

0 पूजनीया साध्वी श्री प्रियस्मिताश्रीजी म.सा. ठाणा 7 बल्लारी से विहार कर कम्पली पधारे हैं। वहाँ से 31 जनवरीको विहार कर हाँस्पेट होते हुए कोट्टूर पधारेंगे।

0 पूजनीया साध्वी श्री हेमरत्नाश्रीजी म. आदि ठाणा 3 मैसूर बिराज रहे हैं। वहाँ से विहार कर हुबली, इचलकरंजी,पूना होते हुए मुंबई की ओर विहार करेंगे।

0 पूजनीया साध्वी श्री प्रियरंजनाश्रीजी म. आदि ठाणा 3 धोलका बिराज रहे हैं। उनकी निश्रा में ता. 2 फरवरी कोजिन मंदिर दादावाडी की वार्षिक ध्वजा चढाई गई। तत्प’चात् विहार कर अहमदाबाद पधारे हैं।

0 पूजनीया डाँ. साध्वी श्री नीलांजनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 हुबली से विहार कर बीजापुर, सोलापुर, नांदेड,यवतमाल होते हुए ता. 22 जनवरी को हिंगनघाट पहुँचे। जहाँ अपनी गुरुवर्या बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजीम.सा. के दर्शन किये।

0 पूजनीया साध्वी श्री प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म.सा. ठाणा 3 पाश्र्वमणि तीर्थ बिराज रहे हैं। उनकी पावन निश्रा में पाश्र्वमणि तीर्थ पर दादा गुरुदेव श्री जिनकुशलसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्यतिथि पर मेले का आयोजन ता. 18 फरवरीको आयोजित होगा। होली तक पूज्याश्री यहीं पर बिराजेंगे।

0 पूजनीया साध्वी श्री श्रद्धांजनाश्रीजी म.सा. दीपमालाश्रीजी म. जोधपुर बाडमेर भवन में स्वास्थ्य लाभ हेतु बिराजरहे हैं।

0 पूजनीया साध्वी श्री मयूरप्रियाश्रीजी म. ठाणा 3 ने कोयम्बतूर प्रतिष्ठा के पश्चात् तिरूपात्तूर की ओर विहार किया है। अम्बूर के पास तिन्नपट्टी में 12 मार्च को होने वाली प्रतिष्ठा में अपनी सानिध्यता प्रदान करेंगे। वहाँ से तिरूपातूर पधारेंगे, जहाँ उनकी प्रेरणा से होने वाले सामूहिक वर्षीतप के प्रत्याख्यान 14 मार्च को करवायेंगे।

Sources
Jahaj Mandir.com
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