19.09.2015 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 20.09.2015

Update

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Update

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Update

🌍आज की प्रेरणा 🌎
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
विषय - कैसे हो भाव विशुद्धि?
प्रवचनस्थल - विराटनगर
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
यह पुरुष अनेक चित्तों वाला होता है,विभिन्न प्रकार के भाव उभरते रहते हैं| कभी आक्रोश तो कभी क्षमा, कभी अहंकार तो कभी झुकना, कभी माया तो कभी ऋजुता, कभी संतोष तो कभी लोभ| निषेधात्मक व विधेयात्मक भाव अपना रूप दिखाते जाते है| कर्म बंधन के क्षेत्र में भाव मुख्य तथा वाणी और शरीर गौण| भावना से कल्याण व भावना से अकल्याण, जैसी भावना वैसी सिद्धि| मोह कर्म के संयोग व वियोग से शुद्धि व अशुद्धि जुड़ी रहती है| भाव ही बंध और मोक्ष का कारण है| सोलह भावना के अनुचिंतन से चित्त शुद्धि
व वैराग्य वृद्धि होती है| मन के पार जाना एक विशेष बात है जहाँ निर्विचार की स्थिति बन जाती है| पहले शुद्ध भावना और फिर भाव मुक्ति| डाक्टर द्वारा पेट फाड़ना व डाकू द्वारा पेट फाड़ने में भावना का अन्तर होता है, एक प्राण रक्षा के लिए पेट फाड़ता है और दूसरा प्राण हनन के लिए | मानव जीवन को दुर्लभ बतलाया गया है | जो मानव जीवन पाकर भी धर्म नहीं करता वह प्राप्त चिंतामणि को समुद्र में फेंकने जैसा है| आदमी मरकर देव गति,
देव गति, नरक गति,मनुष्य गति या मोक्ष में भी जा सकता है| आदमी एक बुद्धि सम्पन्न एक बुद्धि विपन्न,एक स्वस्थ एक निरोग, एक यशस्वी एक तिरस्कृत यह सब पूर्व संचित कर्म व पुन्य-पाप का कारण है.अतः आदमी को पापकारी प्रवृतियों से बचना चाहिए|
दिनांक - १९ सितम्बर, २०१५

News in Hindi

Source: © Facebook

महावीर समवसरण से पूज्य गुरुदेव के प्रवचन कालीन पावन दृश्य।दि.19.09.2015

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Sources
Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. अमृतवाणी
  2. आचार्य
  3. भाव
  4. महावीर
Page statistics
This page has been viewed 675 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: