19.10.2015 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 20.10.2015
Updated: 04.01.2016

News in Hindi

1) विराटनगर: 156व्यक्तियों का संघ, 156फ़ीट का आमंत्रण बैनर- 156वें मर्यादा महोत्सव की अर्ज मैसूर संघ की तरफ से
2) सूरत: ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
दिनांक: 19/10/2015
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

Source: © Facebook

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पूज्य प्रवर आचार्य श्री महाश्रमण के आज के प्रवचन का विडियो लिंक

स्थल - तेरापंथ भवन, विराटनगर (नेपाल)

विषय:- नोका-समुन्द्र-नाविक

http://youtu.be/uVa8w8fq6bA

दिनांक - 19-10-2015

प्रस्तुति - अमृतवाणी

प्रसारक - 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

1) साल्ट लेक सिटी(अमेरिका): विश्व धर्म संसद में गूंजी 'अणुव्रत' की गूंज
2) नांदेशमा: मुमुक्षु नेहा मंगल भावना समारोह
3) पुणे: श्री उत्सव का आयोजन
4) गंगाशहर: तेरापंथ सभा द्वारा विशिष्ट प्रतिभाओं का सम्मान
दिनांक: 18/19-10-2015
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

Source: © Facebook

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आज की प्रेरणा......
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण......
विषय- अगले जन्म के बारे में भी सोचें.....
प्रवचनस्थल - विराटनगर, १८.१०.१५......
प्रस्तुति - अमृतवाणी.......
संप्रसारण - संस्कार चेनेल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - हम मनुष्य है और मनुष्य को जीव जगत में श्रेष्ट प्राणी माना गया है, क्योंकि एक मनुष्य योनि ही एक मात्र ऐसी योनि है, जहाँ से मरकर सीधा मोक्ष को जाया जा सकता है | क्षेत्रीय दूरी के हिसाब से तो देवलोक की दूरी मनुष्य लोक से
कम है, फिर भी मनुष्य जन्म ही को यह अधिकार प्राप्त है | पशु भी पंचम गुणस्थान तक जा सकते हैं पर साधुत्व की प्राप्ति वे नहीं कर सकते| मनुष्य मरकर नरक, तिर्यंच, मनुष्य देव व मोक्ष में भी जा सकता है| गति कर्मानुसार होती है| जैसी मति वैसी गति| सामान्यतः अति हिंसा, अति कषाय वाला प्राणी मरकर नरक में जाता है| ओर तो क्या? भगवान महा वीर का जीव भी त्रिपटिक वासुदेव के भव से मरकर सातवीं नारकी में गया | उत्कृष्ट धर्म- साधना करने वाला जीव मरकर देवलोक में भी जा सकता है, पर साधना का मूल व अंतिम लक्ष्य मोक्ष होना चाहिए| तो हम अपनी अगली गति के बारे में भी चिंतन करें| गृहस्थ जीव न में भी हम सचेष्ट रहें तो पाप से बच सकते है| हम यथासंभव प्रमाणिक रहने का प्रयास करें, प्राणियों की हिंसा से भी बचें, गुस्से पर नियन्त्रण करें व इनके साथ सामायिक, खाद्य संयम, जमीकंद त्याग, विगह वर्जन, उनोदरी, द्रव्य सीमा, नवकारसी आदि का प्रयोग करें| हम सरलता रक्खें व छल प्रपंच से बचें | हमारा समय सार्थक बने व हम अपने जीवन के अवशेष क्षणों को उपयोगी बनाएं|
दिनांक- १९ अक्तुबर, २०१५

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विराटनगर (नेपाल): पूज्य गुरुदेव के आज के प्रभात कालीन मनोरम दृश्य..
दिनांक: 19/10/2015
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

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Sources

Source: © FacebookTerapanth Sangh Samvad
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