04.11.2015 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 04.11.2015
Updated: 04.01.2016

Update

1) मुम्बई: जीवन विज्ञान कक्षा का आयोजन
2) मुम्बई दक्षिण: मंगल भावना समारोह
2) अहमदाबाद: पंचदिवसीय तत्वज्ञान कार्यशाला 'समझो धर्म का मर्म' का आयोजन
दिनांक: 04/11/2015
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

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मान्यवर,
जय अणुव्रत।
"आतिशबाजी को कहें ना" अभियान के अंतर्गत आज एक पोस्टर प्रसारित किया जा रहा है | इस पोस्टर को अधिक से अधिक संख्या में छपवाकर शैक्षणिक संस्थाओं, घरों आदि में वितरित करे | दीपावली का समय नजदीक है, अत: इसे जल्द प्रसारित करने में सहयोगी बनें | आप सभी के सहयोग-सहभागिता की अपेक्षा के साथ | सधन्यवाद |

नोट - cdr फ़ाइल हेतु संपर्क -
+91 93122 77703 या
[email protected]

निवेदक
अणुव्रत महासमिति
प्रसारक: तेरापंथ संघ संवाद

News in Hindi

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📟📟📟📟📟📟

पूज्य प्रवर आचार्य श्री महाश्रमण के आज के प्रवचन का विडियो लिंक

स्थल - तेरापंथ भवन, विराटनगर (नेपाल)

विषय:- हँसी हो भी स्तर की

http://youtu.be/LSJcnfaM6I4

दिनांक - 04-11-2015

प्रस्तुति - अमृतवाणी

प्रसारक - 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

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आज की प्रेरणा........
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण......
विषय - राम तुम्हारा वृत्त स्वयं ही काव्य है.....
प्रवचनस्थल - विराटनगर, ३. ११. १५......
प्रस्तुति - अमृतवाणी......
संप्रसारण - संस्कार चेनेल के माध्यम से --
रामायण का आख्यान जिसका नाम - राम रसोयशायन और भगवान नेमिनाथ की स्तुति के साथ कर रहा हूँ मैं इसका प्रारंभ - नेमिनाथ अनाथां रो नाथो रे, नित नमण करूं जोड़ी हाथो रे, करम काटण वीर विख्यातो, प्रभू नेमिनाथ जी मुझ प्यारा रे | रामायण का व्या- ख्यान गीतों व छंदों में आबद्ध है | भगवान राम आज से लगभग १२ लाख वर्ष पूर्व हुए थे | यह व्याख्यान वि. सं. १६८३ की रचना है, आज से लगभग ४०० वर्ष पूर्व की| इसमें चार खंड में कुल ६४ गीतिकाएं हैं | वेद व्यास जी द्वारा रचित रामायण में कुल १ करोड़ पद्य थे| इस रामायण को मांगने के लिए उनके पास जब देव, दानव व मानव तीनों पहुंचे तो सामान रूप विभाजन करने के बाद जो दो शब्द बचे - राम, वे उन्होंने अपने पास रख लिए| तुलसीदास जी की रामायण में जैन रामायण का प्रभाव है | तुलसीदास जी ने कहा - भीतर और बाहर दोनों ओर प्रकाश पाने के लिए दीपक को देहली पर रख दो| रामका नाम देहली पर दीपक के सामान है जो भीतर और दोनों को प्रकाशित करता है | हम राम को इसलिए महत्व देते है कि वे मोक्ष गए हुए हैं,अतः हमारे आराध्य हो गए | कवि की कल्पना में 'रा' बोलते समय होठों का खुलना पाप बाहर निकलने व 'म' बोलने में होठों का बंद होना पाप वापिस अन्दर नहीं आने का प्रतीक बना | आख्यान का प्रारंभ - अयोध्या नगरी, ऋषभ वहां के राजा व सुमंगला व सुनंदा दो रानियाँ| सुमंगला के ९९ व सुनंदा के १ पुत्र बाहुबली| सुमंगला के बड़े पुत्र भरत - जिनके सवा करोड़ पुत्र हुए | मुख्य बेटे का नाम सूर्ययश, जिनके नाम के साथ जुड़ा हुआ है - सूर्य वंश | अनेक राजाओं के बाद भगवान मुनि सुव्रत के समय जो राजा हुए वे थे - विजय | विजय की आगे की बात के लिए......
दिनांक - ४ नवम्बर, २०१५

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मोमासर: अणुव्रत समिति का गठन
प्रस्तुति: तेरापंथ संघ संवाद

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