05.11.2015 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 05.11.2015
Updated: 04.01.2016

News in Hindi

Source: © Facebook

कोलकाता: अणुव्रत समिति का पुर्नगठन
प्रस्तुति: तेरापंथ संघ संवाद

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📟📟📟📟📟📟

पूज्य प्रवर आचार्य श्री महाश्रमण के आज के प्रवचन का विडियो लिंक

स्थल - तेरापंथ भवन, विराटनगर (नेपाल)

विषय:- जैसे परिणाम वैसे गति

http://youtu.be/fsXXQIg5b28

दिनांक - 05-11-2015

प्रस्तुति - अमृतवाणी

प्रसारक - 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

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आज की प्रेरणा......
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण.....
विषय - हांसी भी हो तो स्तर की हो......
प्रवचनस्थल - बिराटनगर, ४. ११. १५.....
प्रस्तुति - अम्रृतवाणी.......
संप्रसारण - संस्कार चेनेल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - संयम में रमण करने वाले साधुओं का जीवन देवलोक के समान होता है जबकि संयम में रमण न करने वाले साधुओं का जीवन नरक के सामान | जैन रामायण में बतलाया गया है कि अयोध्या की राज्य परम्परा में राजा विजय व उनकी रानी हिमचूला| उनके दो पुत्र| बड़े पुत्र बज्रबाहू का विवाह राजकन्या मनोरमा के साथ हुआ|
भाई उदयसुंदर बहन को पहुँचाने साथ गया| मार्ग में साले व बहनोई के साथ विनोद व हंसी मजाक भी चल रही थी| बज्रबहू की दृष्टि मुनि गुणसागरजी पर पड़ी और वह दौड़कर मुनि के दर्शन कर उनके गुणानुवाद करने लगा | साले ने जब यह सुना तो बोल पड़ा - आप भी दीक्षा लेंगे क्या? यदि मन में आ गई है तो साधु बन जाएं| हां मैं साधु बन जाऊंगा बज्रबाहू ने कहा | जब बहनोईजी सचमुच साधु बनने के लिए तैयार हो गए तो साले ने कहा - आप यह क्या कर रहे हैं? अभी अभी तो शादी हुई है| लेकिन अंततः बहनोई व साले के साथ उस
बहन ने भी दीक्षा ग्रहण करली | यह सब जानकर राजा विजय को भी वैराग्य आ गया व छोटे पुत्र पुरंदर को राज्यभार सौंप कर सन्यास ग्रहण कर लिया| पुरंदर के पुत्र का नाम था कीर्तिधर| कुछ समय बाद कीर्तिधर के मन में भी जब साधुत्व की भावना जगी तो मंत्री ने परामर्श दिया - यदि आपको साधुत्व स्वीकार ही करना है तो पहले शादी करके संतान की उत्पत्ति करें, फिर साधुत्व की बात सोचें | राजा का राज्य के प्रति भी कर्तव्य होता है| आप
अपने कर्तव्य का निर्वाह करें | यह सुन कीर्तिधर का मानस बदला, उन्होंने शादी की | एक राजकुमार का जन्म भी हुआ लेकिन रानी ने यह सोचकर राजकुमार को छुपाकर रक्खा कि राजा को मालूम होने पर वे सन्यास ग्रहण कर लेंगे| प्राचीन काल में लोग कितने ह्लुकर्मी होते थे कि तुरंत वैराग्य जाग जाता व दीक्षा ग्रहण कर लते|
दिनांक - ५ नवम्वर, २०१५

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विराटनगर (नेपाल): नेपाल के पूर्व शहरी विकास मंत्री पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी के दर्शनार्थ
दिनांक: 04/11/2015
प्रस्तुति: तेरापंथ संघ संवाद

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