05.11.2015 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 05.11.2015
Updated: 05.01.2017

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स्वयंभू स्तोत्र स्तुति आचार्य श्री विद्यासागर द्वारा रचित

१.आदिम तीर्थंकर प्रभो! आदिनाथ मुनिनाथ,
आधि-व्याधि अघ मद मिटे, तुम पद में मम माथ
वृषका होता अर्थ है, दयामयी शुभ धर्मं
वृष से तुम भरपूर हो, वृष से मिटते कर्म
दीनों के दुर्दिन मिटे, तुम दिनकर को देख
सोया जीवन जागता, मिटता अघ अविवेक
शरण चरण हैं आपके, तारण तरन जिहाज
भव दधि तट तक ले चलो, करुनाकर जिनराज ||

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