06.11.2015 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 06.11.2015
Updated: 04.01.2016

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विराटनगर: गुरुसन्निधि में स्वर्गवास।
दि.06.11.2015
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विराटनगर: पूज्य गुरुदेव एवं साध्वी प्रमुखा श्री जी चर्चा करते हुए।
♦पूज्य गुरुदेव द्वारा नवीन घोषणा♦
18 नवम्बर 15 को पूज्य गुरुदेव का प्रवास 'यूरो किड्स स्कूल' में है एवं दिनांक 19 से 22 नवम्बर तक का प्रवास 'गोलछा निवास' पर रहेगा।

दि.06.11.2015
प्रस्तुति > तेरापंथ मीडिया सेंटर
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🌎आज की प्रेरणा🌏
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
विषय - जैसे परिणाम वैसी गति
प्रवचनस्थल - विराटनगर, ५. ११.१५
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - यह पुरुष अनेक चित्तों वाला है | आत्मा के भाव भी दौड़ते रहते है, ऐसे में आक्रोश या दुष्परिणामों में मृत्यु होने पर दुर्गति प्राप्त होती है | कीर्तिधर के
पुत्र जन्म को उससे छुपाया गया लेकिन उसको तो पता लग गया और अपने पूर्व निर्धारित निर्णय के अनुसार दीक्षा ग्रहण कर ली| साधु बनने के बाद ऊग्र विहार करते हुए वे एक बार अयोध्या की ओर आये, जब राजमाता को इसकी खबर हुई तो राजपुरुष को भेजकर उन्हें अयोध्या आने से रोक लिया | क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं वे उसके पुत्र कौशल को साधु न बना लें| धाय माता के द्वारा जब राजा कौशल को इस बात की खबर लगी तो वे पिता साधु के पास गए और इस स्वार्थी संसार का चिंतन कर खुद साधु बनने को तैयार हो गए, लेकिन पत्नी के यह कहने पर कि भावी राजा का जन्म तो होने दीजिए, कौशल ने होने वाली संतान को भावी राजा घोषित कर साधुत्व स्वीकार कर लिया। राजमाता को यह सब मालूम होने पर वह आक्रोश से भर गई व उसी स्थिति में मरकर बाघिनी के रूप में पैदा हुई| जंगल में जब साधु बाप बेटे से उसकी भेंट हुई तो बेटे पर प्रहार कर उसका प्राणांत कर दिया| जिस बेटे को वह सदा अमृत पान कराती थी, आज वह उसी का खून पी रही है| मांस खाने के दौरान जब तक दांत उसके मुंह में आया तो अवधि ज्ञान के द्वारा उसे यह भान हुआ कि जिसे उसने मारा है, वह उसी का बेटा है | मन पश्चाताप से भर गया व संथारा कर उसने आठवें देवलोक का वरण कर लिया | भावों की श्रेणी के ऊर्ध्वगमन के साथ साधु-पिता को केवल ज्ञान हो गया | साधु-पुत्र भी आगे से आगे साधना करते-करते मोक्ष तक पहुंच गया | तो आज के प्रवचन का निष्कर्ष यह है कि ख़राब परिणामों में मरने से ख़राब गति मिलती है| अतः सदा शुद्ध परिणामों में जीओ |
दिनांक - ६ नवम्बर, २०१५

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