29.11.2015 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 29.11.2015
Updated: 05.01.2017

Update

Source: © Facebook

मानव मार्गदर्शन - अपनी पवित्र आत्मा को गंदा न रखें Prakash Chand Jain

"नव द्वार बहे घिनकारी, असि देह करें किम यारी"

दोस्तों आपको पता है कि आपके शरीर के अन्दर कितनी गंदगी भरी पड़ी है और उसके विसर्जन के लिए भी नौ बड़े द्वार है । दोनों कानों से कनेऊ, दोनों आँखों से कीचड़ (गीड), दोनों नाक से बलगम, मुख से थूक-खँखार, यौन अंगो से मल और मूत्र प्रतिदिन हम लोग विसर्जित करते हैं। कोई और नहीं तुम स्वयं इन्हें अपने ही इन हाथों से साफ करते हो । क्या कभी दुर्गन्धित शरीर पर नफरत हुई? नहीं ना । क्योंकि ये भले ही घृणित पदार्थ है। मगर है किसके? मेरे ही अपने है ना, और कोई भला अपनी ही वस्तु से नफरत करता है क्या? नहीं ना ।

हमारी पवित्र निर्मल निश्चल आत्मा को विकारी भावों ने इस तरह घेर रखा है जैसे सावन-भादों में उमड़ते-घुमड़ते बादल सूर्य के प्रकाश को घेर लेते हैं । जिस तरह प्रकाश की किरण पृथ्वी पर बादलों के घटने पर या बरस कर गिर जाने पर ही अपना प्रकाश फैला पाती है । उसी प्रकार आत्मा के स्वाभाविक गुण भी अपनी रश्मियां तभी बिखेर पाते हैं जब आत्मा के ऊपर सघनता से छाये घने कृष्ण, नील, कपोत लेश्या युक्त भाव हट जाते हैं, छट जाते हैं । सच है कि गंदगी में बैठना तो जानवर भी पसंद नहीं करता तो स्वभाव के निर्मल गुण विकार में फँसे रह सकते है । आप सभी प्रायः देखते होंगे कि कुत्ता एक ऐसा जानवर है जो बैठने से पहले उस स्थान को अच्छी तरह से अपने पैरों से झाड़कर साफ कर लेता है तथा गंदगी रहित स्थान पर ही बैठना पसंद करता है । तो फिर हम क्यों न मन की गंदगी मन के विकार निकाल कर बाहर करें । कुत्ते की एक आदत और भी है उसे जानते सभी है मगर गौर उस आदत पर आपने आजतक नहीं किया होगा, अगर किया हो तो बताओ कि कुत्ता अपनी एक टाँग ऊपर करके किसी दीवाल या किसी वस्तु पर ही क्यों पेशाब करता है? प्रश्न सुनने में छोटा है मगर गहरा है । उत्तर कुछ ध्यान में आया? नहीं ना । तो सुनो अरे भाई! बहुत ही साधारण सी बात है कि कुत्ते को गंदगी जरा भी पसंद नहीं और यदि वह चारों पैर पर खड़े होकर पेशाब करेगा तो निश्चित ही उसके पैर पेशाब से गंदे हो जाएँगे, वहीं दूसरी और जब एक पैर ऊपर करके किसी दिवाल या वस्तु पर पेशाब करता है तो पेशाब की धार बाहर उस दिवाल या वस्तु पर से बहती हुई नीचे चली जाती है और उसके छींटे उसके शरीर पर नहीं गिरते है। और सारा शरीर गंदा होने से बच जाता है ।

जानवर भले ही सफाई पसंद करता हो मगर इंसान एक ऐसा जानवर है जो गंदगी साफ तो करता है बल्कि करने लगता है गंदगी से नफरत, जबकि हमारे स्वभाव में नफरत है ही नहीं बल्कि हमारे स्वभाव में तो निर्विचिकित्सा है जिसका मतलब है गंदगी से उदासीन । हाँ, हाँ, उदासीनता न की उपेक्षा । उपेक्षित वस्तु को भी हम नफरत की वस्तु की तरह न देखना पसंद करते हैं, न सुनन, न ही पास रखना जबकि उदासीन भाव होने पर गंदगी के पास घंटो रुकने पर भी मन में विकार नहीं आता । दोस्तों स्वभाव एक साफ और स्वच्छ दर्पण की तरह है जिसमें सब कुछ स्पष्ट दिखता है । मगर विकार के कारण स्वभाव दूषित हो जाता है । गंदे दर्पण की तरह वह भी गंदा हो जाता है तथा फिर कुछ नहीं दिखाई पड़ता है । इसलिए दोस्तों अपनी पवित्र आत्मा को गंदी मत होने दो।

News in Hindi

Source: © Facebook

काकंदी, उत्तर प्रदेश में विराजमान पुष्पदंतनाथ भगवान्, इस जगह पर पुष्पदंतनाथ भगवान् के गर्भ, जन्म और दीक्षा कल्याणक हुए और यहाँ अब बहुत बड़ा मंदिर है जो बहुत ही सुन्दर और मनमोहनिया है, ग्रंथो में ऐसा ही आया है की मुनि श्री अभयघोष जी ने इस स्थान से निर्वाण प्राप्त किया था, इस जगह की धरती से अभी तक अनगिनत जैन प्रतिमाये प्राप्त हुई है, यहाँ तीन पहाड़ और तीन सरोवर है | ये क्षेत्र देवरिया से १५ कम की दुरी पर है और वह जाने के लिए वाहन आराम से मिल जाते है....

Sources
Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. उत्तर प्रदेश
  2. कृष्ण
  3. भाव
Page statistics
This page has been viewed 489 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: