04.01.2016 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 04.01.2016
Updated: 09.01.2018

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अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी मुरलीगंज में श्रद्धालुओं के घरों में चरण स्पर्श करते हुए करीब 3 किलोमीटर का चक्कर लेकर लगभग 2 बजे जानकीनगर स्थित प्रवास स्थल पधारे। विहार एवं प्रवचनकालीन झलकियाँ।

04.01.2016
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अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी मुरलीगंज में श्रद्धालुओं के घरों में चरण स्पर्श करते हुए करीब 3 किलोमीटर का चक्कर लेकर लगभग 2 बजे जानकीनगर स्थित प्रवास स्थल पधारे। विहार एवं प्रवचनकालीन झलकियाँ।

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।। 04जनवरी 2016 ।।
भगवान पार्श्वनाथ के जन्म कल्याणक पर जप-अनुष्ठान का आयोजन हुआ।
🔺"दिल्ली" ।
🔺"मैसूर" ।

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🌎 आज की प्रेरणा 🌍
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में मन को एक घोड़ा कहा गया है | मन का घोड़ा एक दुष्ट घोड़ा है, इस पर नियंत्रण रखना जरूरी होता है | मन के इस घोड़े का अच्छा पक्ष भी व बुरा पक्ष भी | अँधेरा पक्ष भी और उजला पक्ष भी| कहा भी गया है -
"मन लोभी,मन लालची
मन चंचल, मन चोर।
मन के मते न चालिए,
ओ पलक पलक मन ओर।। "
- यह है मन का अँधेरा पक्ष और साधना, स्वाध्याय, शुभ चिंतन मनन कल्पन आदि मन के उजले पक्ष| कोई निर्णय करते समय यदि मन आवेश में हो, तो निर्णय सहीं नहीं होता | आवेश या आग्रह की स्थिति में लिया गया निर्णय गलत भी हो सकता है | जब मन का घोड़ा जोर से दौड़े या गलत विचार आ जाए तो आराध्य का स्मरण प्रारंभ कर दें व सोचें कि ये विचार मेरे अपने नहीं हैं|सहसा बिना विचारे काम व अविवेक पूर्ण कार्य परम अवरोधों का स्थान है| सोच समझ कर विवेकपूर्वक निर्णय लेने वाला अनेक गलतियों से बच सकता है | मन में शांति का संचार हो सके, ऐसा प्रयत्न करना चाहिए, मेरा मन कल्याणकारी चिंतन वाला बनें | एक सामायिक रोज हो जाये तो स्वाध्याय, ध्यान, जप आदि अनेक कार्य सम्पादित हो सकते है | यह समता की एक महान साधना है, जिसमें श्रावक साधु जैसा बन जाता है | जिनके लिए इसका रोज प्रयोग संभव न हो तो महीने में चार से क्रम प्रारंभ करें |
दिनांक - ४ जनवरी २०१६, सोमवार

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