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आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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हंसो हँसाओ
हंसी किसी की नहीं
इति-हास हो
भावार्थ: हास्य इस प्रकार का होना चाहिए कि हम सदैव हस्ते रहें अर्थात प्रसन्न चित्त रहें और इस प्रकार जिंदादिल हो कि दुसरे भी हमारे संपर्क में आए तो प्रसन्न चित्त हो जाएं । आचार्य श्री कहते हैं आधा भोजन, दुगना पानी, तिगुना श्रम और चौगुनी हसी स्वस्थ्य रहने का उपाय है । किन्तु हम जीवन में हंसी किसी की न उड़ाएं अर्थात हंसी ऐसी न हो जो किसी को दुःख पहुंचाती हो ।
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आचार्य श्री के सूत्र
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News in Hindi
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#BreakingNews #UPDATE #AcharyaShri ✿ आचार्य श्री विद्यासागर जी ससंघ का विहार तारादेहि से 5 minute पहले हो गया हैं!!! ✿ आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का कहना है कि हमारे बच्चे प्रतिभाशाली हैं, उन्हें विदेश भेजना, देश से प्रतिभा का निर्यात करना है।
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