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आचार्य देशना
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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सूत्र कभी भी
बासा नहीं होता सो
नया न मांगें
भावार्थ: कभी कभी ध्यान से पढ़ने और जीवन में उतारने से एक ही सूत्र हमारे जीवन का कल्याण कर देता है । और कभी कभी हजारों ग्रन्थ पढ़ने पर भी जीवन की दिशा नहीं बदलती । सूत्र कभी भी पुराना नहीं होता । हर सूत्र को हमे स्मृति में रखने की आवश्यकता है इसलिए आचार्य श्री कहते हैं कि हर बार नया सूत्र मांगने की अपेक्षा पहले दिए हुए सूत्रों पर विचार करना चाहिए । इस हाईको को ध्यान में रखते हुए हम पिछले सप्ताह में भेजे हुए सूत्रों को रविवार को एक बार फिर भेज रहे हैं ।
जुडो न जोड़ो
जोड़ा छोडो जोड़ो तो
बेजोड़ जोड़ो
--- माघ कृष्ण षष्ठी, २५४२
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लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन रावण करे या सीता करे,
चाहें राम ही क्यों न करें,
सजा अवश्य मिलेगी ।
----- मूकमाटी महाकाव्य (आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज)
--- माघ कृष्ण षष्ठी, २५४२
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डांट के बिना
शिष्य और शीशी का
भविष्य ही क्या
--- माघ कृष्ण पंचमी, २५४२
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घडी जैसी हो
गति परिणामो की
तीव्र मंद ना
--- माघ कृष्ण चतुर्थी, २५४२
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राष्ट्र के प्रति जिनका समर्पण नहीं,
वह धर्म के प्रति समर्पित नहीं हो सकते ।
--- गणतंत्र दिवस विशेष सन्देश
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अपना मन
अपने विषय में
क्यों न सोचता
--- माघ कृष्ण तृतीया, २५४२
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हंसो हँसाओ
हंसी किसी की नहीं
इति-हास हो
--- माघ कृष्ण द्वितीया, २५४२
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आचार्य श्री के सूत्र
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