29.01.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 01.02.2016
Updated: 05.01.2017

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आचार्य देशना
"राष्ट्र हित चिंतक" जैन आचार्य
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: माघ कृष्ण नवमी, २५४२
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आगे बनूँगा
अभी प्रभु पदों में
बैठ तो जाऊं
भावार्थ: हम जिनके जैसा बनना चाहते हैं उनका सानिध्य और विनय अत्यंत आवश्यक है । जिस प्रकार किसी भी प्रकार की विद्या को प्राप्त करने के लिए गुरु का, शिक्षा के लिए शिक्षक का सानिध्य अनिवार्य है । उसी प्रकार प्रत्येक जीव में भगवान बनने की क्षमता है किन्तु भगवान के चरणो की शरण लिए बिना भगवान बनना संभव नहीं । हमारा नारा ऐसा होना चाहिए "भक्ति से भगवान बनेंगे"। जो जीव सच्चे भक्त बने बिना ही भगवान बनना चाहते हैं वे न भक्त बन पाते न भगवान । और जो जीव प्रभु की शरण ग्रहण करते है वे निश्चित ही आगे चलकर भगवान बन जाता है ।
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हिंदी क्रांति 1017.ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया. कारगर पहल की सराहना होनी चाहिए, भाषा सहोदरी हिंदी

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