04.02.2016 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 04.02.2016

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I bow _/l_to this all-powerful Mantra ~ Namaskar Mantra

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आगामी कार्यक्रम
आचार्य सम्राट् पूज्य श्री शिवमुनि जी म.सा. आदि ठाणा 6 की संभावित
विहार यात्रा सूरत से अहमदाबाद

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जैन समाज के केवल नौकरीपेशा लोगों में भी महिलाओं का प्रतिशत 14.9 ही है

धर्म के अनुसार वर्किंग लोगों के ताजा राष्ट्रीय सर्वे डाटा में राजस्थान के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। सबसे अधिक पढ़ा लिखा माने जाने वाले जैन धर्म की तस्वीर बाकी धर्मों से काफी भिन्न निकली।
जैन समाज में महिलाएं शेष धर्मों से नौकरी को बहुत कम पसंद करती है। जैन समाज की कुल आबादी की केवल 5 फीसदी महिलाएं ही नौकरी करती है। दूसरी तरफ हिंदू धर्म में कुल आबादी की सर्वाधिक 17.56 फीसदी तथा सिख समाज में कुल आबादी की 17.15 फीसदी महिलाएं वर्किंग हैं। जैन समाज के केवल नौकरीपेशा लोगों में भी महिलाओं का प्रतिशत 14.9 ही है। दूसरी तरफ हिंदू धर्म में कुल वर्किंग क्लास में महिलाओं की हिस्सेदारी 39.62 फीसदी तथा सिख धर्म में 35.75 फीसदी और मुस्लिम धर्म में 31.53 फीसदी है।

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Chanting of Namaskar Mantra clears the mist and brings Peace
back to the Soul.

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जैन ने शादी के बाद जीते 146 गोल्ड मेडल, सास कहती थी- घरेलू काम छोड़ो, आगे बढ़ो

ये हैं जोधपुर की स्नेहा जैन। शादी के बाद भी दौड़ रही हैं। अब तक 146 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। वैसे 100 मीटर व 200 मीटर फर्राटा दौड़ के अलावा लाॅन्ग व ट्रिपल जंप व टीम स्पर्धा में अपने करियर में स्नेहा कुल 259 स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।
अब आगे क्या है स्नेहा का लक्ष्य...
- 44 साल की स्नेहा का लक्ष्य फरवरी में श्रीलंका में होने वाले विश्व मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप पर है ताकि वे एकल स्पर्धा में 150 गोल्ड मैडल का आंकड़ा छू सके।
- हाल में एमपी में नेशनल मास्टर्स मीट में पांच गोल्ड जीतने पर उन्हें देश का सर्वश्रेष्ठ एथलीट चुना गया था।
- स्नेहा का करियर 8 साल की उम्र में शुरू हुआ।
- कोटा में तीसरी क्लास में पढ़ाई के समय 100 व 200 मीटर दौड़ में गोल्ड जीता था।
- इसके बाद वे सरकारी स्कूल में पढ़ने गई और हर इवेंट में टॉप थ्री में रही।
नेशनल कैंप में चुना गया
8वीं में स्टेट टीम में सलेक्ट हुई और फिर नेशनल टीम में शामिल हुई। 1996 में उन्हें बेंगलुरू में हुए नेशनल कैंप में चुना गया। जहां उनका कॉम्पिटीशन पीटी ऊषा व अश्विनी जैसी देश की सर्वश्रेष्ठ एथलीटों से था। उन्हें भारतीय टीम में चयन की उम्मीद थी, लेकिन मां के देहांत की सूचना पर कैंप छोड़ आईं। बाद में डाक-तार विभाग में उन्हें खेल कोटे से नौकरी मिल गई तो वे विभागीय स्तर पर नेशनल इवेंट में भाग लेती रहीं।
सास बोली, घरेलू काम छोड़ो और...
वर्ष 2000 में स्नेहा की शादी जोधपुर के प्रदीप जैन से हुई। शादी के बाद भी उन्होंने दौड़ने की इच्छा जताई। पति व सास चंचल ने पूरा सपोर्ट किया। स्नेहा कहती है, सास ने मां जैसा प्यार दिया और खेलने की छूट दी। वे घरेलू काम में हाथ बंटाती तो सास कहती, प्रेक्टिस करो और आगे बढ़ो, जो सपने पहले पूरे नहीं किए, अब करो। इसी कारण जो सपने पहले पूरे नहीं कर पाई, वे शादी के बाद रिटायरमेंट की उम्र में पूरे किए आैर 15 साल में 146 स्वर्ण पदक जीत लिए।
चार इंटरनेशनल रिकाॅर्ड बनाए, नेशनल स्तर पर भी छाई- 2007 में लॉन्ग जंप में 35 साल से अधिक आयु वर्ग में स्नेहा ने 5.16 मीटर कूद का राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया। ट्रिपल जंप में उनके नाम एशियन रिकार्ड है, जो 2008 में मलेशिया में 9.38 मीटर के साथ बनाया। अगले साल फिनलैंड की वर्ल्ड एथलीट मीट में गोल्ड जीता। श्रीलंका में लॉन्ग जंप में इंटरनेशनल रिकार्ड भी बनाया। उनके नाम अब तक 329 पदक हो चुके हैं। जिनमें 146 गोल्ड, 54 सिल्वर व 16 ब्रॉन्ज मेडल हैं।

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52 साल के सुनील जैन की पहचान ‘रिकाॅर्ड वाले जैन साहब’ के नाम से
15 साल में 52 बार किया ब्लड डोनेट, अंकल की मौत के बाद बनाया मिशन

भोपाल. 52 साल के सुनील जैन गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एक केमिकल फैक्टरी के मालिक हैं लेकिन, हमीदिया अस्पताल ब्लड बैंक में सुनील जैन की पहचान ‘रिकाॅर्ड वाले जैन साहब’ के नाम से हैं। वह 15 साल से लगाता ब्लड डोनेट कर रहे हैं।
इस शख्स ने 15 साल में 52 बार क्यों किया ब्लड डोनेट...
हालत गंभीर थी और अंकल दर्द से कराह रहे थे
सुनील बताते हैं दिसंबर 2000 में टीनशेड के नजदीक दोस्त वीरेंद्र कांडा के पिता को मिनी बस ने टक्कर मार दी थी। घायल अंकल के सिर से काफी खून बह गया। हमीदिया अस्पताल में डाॅक्टर्स ने हालत गंभीर बताई। सर्जरी के लिए तीन यूनिट ब्लड चाहिए था। कोई भी परिजन ब्लड डोनेट करने की स्थिति में नहीं था। अंकल दर्द से कराह रहे थे। मैं ब्लड बैंक पहुंचा तो यहां ड्यूटी कर रहे टेक्नीशियन ने दो यूनिट ब्लड डोनेट करने के बाद ही 3 यूनिट ब्लड देने की शर्त रखी। तब मैंने और वीरेंद्र ने एक-एक यूनिट ब्लड डोनेट किया। उस दिन जिंदगी में ब्लड की जरूरत का अहसास हुआ।
हर तीन महीने में करते हैं ब्लड डोनेट
हमीदिया अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. यूएम शर्मा बताते हैं कि सुनील जैन ने बीते 15 सालों में 35 बार ब्लड डोनेशन मरीज के परिजनों के फोन कॉल पर आकर अस्पताल में किया है। जबकि 17 बार अस्पताल द्वारा लगाए गए विभिन्न कैंपों में उन्होंने रक्तदान किया है। उनकी तीन-तीन महीने के अंतर से ब्लड डोनेट करने की आदत के कारण ब्लड बैंक के कर्मचारी भी अब मोबाइल फोन के रिमाइंडर सेक्शन में उनके ब्लड डोनेशन की तारीख नोट रखते हैं। डॉ. शर्मा के मुताबिक रविवार को गुजराती समाज भवन में लगाए गए रक्तदान शिविर में उन्होंने ब्लड डोनेट किया।

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ताड़ पत्रों पर नए सिरे से लिखा जा रहा जैन धर्म ग्रंथ
श्वेतांबर जैन धर्म के आगमों को ताड़ पत्र पर नए सिरे से लिखा जा रहा है। यह काम श्वेतांबर के तपागच्छ समुदाय के आचार्य श्री विजय कीर्ति यश सूरीश्वर जी महाराज के निर्देशन में ओडि़शा में पिछले 20 सालों से चल रहा है। इसका 99 फीसदी काम पूरा हो चुका है। अब श्लोकों का संपादन किया जा रहा है।
इस काम का जिम्मा संभाल रहे सूरत के मनेश भाई ने भास्कर को बताया कि विश्व में पहली बार पौराणिक विधि से ताड़पत्रों पर जैन भगवान की वाणियों को उकेरा जा रहा है। इसके लिए श्रीलंका के श्री पत्र और दक्षिण अफ्रीका व ओडि़शा के ताड़ पत्रों का प्रयोग किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 1995-96 में हुई थी। इन ताड़पत्रों को सुरक्षित रखने के लिए बंकर बनाने की योजना भी है। बताते चलें कि जैन धर्म में भगवान की वाणी को ही आगम (धर्मग्रंथ) कहा जाता है।
1 श्लोक पर 10 रु. खर्च
मनेश भाई के अनुसार एक श्लोक लिखने का खर्च सात से दस रुपए आता है। अभी तक करीब आठ करोड़ श्लोक लिखे जा चुके हैं। ताड़ पत्रों पर श्लोक के अक्षरों को पहले कुरेदा जाता है, फिर उसमें स्याही भरी जाती है। लिखने के लिए ओडि़शा के करीब तीन सौ स्त्री-पुरुष जुटे हैं। इन्हें ट्रस्ट की ओर से मेहनताना देने के साथ मकान भी दिया गया है। सभी का स्वास्थ्य बीमा भी कराया गया है।
ताड़ पत्रों पर लिखे जा रहे हैं 96 धर्मग्रंथ
जैन धर्म में 45 आगमों समेत अन्य कई प्रकार के धर्मग्रंथ हैं। आचार्य जी 96 धर्मग्रंथों के श्लोकों को ताड़ पत्रों पर लिखवा रहे हैं। ताकि यह सालों तक संरक्षित और सुरक्षित रह सके। ताड़ पत्रों को विशेष पद्धति से तैयार करने के बाद लिखने के काम में लाया जा रहा है। इसमें न तो कीड़े लगेंगे और न ही अक्षर गायब होंगे। शुरुआत में इस काम को मुंबई के राजन भाई और चंद्रशेखर भाई ने किया थी। अब ट्रस्ट ने इस काम का जिम्मा संभाला है।
हर राज्य में बनेगा बंकर
ताड़ पत्र पर लिखे इन धर्मग्रंथों को सुरक्षित रखने के लिए देश के सभी राज्यों में एक-एक भूमिगत बंकर बनाने की योजना है। शुरुआत में इसे सम्मत शिखर जी, नासिक के वणी गांव (सतपुड़ा) और हस्तगिरि, पालिताणा में बनाया जाएगा। इसका मॉडल तैयार हो चुका है। वणी में तो काम भी शुरू हो चुका है। वास्तुविद और स्थापत्य कला से जुड़े सलाहकार व इंजीनियरों की टीम तैयार है। एक बंकर पर करीब छह करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह बंकर बम रोधी व भूकंपरोधी होगा।

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If you realized how powerful your thoughts are, you would never think a negative thought.

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