09.02.2016 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 09.02.2016
Updated: 09.02.2016

News in Hindi

एक ही छत के नीचे हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बच्चों को शिक्षा मिल रही है।
जो उड़ाते थे मजाक, आज वही करते हैं तारीफ, फ्री एजुकेशन दे रही है ये लड़की

नौबस्ता थानाक्षेत्र के मछरिया इलाके में रहने वाली दिव्यांग समर मलाला की तरह मिसाल बनी हुई हैं। वो 50 गरीब बच्चों को फ्री में एजुकेशन दे रही हैं। एक ही छत के नीचे हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बच्चों को शिक्षा मिल रही है। समर ने बताया कि जो लोग विकलांग होने की वजह से पहले उसका मजाक उड़ाते थे, आज वही उसकी तारीफ करते हैं।
गरीबी-विकलांगता की वजह से छोड़नी पड़ी पढ़ाई
- मोटर मैकेनिक शफीक अहमद के परिवार में पत्नी शमीना बेगम, बड़ी बेटी समर जहां और चार बच्चे हैं।
- समर दाएं पैर से जन्म से विकलांग है। गरीबी और दिव्यांग होने की वजह से वह बीएसएसी कंप्लीट नहीं कर सकी।
- वह डॉक्टर बनकर देश की सेवा करना चाहती थी, लेकिन उसका सपना टूट गया।
- इसी दौरान सोचा कि क्यों न गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाया जाए।
2 साल में 150 बच्चों को दे चुकी हैं शिक्षा
- समर बताती हैं कि वह पिछले 2 साल से गरीब बच्चों को पढ़ा रही हैं।
- इस वक्त करीब 50 बच्चे उनके पास पढ़ने आते हैं। अब तक गरीब 150 बच्चों को पढ़ा चुकी हैं।
- इनमें से कुछ बच्चे काफी गरीब हैं। उन्हें स्कूल भेजने के लिए उनके मां-बाप के पास पैसे नहीं हैं।
- उन्हें घर में ही पढ़ाकर काबिल बना रही हैं, ताकि वे अपने सपने को साकार कर सकें।

स्कूल आने-जाने में होती थी दिक्कत

- समर ने बताया कि उन्हें स्कूल आने-जाने में दिक्कत होती थी, क्योंकि वहां स्पेशल बच्चों के लिए अलग से रैंप नहीं बना था।
- बाहर उसे संभालने के लिए हर वक्त किसी का पास होना जरूरी था, लेकिन घर के सभी लोग बिजी रहते थे।
- गरीब होने के कारण फैमिली उसकी पढ़ाई कंप्लीट नहीं करा सकी।
- लोग उसके दिव्यांग होने पर मजाक उड़ाते थे।
क्या कहते हैं पढ़ने वाले बच्चे?
- क्लास में पढ़ने वाली फरीन ने बताया कि उसके पिता मजदूरी करते हैं। गरीब होने की वजह से उसके पिता स्कूल नहीं भेज पाते हैं।
- इस वजह से यहां पढ़ने आती है। उसके भाई-बहन भी टीचर से पढ़ते हैं।
- वहीं, रुबीना ने कहा कि वो पहले स्कूल नहीं जाती थी, लेकिन दीदी (समर) के समझाने के बाद अब घरवाले उसे पढ़ने के लिए भेजते हैं।
- प्रदीप के पिता बलवंत बताते हैं कि उनके परिवार में कोई पढ़ा-लिखा नहीं है, लेकिन अब उनका बेटा सभी का नाम लिख लेता है।
समर के माता-पिता को बेटी पर है गर्व
- समर की मां शमीना बेगम कहती हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है।
- उसने अपनी विकलांगता को कभी कमजोरी नहीं बनने दिया।
- समर के पिता का कहना है कि उनकी बेटी के अंदर समाज को आगे बढ़ाने का जज्बा है।

Source: © Facebook

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Happiness is not having what you want. It's appreciating what you have.

पहली बार किसी गैर जैन ने लिया जैन संत से संन्यास....
पिता पर जानलेवा वार ने बदला मन,24 साल की यह लड़की हो गई 'संन्यासिन'

भोपाल/दमोह। पिता पर हुए हमले के बाद यादव समाज की पढ़ी-लिखी लड़की का मन ऐसा पलटा कि उसने सन्यास ले लिया। बीएससी करने के बाद कम्पूटर की डिग्री ले रही इस लड़की ने आचार्य विद्यासागरजी महाराज के सान्निध्य में संन्यास ग्रहण किया है। इस मौके पर सैकड़ों गांव वालों ने उसकी भावभीनी विदाई दी। इस लड़की की ज्यादातर सहेलियां जैन समाज से हैं। उनके संग रहते हुए इस लड़की के मन में संन्यास की भावना जागी।
पहली बार किसी गैर जैन ने लिया जैन संत से संन्यास....
अजीतपुर खमरिया गाँव के पूर्व सरपंच हल्के सिंह यादव की पुत्री रंजीता ने आचार्य विद्यासागरजी महाराज के समक्ष पहुंचकर ब्रम्हचर्य का व्रत ले लिया। एक संपन्न यादव परिवार की लड़की के संन्यास लेने का ये पहला मामला है। अमूमन जैन समाज की लड़कियां अपने संत के सामने संन्यास लेती हैं। पिछले दिनों जैन समाज की दो लड़कियों ने संन्यास लिया था, जो अब आर्यिका विपुलमति माता जी एवं आर्यिका चेतनमति माता जी के नाम से पहचानी जाती हैं।
सम्पन्न परिवार से है रंजीता...
रंजीता का जन्म सन 5 जून 1992 में ग्राम खमरिया मे हुआ था। रंजीता ने बीएससी कम्पलीट कर पीजीडीसीए की परीक्षा दी है। रंजीता का परिवार सम्पन्न किसानों में शुमार है। उनके घर में ट्रैक्टर सहित महंगे कृषि उपकरण के साथ लगभग 30 एकड़ भूमि है। रंजीता के परिवार में पिता हल्के सिंह, माता सुनीता, बड़ी बहन लक्ष्मी और बड़े भाई रामजी यादव के अलावा छोटा भाई जनमेष है। बड़े बहन-भाई की शादी हो चुकी है।
छोटी-छोटी बातों पर हिंसा से थी तंग..
रंजीता ने कहा-'यादव समाज के लोग छोटी छोटी बातों को लेकर हिंसा का रास्ता अपना लेते हैं। जिससे बड़ी घटनाएं घट जाती हैं। दो साल पहले मेरे पिता और परिवार के साथ मारपीट की घटनाएं हुई थीं। गांव के ही यादव समाज के लोगों ने पिता के ऊपर प्राण घातक हमला किया था। बमुश्किल उनकी जान बची। सिर में गंभीर चोटों के चलते अब वे स्प्ष्ट बोल नहीं पाते। मैं चाहती हूं कि संपूर्ण समाज हिंसा छोड़ कर अहिंसा का मार्ग अपनाएं। आपसी झगड़ों से सिर्फ हानि होती है। इस कारण मैंने अहिंसा का मार्ग चुना है।
ग्रथों का ज्ञान आया काम
रंजीता ने कहा कि राम चरित्र मानस में स्पष्ट लिखा है कि संतों के संतसंग से ही जीवन का कल्याण हो सकता है। गुरु विद्यावाणी में लिखा है मोक्ष को सिर्फ वीतराग धारण करने से ही प्राप्त हो सकता है। लोग कहते हैं कि जैन मंदिर में अन्य समाज के लोग नहीं जा सकते हैं ये सोचना गलत है। जैन संत और भगवान सभी के होते हैं।

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जान बची तो 40 शहरों में बताए हेलमेट के फायदे
यह कहानी है शहर के अंकित जैन और शेखू की। वर्ष 2013 अक्टूबर में अंकित का बाइक चलाते समय एक्सीडेंट हुआ। उनके हाथ-पैर में चोट थी लेकिन सिर सुरक्षित। ऐसा इसलिए कि वह हेलमेट लगाए थे।
अंकित को बाइक राइडिंग का शौक शुरू से रहा है। इसलिए उन्होंने राइडिंग के दौरान लोगों को खासतौर से युवाओं को हेलमेट के फायदे बताने का निर्णय लिया। पिछले 2 वर्षों में अंकित बाइक से करीब 20 हजार किमी की राइड कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वे अकेले नहीं है ऐसा करने वाले, इससे पहले शहर के शेखू राजा भी युवाओं को यातायात नियमों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। यह दोनों ही नॉर्थ ईस्ट से लेकर हिमाचल और देश के कई शहरों में होकर आए हैं।
राइड पर किट पहनकर जा सकते हैं
शेखू और अंकित हेल्थ के प्रति और यातायात नियमों को लेकर काफी जागरूक हैं। वह महीने में एक या दो राइड जरूर करते हैं। अगर कोई दोस्त इनके साथ जाना भी चाहे तो, वह तभी जा सकता है जब उसके पास हेलमेट के साथ राइडिंग किट हो।
हेलमेट के साथ किट भी
शेखू और अंकित हेलमेट लगाने के साथ-साथ राइडिंग किट की भी जानकारी देते हैं। वह लोगों को बताते हैं कि हमेशा लंबी राइड करते समय राइडिंग जैकेट और हाथों के ग्लब्स जरूर पहनें। दोनों ही 40 से ज्यादा शहर घूम चुके हैं। इनका यह अभियान इसलिए भी प्रभावी है क्योंकि देशभर में बाइक सवारों को हेलमेट पहनाने के लिए ट्रैफिक पुलिस और कई सामाजिक संस्थाएं कार्य कर रही हैं। इसमें यह दोनों भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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