10.02.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 10.02.2016
Updated: 05.01.2017

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❖ मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र @ Statue of Ahinsa -108 feet Tirthankara Adinatha monotholic Idol.. [ Highest Jain Idol Of the World ] ❖

With great continuous efforts, the grand task of construction of 108 ft. high standing idol of the first Tirthankar Shri Rishabhdev in a single stone of the Mangitungi Mountain is going to be completed now in the year 2016 and you all are cordially invited for the Panchkalyanak Pratishtha & Mahamastakabhishek of this gracious-matchless-historical & highest idol of Digambar Jains from 11th-17 th Feb. 2016

मांगीतुंगी (महाराष्ट्र). नासिक के मांगीतुंगी में भगवान ऋषभदेव की 108 फीट ऊंची मूर्ति, अखंड पाषाण से आकार ले चुकी है। विश्व की सर्वाधिक ऊंची जैन मूर्ति है |

इसका पंचकल्याणक 11 से 17 फरवरी के बीच में होगा। विश्वभर से लाखों लोग इस महोत्सव में सम्मिलित होंगे ||

जैन धर्म के पवित्र सिद्ध क्षेत्र कर्नाटक में श्रावणबेलगोला में सर्वाधिक ऊंची मूर्ति 57 फीट की भगवान् बाहुबली की है |

विशेष: गृहस्थ जीवन में, भगवान् आदिनाथ के पुत्र थे भगवान बाहुबली.. मंगीतुंगी में बन रही भगवन आदिनाथ की प्रतिमा लगभग दोगुनी ऊंचाई की हैं, श्रवणबेलगोला के भगवान बाहुबली की प्रतिमा से..

पंचकल्याणक महोत्सव 11 से 17 फरवरी 2016 महामस्तकाभिषेक 18 फरवरी से प्रारम्भ ★ऐसी है मूर्ति की रचना

दुनिया में इस मूर्ति की पहचान “स्टेच्यु ऑफ अहिंसा” के नाम से होगी।

★1996 से योजना पर काम शुरू हुआ। 2001 से मूर्ति बनाने का काम शुरू हुआ।

★राजस्थान, मप्र और झारखंड से 250 से अधिक कारीगर लगे हैं।

★शासन ने इस महोत्सव की व्यवस्था एवं तैयारी हेतु, क्षेत्र के विकास हेतु सहमति दी है

★50 से अधिक इंजीनियर्स ने भी यहां सेवाएं दीं। आधुनिक तकनीक मशीनों का इस्तेमाल।

★समुद्रतल से 2500 फीट ऊंचाई पर स्थित चार पहाड़ियों के बीच मूर्ति बनाते समय प्रदूषण न हो, इसकी पूरी सावधानी बरती गई।

★मूर्ति के 14 फीट के कान हैं। सिर पर 5 फीट के बाल बनाए गए हैं।

★पहाड़ पर मूर्ति तक सीधे पहुंचने के लिए तलहटी से करीब डेढ़ किमी लंबा रास्ता बनाया गया है।

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🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: माघ शुक्ल तृतीया, २५४२
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पाषाण भीगे
वर्षा में हमारी भी
यही दशा है

भावार्थ: इस हाईको के माध्यम से आचार्य श्री कहते हैं कि हमारी दशा वर्षा में भीगे उस पाषाण की तरह है जो वर्षा के समाप्त होते ही भीगने के कुछ समय बाद ही सूख जाता है । सही है हम प्रतिदिन एक सूत्र पड़ते हैं किन्तु उसको आत्मसात नहीं कर पाते । जितने समय पूजा करते हैं, स्वाध्याय, सामयिक आदि करते हैं अथवा जितने समय गुरुओं की वाणी सुनते हैं बस उतने समय ही हम धर्म में भीगे रहते हैं मंदिर से अथवा स्वाध्याय कक्ष से अथवा प्रवचन के पांडाल से बाहर आते ही हम सब भूल जाते हैं और फिर विषय कषायों में लग जाते हैं । सही है हमारी स्थिति उस वर्षा में भीगे पाषाण की तरह ही है ।
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"राष्ट्र हित चिंतक"आचार्य श्री के सूत्र
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#देशना #आचार्यश्री #तेंदूखेडा #आजकाद्रश्य Acharya Shri Golden tips of the Day --- ❖ यदि सौ काम छोड़कर भोजन जरूरी है, तो हजार काम छोड़कर स्वाध्याय जरूरी है -आचार्य श्री विद्यासागर जी! ❖

आप हजार काम छोड़कर स्वाध्याय कीजिए । भोजन से बना आपका शरीर तो यहीं रह जाएगा पर स्वाध्याय से प्राप्त ज्ञान आपके साथ जायेगा और दूसरे जन्म में भी आपको लाभ पहुँचाएगा । वहाँ बिना परिश्रम किये आपके ज्ञान की खिड़कियाँ खुलती जायेंगी । विचार कीजिए, भोजन इसी लोक में काम आता है, पर स्वाध्याय से लोक—परलोक दोनों बनते है । share it everywhere. please read this article to know meaning of 'स्वाध्याय' - we usually think 'स्वाध्याय' means reading scripture or spiritual/religious books but it is more than that. here is the link - https://en.wikipedia.org/wiki/Sv%C4%81dhy%C4%81ya

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News in Hindi

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❖ पिता पर हुए हमले से बदला मन, 24 साल की लड़की ने ले लिया संन्यास @ तेंदूखेडा.. ❖ पिता पर हुए हमले के बाद यादव समाज की पढ़ी-लिखी लड़की का मन ऐसा पलटा कि उसने सन्यास ले लिया। बीएससी करने के बाद कम्पूटर की डिग्री ले रही इस लड़की ने आचार्य विद्यासागरजी महाराज के सान्निध्य में संन्यास ग्रहण किया है। इस मौके पर सैकड़ों गांव वालों ने उसकी भावभीनी विदाई दी। ❖

>पहली बार किसी गैर जैन ने लिया जैन संत से संन्यास.... अजीतपुर खमरिया गाँव के पूर्व सरपंच हल्के सिंह यादव की पुत्री रंजीता ने आचार्य विद्यासागरजी महाराज के समक्ष पहुंचकर ब्रम्हचर्य का व्रत ले लिया। एक संपन्न यादव परिवार की लड़की के संन्यास लेने का ये पहला मामला है। अमूमन जैन समाज की लडकियां अपने संत के सामने संन्यास लेती हैं। पिछले दिनों जैन समाज की दो लड़कियों ने संन्यास लिया था, जो अब आर्यिका विपुलमति माता जी एवं आर्यिका चेतनमति माता जी के नाम से पहचानी जाती हैं।

>सम्पन्न परिवार से है रंजीता... रंजीता का जन्म सन 5 जून 1992 में ग्राम खमरिया मे हुआ था। रंजीता ने बीएससी कम्पलीट कर पीजीडीसीए की परीक्षा दी है। रंजीता का परिवार सम्पन्न किसानों में शुमार है। उनके घर में ट्रैक्टर सहित महंगे कृषि उपकरण के साथ लगभग 30 एकड़ भूमि है। रंजीता के परिवार में पिता हल्के सिंह, माता सुनीता, बड़ी बहन लक्ष्मी और बड़े भाई रामजी यादव के अलावा छोटा भाई जनमेष है। बड़े बहन-भाई की शादी हो चुकी है।

>छोटी-छोटी बातों पर हिंसा से थी तंग.. रंजीता ने कहा-'यादव समाज के लोग छोटी छोटी बातों को लेकर हिंसा का रास्ता अपना लेते हैं। जिससे बड़ी घटनाएं घट जाती हैं। दो साल पहले मेरे पिता और परिवार के साथ मारपीट की घटनाएं हुई थीं। गांव के ही यादव समाज के लोगों ने पिता के ऊपर प्राण घातक हमला किया था। बमुश्किल उनकी जान बची। सिर में गंभीर चोटों के चलते अब वे स्प्ष्ट बोल नहीं पाते। मैं चाहती हूं कि संपूर्ण समाज हिंसा छोड़ कर अहिंसा का मार्ग अपनाएं। आपसी झगड़ों से सिर्फ हानि होती है। इस कारण मैंने अहिंसा का मार्ग चुना है।

>ग्रथों का ज्ञान आया काम... रंजीता ने कहा कि राम चरित्र मानस में स्पष्ट लिखा है कि संतों के संतसंग से ही जीवन का कल्याण हो सकता है। गुरु विद्यावाणी में लिखा है मोक्ष को सिर्फ वीतराग धारण करने से ही प्राप्त हो सकता है।

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