23.02.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 23.02.2016
Updated: 05.01.2017

Update

Source: © Facebook

#Jainism #compassion #MuniPranamSagarJi @ #mangitungi

News in Hindi

Source: © Facebook

🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: फाल्गुन कृष्ण एकम, २५४२

------------------
तैराक बना
बनूँ गोताखोर सो
अपूर्व दिखे

भावार्थ: इस हाइकू के माध्यम से आचार्य श्री कहते हैं कि हम अभी तैराक ही बने हुए हैं, गोताखोर नहीं बने, गोताखोर बनने पर ही जल की असीम गहराईयों में छिपी उस अपूर्व सुन्दर निधि का दर्शन होता है जैसा पूर्व में कभी नहीं हुआ । दूरदर्शन के माध्यम से सागर में गोताखोरी करते हुए गोताखोर तरह तरह के जीव जंतुओं एवं पौधों के चित्र दिखाते हैं किन्तु ऊपरी तरह पर तैरने वाले तैराक उन दृश्यों को नहीं देख पाते । हमारी स्थिति भी ऐसी ही है । जिनेन्द्र भगवान के दर्शन हम ऊपर ऊपर से ही कर लेते हैं । जिनवाणी में भी गोते नहीं लगाते और अपनी आत्मा की गहराइयों में डूब जाने को भी कभी हमारा दिल नहीं करता । अब हमे उस अपूर्व सुख के दर्शन करने के लिए गोताखोर बनने की आवश्यकता है । जिस प्रकार गोताखोर जल में गोता लगाने से पहले अपने नाम, कान, मुख आदि बंद कर लेता है उसी प्रकार हमे भी अपनी आत्मा की गहराइयों में डूबने से पहले अपनी इन्द्रियों को वश में करना आवश्यक है
---------------------------------------------
ऐसे सन्देश प्रतिदिन अपने फ़ोन पर प्राप्त करने के लिए इस नंबर को अपने फ़ोन में जोड़ें और व्हाट्सप्प के माध्यम से अपना नाम, स्थान एवं आयु सूचित करें ।
-------------------------
+917721081007
मोबाइल ब्रॉडकास्ट सेवा
"राष्ट्र हित चिंतक"आचार्य श्री के सूत्र
❖ ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ❖

Source: © Facebook

#Pravachan #AcharyaShri #Koniji #LatestPic दृष्टि नासा पे रखे..

आज आचार्यश्री ने इस पंक्ति पर विवेचना करते हुए कहा की सामान्य अर्थों में आप सभी इसका अर्थ निकलते हैं की अपनी नज़र नासा यानि नाक के ऊपर रखनी चाहिए.. वस्तुतः ऐंसा नहीं है नासा =ना + आशा
यानि किसी भी प्रकार की आशा अपनी नज़र में न रखना और यही कारन है की हमारी नज़र हमेशा नीचे की और होती है हमें किसी भी चीज से कोई भी आशा नहीं यही कारन है की हम निकलते हैं तो श्रावक बोलते हैं की महराज नीची नज़र रखते हैं हम श्रावको की और नहीं देखते ऐंसा नहीं है हमें जब आपसे कोई आशा ही नहीं सो नासा द्रष्टि रखते हैं
आचार्य श्री ने आगे कहा की आज समय बहुत बदल गया है पहले पैसा नहीं चलता था अनाज के बदले अनाज मिलता था इसलिए उत्पादन होता था और अनाज भरा पड़ा रहता था परंतु आज उस अनाज की जगह रुपयो ने ले ली जिसे गधा तक नई सूंघता और आप सब उसे बैंको में संभाल क्र रखे हैं इस अर्थ का कोई मूल्य नहीं है इस अर्थ ने ही कई अनर्थ किये हैं अर्थ की कोई मान्यता नहीं ये आपकी चर्या में कमी लाने का साधन है
आज हमारी दृष्टि में बाहर बसा है बहार नहीं सभी कूप मंडूक के समान हो गए हैं वह न बने ऐंसी पुनरावृत्ति न हो

आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने ठेठ बुन्देली शब्दों का बहुतायत प्रयोग किया

Source: © Facebook

🚩गंदोदक की महिमा 🚩-Muni SudhaSagar Ji ke pravachan..

१. भगवान को छूने का अधिकार जैन कुल ने दिया है लेकिन अगर इस अवसर का उपयोग नहीं किया तो कर्म आपको फिर इस अवसर से वंचित कर देगा!

२. प्राचीन शास्त्रों में पुरुषों के लिए जिन पूजा का नियम है और पूजा का आद्यांग (पहला अंग) अभिषेक है, केवल देव दर्शन नहीं; क्योंकि देव दर्शन तो पशु, हरिजन, महिला, कोड़ रोगी या पापी भी कर सकते हैं लेकिन ये सभी अभिषेक नहीं कर सकते!

३. मै (सुधा सागर महाराज जी) बहुत करुणा कर के कह रहा हूँ की बहुत गरीबी के समय माँ / घर की महिलाओं को भीख मंगवाने से भी बड़ा पाप है की तुम्हारे जीतेजी तुम्हारी माँ / घर की महिलाओं को मंदिर में जाके किसी और से गंदोदक माँगना पड़े!

४. १००० मुनिराज भी आशीर्वाद दे उससे भी ज्यादा मंगलकारी है अगर घर के पुरुष खुद गंदोदक बना के अपने घर की महिलाओं / बच्चो को लगाये

५. यहाँ तक की घर के पशुओं / नौकरों को भी गंदोदक दीजिये! घर पे आये मेहमान, घर पे आयी बारात का स्वागत गंदोदक से करिये! इसके लिए छोटा सा कलश रखिये और मंदिर जी से कभी खाली मत आओ! उस कलश में गंदोदक भर के घर लाइए! ऐसा करना बहुत ही मंगलकारी है! शाम को उस गंदोदक को या तो अपने सर पे लगा लीजिये, या ऐसी जगह डाल दीजिये जहा किसी के पैर न पड़ते हो!

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Jainism
          2. JinVaani
          3. Muni Sudhasagar
          4. Pravachan
          5. Sudhasagar
          6. आचार्य
          7. कृष्ण
          8. दर्शन
          9. पूजा
          10. सागर
          Page statistics
          This page has been viewed 789 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: