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“To live in the presence of great truths and eternal laws, to be led by permanent ideals, that is what keeps a man patient when the world ignores him and calm and unspoiled when the world praises him.” #mangitungi #AdinathaSwami
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❖ विश्व की अद्वितीय प्रतिमा @ सिद्ध क्षत्र बावनगजा/चुलगिरी -भगवान् आदिनाथ जी 84 फीट! -इस सिद्ध क्षेत्र से रावण का भाई कुम्भकर्ण और रावण के पुत्र मेघनाद को यहां मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। रावण की पटरानी मंदोदरी ने अस्सी हजार विद्याधारियों के साथ यहीं आर्यिका दीक्षा ग्रहण की थी। [ यहां एक मंदोदरी प्रासाद भी है। इस जैन मंदिर में जैन प्रतिमाएं हैं। कहा जाता है कि रावण की पटरानी मंदोदरी ने इस जगह में आकर तपस्या की थी। ] मध्यप्रदेश के बड़वानी शहर से 8 किमी दूर स्थित इस पवित्र स्थल में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेवजी (आदिनाथ) की 84 फुट ऊँची उत्तुंग प्रतिमा है। सतपुड़ा की मनोरम पहाडि़यों में स्थित यह प्रतिमा भूरे रंग की है और एक ही पत्थर को तराशकर बनाई गई है। सैकड़ों वर्षों से यह दिव्य प्रतिमा अहिंसा और आपसी सद्भाव का संदेश देती आ रही है। ❖
Bawangaja/Choolgiri (meaning 52 yards is a famous Jain pilgrim center in the Barwani district of Madhya Pradesh in India. Its main a#ttraction is the megalithic statue (carved out of mountain) of Lord Adinatha, the first Jain Tirthankara. The statue is 84 feet (26 m) high, and was created early in the 12th century. The statue is supported from the back unlike the Gommateshwara statue of Lord Bahubali at Shravanabelagola, Karnataka. The great spiritual saint Acharya Kundkund Dev also meditate from choolgiri and have small temple on choolgiri.
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उड़ना भूली
चिड़िया सोने की तू
उठ उड़ जा
आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज राष्ट्र के हित के लिए विचार ही नहीं करते अपितु समर्पित युवाओं को राष्ट्र हित के कार्य करने की प्रेरणा भी देते हैं । आचार्य श्री कहते हैं कि भारत सोने की चिड़िया कल भी था और आज भी है । चिड़िया को यदि वर्षों तक पिंजरे में कैद कर दिया जाए । उसके बाद यदि उसका पिंजरे खोल भी दिया जाए तो वह उड़ना भूल जाती है । उसी प्रकार वर्षों से गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहने के बाद आज आज़ादी के ५९ वर्ष बाद भी यह सोने की चिड़िया भारत वह उड़ान नहीं भर पा रहा । इसका मुख्य कारण है अपने पंखों पर विश्वास खोकर यह कृत्रिम विदेशी पंखों के सहारे उड़ने का प्रयास कर रही है । यदि सभी भारतीय अपने स्वाभिमान को ध्यान में रखकर अपनी वसुधा के लिए कार्य करें । अपनी आजीविका के लिए किसी विदेशी की नौकरी पर निर्भर न रहकर स्वयं अपने खेतों में अनाज रुपी सोना उगाएं, अपने वस्त्र आदि स्वयं बनाएं, गौ पालन के माध्यम से ऊर्जा, खाद, घरेलु उत्पादों के अन्य विकल्प खोजे। बच्चों को मर्यादा रुपी अपनी संस्कृति की सही शिक्षा दें तो यह चिड़िया फिर से उड़ सकती है । हमारी जल वायु अन्य ठन्डे देशों की अपेक्षा इतनी संतुलित है कि आज भी हम अपनी मेहनत के द्वारा विश्वगुरु बन सकते हैं ॥ स्वाभिमान रहे हमेशा ध्यान ॥
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"राष्ट्र हित चिंतक"आचार्य श्री के सूत्र
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राग भिन्न है मेरा आत्मा भिन्न है!
द्वेष भिन्न है मेरा आत्मा भिन्न है!
मोह भिन्न है मेरा आत्मा उनसे भिन्न है!
क्रोध मान माया लोभ कषाय भिन्न है मेरी आत्मा इनसे अलग है!
पंचेन्द्रिय विषय व्यापार सुखाभास है!
मन,वचन,काय भिन्न है, मेरा आत्मा अलग है!
ये तीनों जड़ है मैं चैतन ज्ञानमूर्ति हूँ!
भावकर्म, द्रव्य कर्म, नोकर्म, कर्म की पर्याय है!
मुझसे भिन्न है! मैं इनसे भिन्न हूँ!
कर्म मेरा स्वाभाव नहीं है!
कर्मोंके उदय, उपशम, क्षय,क्षयोपशम में भी मेरा स्थान नहीं है!
मैं शरीर से भिन्न चैतन्य प्राणोंसे जीनेवाला परमानंदी आत्मा हूँ।
ध्यान सूत्राणि - आचार्य मघनान्दी
# अर्हद्दास जैन #
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पूज्य साधू संघ विराजमान
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परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ, अतिशय क्षेत्र श्री कोनी जी जिला जबलपुर में विराजमान हैं ।
जैन न्यूज़ 🔸🔸🔸🔸🔸
पूज्य मुनिश्री समय सागर जी महाराज ससंघ का मंगल बिहार सिद्धवरकूट की ओर चल रहा है ।
जैन न्यूज़ 🔸🔸🔸🔸🔸
पूज्य मुनिश्री सुधासागर जी महाराज, ससंघ
पूज्य मुनिश्री वीरसागर जी महाराज ससंघ
पूज्य मुनिश्री आगम सागर जी महाराज ससंघ के परम सानिध्य में चल रहे पञ्च कल्याणक महोत्सव, बाय जिला सीकर राजस्थान में ।
इसके बाद पूज्य मुनि पुंगव श्री के सानिध्य में 2 से 7 मार्च तक घाटोल में तथा 10 से 15 मार्च तक तल बाड़ा में होंगे भव्य पंचकल्याणक महोत्सव ।
जैन न्यूज़ 🔸🔸🔸🔸🔸
वन्दनीय आर्यिका श्री पूर्ण मति माताजी का ससंघ विहार पृथ्वीपुर से अतिशय क्षेत्र बंधा जी की ओर आज हुआ ।
■अनिल बड़कुल, जैन न्यूज़
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🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: फाल्गुन कृष्ण एकम, २५४२
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उड़ना भूली
चिड़िया सोने की तू
उठ उड़ जा
भावार्थ: आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज राष्ट्र के हित के लिए विचार ही नहीं करते अपितु समर्पित युवाओं को राष्ट्र हित के कार्य करने की प्रेरणा भी देते हैं । आचार्य श्री कहते हैं कि भारत सोने की चिड़िया कल भी था और आज भी है । चिड़िया को यदि वर्षों तक पिंजरे में कैद कर दिया जाए । उसके बाद यदि उसका पिंजरे खोल भी दिया जाए तो वह उड़ना भूल जाती है । उसी प्रकार वर्षों से गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहने के बाद आज आज़ादी के ५९ वर्ष बाद भी यह सोने की चिड़िया भारत वह उड़ान नहीं भर पा रहा । इसका मुख्य कारण है अपने पंखों पर विश्वास खोकर यह कृत्रिम विदेशी पंखों के सहारे उड़ने का प्रयास कर रही है । यदि सभी भारतीय अपने स्वाभिमान को ध्यान में रखकर अपनी वसुधा के लिए कार्य करें । अपनी आजीविका के लिए किसी विदेशी की नौकरी पर निर्भर न रहकर स्वयं अपने खेतों में अनाज रुपी सोना उगाएं, अपने वस्त्र आदि स्वयं बनाएं, गौ पालन के माध्यम से ऊर्जा, खाद, घरेलु उत्पादों के अन्य विकल्प खोजे। बच्चों को मर्यादा रुपी अपनी संस्कृति की सही शिक्षा दें तो यह चिड़िया फिर से उड़ सकती है । हमारी जल वायु अन्य ठन्डे देशों की अपेक्षा इतनी संतुलित है कि आज भी हम अपनी मेहनत के द्वारा विश्वगुरु बन सकते हैं ॥ स्वाभिमान रहे हमेशा ध्यान ॥
विशेष: संलग्न छायाचित्र प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ के सौजन्य से प्राप्त हुआ ।
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