01.03.2016 ►Muni Jayant Kumar ►Bhagwan Mahaveer Jayanti

Published: 03.03.2016

Muni Jayant Kumar

News in Hindi:

भगवान महावीर जयंती विशेष
करें प्रयास भगवान महावीर को समझने का
मुनि जयंत कुमार

भगवान महावीर की जन्मजयंती के अवसर पर मैं आपसे कुछ बातें कहना चाहता हूं। मुझे बड़ी हैरानी होती है यह जानकर कि लोग भगवान महावीर को उतना ही जानते हैं जितना उनके बारे में लिखा गया है, जितना उनके बारे में पढ़ा गया है। लेकिन बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि लोग उनके अंतस्तल को देख नहीं पाये हैं। आज भी लोग उन्हें करीब से जानने और समझने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। उनकी पूजा करना, आदर देना एक अलग बात है। श्रद्धा से स्मरण करना एक अलग बात है। परंतु ज्ञान से, विवेक से और समझ से पहचान लेना दूसरी बात है। भगवान महावीर की पूजा के साथ-साथ उन्हें समझने का भी मूल्य है।

उनके भक्त उनकी पूजा तो करते हं लेकिन उन्हें समझने का प्रयास नहीं करते हैं। यह स्वयं को ही धोखा देने वाली बात है। जो भक्त समझने से बचना चाहते हैं वे पूजा करके निपट जाते हैं, आदर देकर बच जाते हैं। कुछ तो पैर छूकर पीछा छुड़ा लेते हैं। उन्हें डर है कि यदि समझने का प्रयास किया, तो स्वयं को बदलने की तैयारी करनी पड़ेगी। दुनिया में लोगों ने ऐसी मानसिक तरकीबें और आत्म वंचनाए विकसित कर ली हैं कि जिनके द्वारा पूजा ही करते जाते हैं। याद ही करते जाते हैं पर उनके विपरीत जीवन जीते जााते हैं। यह बहुत ही दुखद है कि स्मरण भगवान महावीर का करते हैं और जीवन जी रहे हैं ऐसा, जो महावीर के विपरीत है।

भगवान महावीर की शिक्षा में अहिंसा, प्रेम, अपरिग्रह और सत्य की बातों पर जोर दिया गया है। वो कहते हैं कि यदि सत्य को पाना हो तो सबकुछ छोड़कर अपने अंदर प्रविष्ट हो जाओ। जो व्यक्ति स्वयं में प्रविष्ट होता है, वह देखता है कि मैं अमृत हूं। तलवारें मुझे काट नहीं सकती, अग्नि मुझे जला नहीं सकती, हवा मुझे उड़ा नहीं सकती। मैं अख्ड और अमृत हूं। जब ऐसा बोध होगा तो उसका परिणाम अपरिग्रह होता है। क्या आपको पता है जब आप अपने अंदर प्रवेश करते हैं तो देखते हैं कि आत्मा का कोई जेन्डर नहीं होता है। ना तो यह स्त्री है और ना ही यह पुरूष है। जो व्यक्ति सत्य को जान लेता है उसके जीवन में अहिंसा, प्रेम, अपरिग्रह, अचैर्य तथा ब्रहमचर्य के फूल खिलने लगते हैं। इसलिए जीवन में सत्य के बीज बोएं।

भगवान महावीर की मूल शिक्षा स्वयं प्रवेश की है। उनकी शिक्षा आत्मबोध और आत्मज्ञान की है। जो अपने आपको जान लेता है वह सब पा लेता है। उसमें सारे गुण स्वत बहे चले आते हैं। सारी श्रेष्ठताएं, सारी नैतिकताएं उसके पीछे साये की तरह लग जाती हैं। अत जो अपने को जान लेता है उसके जीवन में अपने आप क्रांति आ जाती है।
 
मैं देश के बहुत से स्थानों पर गया और रहा हूं। हजारों-लाखों आंखों में मुझे सिवाय दुख के कुछ भी दिखाई नहीं दिया है। ये मनुष्य उपर से हंसते हैं, आनंद और सुख की झलक तो दिखलाई पड़ती है लेकिन अंदर दुख भरा पड़ा है। ऐसे में ये सभी मनुष्य कैसे अपने आस-पास सुख फैलाएंगे। जो इनके अंदर भरा पड़ा है उसी को बाहर फैलाएगे। इसलिए अपने को जानने का प्रयास करना आवश्यक है। अपने अंदर प्रविष्ट करने का प्रयास करें। तभी सच्चा सुख और शांति का अनुभव होगा।

Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Muni Jayant Kumar
          2. ज्ञान
          3. पूजा
          4. महावीर
          Page statistics
          This page has been viewed 1092 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: