04.04.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 04.04.2016
Updated: 05.01.2017

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मन के हरे हार है...

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देवाधिदेव 1008 श्री आदिनाथ भगवान की अतिशयकारी प्रतिमा जी अतिशय क्षेत्र बीना बारह (म.प्र.) में विराजमान है...

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🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: चैत्र कृष्णा द्वादशी, २५४२
चैत्र माह सोलहकारण पर्व दिवस
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चिराग नहीं
आग जलाऊँ ताकि
कर्म दग्ध हों

भावार्थ: आचार्य श्री कहते हैं कि संसार से पार जाने के लिए कर्मों को जलाना आवश्यक है और कर्मों को भस्म करने के लिए दीपक नहीं तप रुपी अग्नि की आवश्यकता है । कई बार थोड़ा सा धर्म पुरुषार्थ करके हम सोच लेते हैं कि इतना पर्याप्त है । २४ घंटे में से मात्र १ घंटा मुश्किल से हम धर्म में देते हैं । क्या इतना पर्याप्त है? कर्मों को जलाने के लिए हमे तप रुपी अग्नि प्रज्वलित करनी होगी । धर्म की प्रभावना के लिए भी गुरु जी कहते हैं कि आज हमे दीपक नहीं मशाल बनने की आवश्यकता है। अपने चरित्र को हम जितना उज्जवल बनाते जायेंगे उतनी ही प्रभावना होती जायेगी । अप्रभावना से बचना ही प्रभावना है । यदि हम ये विचार कर लें कि हमारे द्वारा धर्म की कभी अप्रभवना न हो तो प्रभावना स्वयमेव हो जाएगी ।

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आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ अभी सिद्ध क्षेत्र एवं अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर में विराजमान हैं ।
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मुनि श्री नियमसागर आदि ५ मुनिराज के विहार में सम्मिलित होने के कारण कुछ दिन से आपको आचार्य श्री के सूत्र नहीं भेज पा रहे थे । पुनः प्रारम्भ कर रहे हैं ।
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"राष्ट्र हित चिंतक"आचार्य श्री के सूत्र
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नदिया के निर्मल नीर में, तेरे भक्तों ने केशर घोली
कंचन कलशों की धार से, खेलेंगे तेरे संग होली
तेरे रंग में डूब के हम, तुझे रंग में डुबाएंगे
वैरागी ओ सर्वस त्यागी, तुझे हम मिलकर मनाएंगे

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tere panch hue kallyan prabhu, ek baar mera kallyan karde!!

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