08.05.2016 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 08.05.2016
Updated: 09.05.2016

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सो-हम आत्मा से परमात्मा का मिलन मात्र:आचार्य शिवमुनि
गांव में निकला दीक्षार्थी भाई-बहनों का वरघोड़ा, मेहंदी रस्म
दीक्षा समारोह एवं अक्षय तृतीया पर वर्षीतप के पारणे 9 को
गांव में उमड़ा उत्साह,
उदयपुर, 8 मई। अद्भुत, अतुलनीय और अकल्पनीय नजारा रहा रविवार को नाई ग्राम का। गांव की गलियों और सडक़ों पर श्रद्धालुओं का रैला ऐसा कि जमीन पर पांव धरने की भी जगह नहीं मिली। आसमान में गूंजते भगवान महावीर और दीक्षार्थी- वैरागी भाई बहनों के जयकारे, बैण्डबाजों की मधुर धार्मिक धुनों पर नाचती-गाती युवाओं की टोलियां, महिलाओं और युवतियों का समूह ऐसा अहसास करा रहे थे मानो नाई ग्राम में साक्षात भगवान महावीर उतर आये हो।
अवसर था नाई ग्राम में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से आयोजित दीक्षार्थी भाई- बहनों के वर्षीदान वरघोड़े का। दोपहर में दीक्षार्थी भाई बहनों की मेहंदी की रस्म हुई और शाम को गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में भक्ति संध्या का आयोजन हुआ।
पुष्करवाणी ग्रुप ने जानकारी लेते हुए बताया कि वरघोड़ा सुबह 7.30 बजे आचार्य श्री शिवमुनि ससंघ के सानिध्य में प्रारम्भ हुआ, लेकिन लोगों में उत्साह ऐसा था कि 6 बजे से ही लोगों का जुटना प्रारम्भ हो गया था। शोभायात्रा में हाथी, पांच घोड़े और 2 उंट शामिल थे। एक बग्घी में वैरागी दीक्षार्थी भाई तो दूसरी बग्घी में वैरागिन दीक्षार्थी बहन विराजित थे। बग्घी के पीछे बच्चे-युवा और कई बुजुर्ग धर्मध्वजा लिए चल रहे थे। ज्यों- ज्यों शोभा यात्रा का कारवां आगे बढ़ता रहा, लोग जुड़ते गये। शोभा यात्रा में विशेष परिधानों में सजी-धजी महिलाएं सिर पर मंगल कलश लिए चल रही थी। महावीर के जयकारों से जहां आसमान गूंज रहा था, वहीं बैण्डबाजों की मधुर धुनें माहौल में मिठास घोल रही थी। ज्यों-ज्यों समय बढ़ता गया, धूप असरदार होती रही लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था पर इसका लेशमात्र भी असर नहीं दिखा। यात्रा के पूरे मार्ग में स्वागत द्वार लगे थे। लोग घरों की छतों पर चढ़ कर इस अद्भुत नजारे को देख रहे थे। करीब तीन घंटे बाद शोभायात्रा मुख्य कार्यक्रम स्कूल प्रांगण में पहुंची। शोभा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। शोभा यात्रा के पूरे मार्ग में दीक्षार्थी भाई बहन प्रभावना वितरित करते चल रहे थे। भीषण गर्मी को देखते हुए पूरे मार्ग एवं पाण्डाल में जलपान एवं छाछ की भरपूर व्यवस्था की गई थी। इसके बाद प्रांगण में विशाल पाण्डाल में दीक्षार्थी भाई को लोगों ने कन्धों पर उठा कर आचार्यश्री के मंच के नीचे सोफे पर बैठाया गया। उत्साहित श्रद्धालु के जयकारों से आसमान गूंज रहा था।
संघ के राकेश नंदावत ने बताया कि दोपहर में दीक्षार्थी भाई एवं दीक्षार्थी बहन की मेहंदी की रस्म हुई। पहले परिजनों ने दीक्षार्थी भाई बहन को मेहंदी लगाई। फिर अन्य परिजनों ने भी रस्म पूरी की।
संघ के अध्यक्ष लहरीलाल दलाल ने बताया कि धर्मसभा में आचार्यश्री शिव मुनि ने श्रद्धालुओं को आधे घंटे का सो-हम की ध्वनि के साथ ध्यान योग कराया। ध्यान योग में गहरी सांस, मध्यम सांस और तेज श्वास लेने का उपक्रम करवाया गया। आचार्यश्री ने सो-हम की ध्वनि का उच्चारण किया तो साधकों ने इसके साथ अपनी श्वास को जोड़ा। आचार्यश्री ने सो-हम शब्द ध्वनि का अर्थ बताते हुए कहा कि यह कोई मंत्र नहीं है सो-हम आत्मा से परमात्मा का मिलन मात्र है। श्वास है तो जीवन है, इसके बिना जीवन ही खत्म हो जाता है। आचार्यश्री ने जीवन में योग साधना के विशेष महत्व को विस्तार से बताया।
मंत्री प्रमोद कोठारी ने बताया कि शिरीष मुनि ने दोनों दीक्षार्थी भाई- बहनों द्वारा संयम पथ पर चलने के लिए दीक्षा ग्रहण करने पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पूर्व जन्मों का ही कोई अच्छा कर्म है जिसका फल इस जन्म में मिल रहा है। उन्होंने दीक्षा को जन्मों-जन्मों के पुण्य फल का उदय बताया। धर्मसभा में उपस्थित सभी साधु एवं साध्वीवृन्दों ने दीक्षार्थियों के संयम पथ के नवजीवन में प्रवेश पर मंगलकामनाएं प्रेषित की।
दीक्षा आज- कार्यक्रम के संयोजक जसवंत कोठारी ने बताया कि सोमवार सुबह 7.30 बजे सोहनबाई ख्यालीलाल कोठारी के निवास से महाभिनिष्क्रमण यात्रा आरंभ होगी। दीक्षा समारोह 8.30 बजे और दीक्षा पाठ 11.30 बजे होगा। इस अवसर पर श्रमण संघ स्थापना दिवस, गुरु ज्ञान जन्म जयंती भी मनाई जाएगी। अक्षय तृतीया के वर्षीतप के पारणा सुबह 11.45 बजे होंगे।
दीक्षार्थी परिचय- कार्यक्रम के सहयोगी धनराज लोढ़ा ने बताया कि अतेश पुत्र वीना और शोभन जैन स्नातक प्रथम वर्ष तक अध्ययन करने के बाद 3 वर्ष से वैराग्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। धार्मिक शिक्षा के तहत 25 बोल, दशवैकालिक सूत्र एवं साधु प्रतिक्रमण कर चुके हैं। इसी प्रकार प्रार्थना पुत्री शालू-सुरेन्द्र जैन 7 वर्ष से वैराग्य जीवन व्यतीत कर रही हैं। उनका धार्मिक अध्ययन बहुत विशाल है जिसमें 25 बोल, 33 बोल, 102 बोल, गमा, लघुदंडक, समकित के 67 बोल, 33 बोल की चोकड़ी नवतत्व आदि शामिल हैं।

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