08.06.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 08.06.2016
Updated: 05.01.2017

Update

Source: © Facebook

✿ दादा गुरु ज्ञानसागर जी विराजो म्हारे ह्रदय कमल, तुम्हारी वाणी पर करे हम अमल!

जिनके कारण से आज विद्यासागर - विद्यासागर है, ऐसे महान गुरु के गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का समाधि दिवस है! आचार्य श्री विद्यासागर ने अपने गुरु की अपूर्व सेवा की, ऐसी सेवा की ऐसा उत्तम उदहारण प्रस्तुत किया जो की वर्तमान में देखने को नहीं मिलता और ये आदर्श की कोटि में आता है । पूर्ण निमर्मत्व भावपूर्वक आचार्य ज्ञानसागर जी मरुभूमि में वि. सं. 2030 वर्ष की ज्येष्ठ मास की अमावस्या को प्रचंड ग्रीष्म की तपन के बीच 4 दिनों के निर्जल उपवास पूर्वक नसीराबाद (राज.) में ही शुक्रवार, 1973 ईस्वी को 10 बजकर 10 मिनट पर इस नश्वर देह को त्याग कर समाधिमरण को प्राप्त हुए। हिंदी केलिन्डर के अनुसार में दिन आज है! आचार्यश्री विद्यासागरजी के संयमित जीवन के आचार्यश्री शांतिसागरजी और आचार्यश्री ज्ञानसागरजी, दो स्वर्णिम तट हैं। एक ने उनके जीवन में धर्म का बीज बोया तो दूसरे ने उसे पुष्पित/पल्लवित कर वृक्ष का आकार प्रदान किया।

Source: © Facebook

#kundalpur:) must read, amazing share ✿ आचार्य महाराज --शाम को एक दिन वैय्यावृत्ति कर रहे थे कि चर्चा के दौरान आचार्य श्री जी ने कहा-आज दो अजैन बच्चियाँ हमारे पास आई और कहने लगी आचार्य श्री जी ये लोग हम लोगो को नीचे से आपके दर्शन करने नहीं आने देते और दो पत्र पैरों के पास रख दिये।उनकी अच्छी भावना लगी पत्र को मैनें पढ़ा ऐसा लगा कोई जैन कवि कि भाषा हो पर वे तो रघुवंशी समाज की थी।उन्होंनें अंत में पद्य में दो पंक्ति लिखी, सुना है आप पत्र नहीं पढ़ेंगे पर मेरी भावना है आप संत ही नहीं कृपानिधान भी ह
है अतः मुझे विश्वास है कि आप मेरी प्रार्थना पर अवश्य ध्यान देंगे और मुझे आशिर्वाद देंगे।देखो लोगो कि कितनी पवित्र भावनाएँ होती है ये जैन लोग, कार्यकर्ता समझते नहीं है इन्हें थोड़ा विवेक से कार करना चाहिए-वे पंक्तियाँ✨-(जो उन बहनों ने आचार्य श्री जी के लिए लिखी थी)
*एक पथिक चल रहा निरंतर*
*रखकर अपना वेश दिगम्बर*। एक पथिक....

*न चाह उसको छाँह की*
*वो खुश है सबको छाँव देकर*
*न कामना है विश्राम की *
*वो चल रहा विश्राम देकर*।एक पथिक....

*ग्रीष्म की विभिषिका भी*
*नत है उसके सामने*
*झुक रहा है सूर्य भी *
*रोज उसको देखकर*।एक पथिक...

*मोह बंधन से दूर है *
*वो ज्ञान का भंडार है*
*कुबेर भी है भीख माँगे*
*कोष उसका देखकर। एक पथिक*

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

Source: © Facebook

today exclusive Bade baba Adinath Swami & Parshvanath Bhagwan abhishek first time:))

आदि काल के आदि जिनेशा.. बड़े बाबा मेरे आप ही आशा..
पार्श्वनाथ हमें पार लगाने, मोक्ष की राह वे हमें बतावे..

Update

Source: © Facebook

LIVE CLICK @ kundalpur!! 3:30 पर पारस चैनल पर DIRECT कुण्डलपुर से प्रवचन आएँगे देखना ना भूले!!! share this maximum.

Source: © Facebook

Osam click @ आचार्य श्री ससंघ बड़े बाबा के दर्शन तथा अभिषेक होते हुए निहारते हुए:) today #kundalpur picture

ये हाइकू आचार्य श्री ने अपने गुरु के बारे में लिखा था..

गुरु ने मुझे
क्या न दिया हाँथ में
दिया ही दिया

इसके कयि अर्थ हो सकते हैं, दिया ही दिया मतलब बहुत अपार दिया उन्होंने दूसरा अर्थ उन्होंने 'दिया' मतलब 'दीपक' ही दिया उन्होंने मुझे रोशनी दी:))

News in Hindi

Source: © Facebook

Exclusive today' picture: भारतवर्षीय दिगम्बर तीर्थ क्षेत्र कमिटी की अध्यक्ष श्रीमती सरिता महेंद्र कुमार जैन (चेन्नई) कुंडलपुर महोत्सव में आचार्य श्री के दर्शन करते हुए।

shared by miss mini jain frm Delhi -big thanks her

Source: © Facebook

today picture and pravachan:) #kundalpur कुण्डलपुर में इतिहास रचा जा रहा हैं... ये अभिषेक सिर्फ़ बड़े बाबा का अभिषेक नई हैं बल्कि अपनी कशाय का भी अभिषेक हैं.. आज आचार्य श्री ने कहा नदी कभी रूकती नई हैं, रोड़ा आने पर मूड भी जाती ह पर कभी रूकती नई हैं, अविरल बहती चली जाती हैं, हमें भी रुकना नई हैं बढ़ते चले जाना हाँ:)

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Adinath
          2. Delhi
          3. JinVaani
          4. Kundalpur
          5. Parshvanath
          6. Pravachan
          7. Swami
          8. आचार्य
          9. ज्ञान
          10. दर्शन
          Page statistics
          This page has been viewed 905 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: