Jeevan Vigyan Academy
News in Hindi
कृतिदेव यहां मुनिश्री विजयकुमारजी की दीक्षा पर्याय के 50 वर्ष की परिसम्पन्नता पर
संयम वर्धापन समारोह का भव्य आयोजन
पीतमपुरा, नई दिल्ली, 16 जुलाई, 2016
मंत्री मुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी, ‘षासनश्री’ मुनिश्री किषनलालजी स्वामी के सान्निध्य में पीतमपुरा खिलौनीदेवी धर्मषाला में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा दिल्ली, पीतमपुरा सभा, दिल्ली उत्तर मध्य सभा, दिल्ली तेरापंथ महिला मण्डल, युवक परिषद् व प्रोफेषनल फोरम द्वारा आयोजित मुनिश्री विजयकुमारजी के दीक्षा पर्याय के 50 वर्ष की सम्पन्नता पर वर्धापन समारोह का भव्य आयोजन किया गया।
मंत्री मुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे बहुत ही कम व्यक्ति मिलते हैं जिन्होंने संयम का पालन करते हुए 50 वर्ष पूर्ण किये। लम्बा संयम पर्याय वही प्राप्त करता है जो भाग्यषाली होता है। मुनि विजयकुमारजी इन 50 वर्षों में कुछ न कुछ प्राप्त करते रहे हैं। ये ग्रहण भी करते रहे हैं, नया सृजन भी करते रहे हैं। ये स्वयं में अनुभवों का ग्रन्थ बन गये हैं।
मंत्री मुनिश्री ने आगे कहा कि अनुभव कड़वे भी होते हैं, मीठे भी होते हैं, अनुकूल भी होते हैं, प्रतिकूल भी होते हैं, किंतु ये हर स्थिति में सहज रहे। मुनि विजयकुमारजी आचार्य तुलसी के कर-कमलों द्वारा आज से 50 वर्ष पूर्व दीक्षित हुए, गुरुकुलवास में भी रहना हुआ। आचार्य तुलसी इनको गुणों में सदा आगे बढ़ाते रहे।
मंत्री मुनिश्री ने आषीर्वाद देते हुए कहा कि ये जहां जाएं वहां संघ की प्रभावना करेें। हम संघ के कर्जदार हैं, फर्ज निभाते रहें, उसमें आगे बढ़ते रहें। खूब स्वस्थता के साथ रहें।
‘षासनश्री’ मुनिश्री किषनलालजी ने कहा कि गुरु आज्ञा की आराधना करने वाला महान् और सबका पूज्य होता है। विजय मुनि 32 वर्ष मंत्रीमुनि के साथ रहे और गुरु का निर्देश होते ही ये मेरे साथ आ गए, सचमुच यह बड़ी बात है। आगे उन्होंने कहा - मुनि विजयकुमारजी ध्यान, स्वाध्याय में प्रतिदिन समय लगाते हैं, ये वीतराग बने यही हमारी मंगल कामना है।
मुनिश्री विजयकुमारजी ने इस अवसर पर कहा कि आज का यह मंगल प्रभात मेरे शुभ अतीत के गीत गा रहा है और शुभ भविष्य की सौगात लेकर आया है। आज की स्वर्णिम भोर संयम के 50 वर्ष बाद उदित हुई है। आज ही के दिन आचार्यश्री तुलसी ने बीदासर में मुझे संयम रत्न प्रदान किया। मैं महान् गुरु के अनन्त-अनन्त उपकार को याद करता हूं। मेरी दीक्षा में स्वर्गीय मुनिश्री नेमीचन्दजी योगभूत बने उनको भी मैं नमन करता हूं। मुनिश्री ने मंत्री मुनि व अन्य संतों के उपकारों को याद किया और जनसमूह को संयम की प्रेरणा दी। इस अवसर पर नया गीत - ‘‘है मंगलमय दिन आज, खुषियां है छाई’’ प्रस्तुत किया।
मुनि पुलकित कुमारजी, मुनि अनंत कुमारजी, मुनि प्रतीक कुमारजी, मुनि निकुंज कुमारजी, मुनि ज्योतिर्मय कुमारजी आदि संतों ने गीत, कविता, भाषण से अपने भावों की प्रस्तुति दी। सभी संतों ने मिलकर एक विषेष झांकी मुनि विजयकुमारजी को भेंट की।
इस अवसर पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा दिल्ली के अध्यक्ष श्री गोविन्द बाफना, अमृतवाणी के ट्रस्टी श्री सुखराज सेठिया, श्री मांगीलाल सेठिया, दिल्ली उत्तर-मध्य सभा के अध्यक्ष श्री विनोद भंसाली (विजय मुनिजी के अनुज), मंत्री श्री दीपक जैन, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्षा श्रीमती सरोज जैन, तेरापंथ प्रोफेषनल फोरम के श्री विजय चैपड़ा, महासभा के उपाध्यक्ष श्री डालमचन्द बैद, श्री अषोक बैद, श्री रणजीत भंसाली, श्री शांति जैन, श्री महेष जैन, श्री ललित जैन, श्री विमल बैंगानी, श्री अषोक संचेती, श्री संजय खटेड़, राजा पाॅकेट बुक्स के निदेषक श्री राजकुमार गुप्ता, श्रीमती किरण बांठिया, मधुर संगायक श्री अजय बैद, श्री सुखदान चारण आदि अनेक व्यक्तियों ने मुनि विजयकुमारजी के संयम वर्धापन समारोह में अपनी भावनाएं व्यक्त की।
भसंाली परिवार की महिलाओं द्वारा सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की गई, इस संयम वर्धापन समारोह में भाग लेेने के लिए मुनि विजयकुमारजी के ज्ञातीजन भारत के अलावा विदेष से भी आये।
कार्यक्रम के प्रथम चरण का संचालन मुनिश्री उदित कुमारजी व दूसरे चरण का संचालन श्रीमती एकता जैन, श्रीमती अंजु बुच्चा ने कुषलता से किया। आभार ज्ञापन श्री रेंवत भंसाली ने किया।
- अषोक सियोल
9891752908
Photos: