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#शिवाचार्य #भीलवाडा #चातुर्मास 2016
प्रभु से प्रार्थना करो सौदेबाजी नही - आचार्य श्री शिव मुनि
1/8/2016: भीलवाडा / प्रार्थना में यदि मांग है तो वो प्रार्थना नही सौदेबाजी हे और हम प्रभु के साथ सौदेबाजी करते हे । हमारी हर प्रार्थना में कुछ ना कुछ मांग छुपी होती है । प्रार्थना का दूसरा चरण प्रतीक्षा हे प्रार्थना की हे तो प्रतीक्षा भी करनी आवश्यक है । यह कहना है जैन श्रमण संघीय आचार्य श्री शिव मुनि का । आचार्य श्री ने शिवाचार्य समवसरण में सोमवार को आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा मेंं श्रावक श्राविकाओं को प्रार्थना और सत्य पर उदबोधित करते हुए कहा कि सत्य का शोधन बाहर नही है । सत्य स्वयं के भीतर छुपा है । हमारे सारे सम्बन्ध संसारी हे हम सब से प्रेम करते हे जब जब जिसकुछ काम होता है कोई आवश्यकता होती है हमारा प्रेम प्रदर्शित होता है । आचार्य श्री ने आंसू के भेद बताते हुए कहा कि 3 प्रकार के आंसू होते है 1 दुःख के आंसू 2 ख़ुशी आंसू के 3 कृतज्ञता के भाव के आंसू,और जब जीवन में तीसरे आंसू का भाव आता है जब हम कृतज्ञ भाव में जाते हे तो हमारे कर्मों को निर्जरा प्रारम्भ हो जाती है ।
श्रमण संघीय मंत्री शिरीष मुनि ने कहा कि कर्म निर्जरा की साधना जो मनुष्य कर सकते हे वो देवता भी नही कर सकते । हम जरा सी परेशानियों से घबराकर अपनी अनुकूलता के अनुरूप कार्य करने को तैयार हो जाते हे इसका कारण की हमे खुद पर भरोसा नही है जिस दिन हमे खुद पर भरोसा हो जाएगा उस दिन हम धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ते चले जायेंगे ।
प्रवचन भूषण समित मुनि ने धर्मसभा को उदबोधित करते हुए बताया कि मनुष्य का मन अदभुत हे । पाप - पुण्य, स्वर्ग - नरक सब मन में बी समाये हे । मन सब कुछ हे सारी लीला मन की हे । सारी कल्पना मन की हे ।
धर्मसभा को, शुभम मुनि, निशांत मुनि, शाश्वत मुनि, सुद्धेश मुनि का सानिध्य प्राप्त हुआ ।
शिवाचार्य समवसरण में तपस्याओं का ठाठ लगा हुआ है । इसी क्रम में रेखा मेहता ने 16 उपवास, दीक्षा जेन ने 9 एंव ऋतू मेहता ने 8 उपवास के प्रत्याख्यान आचार्य श्री से लिए ।
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#हैदराबाद चातुर्मास
#ओसवालों का अहम योगदान: #दिनेश मुनि
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आज 2473 वां ओसवालस्थापना दिवस
आचार्य रत्नप्रभसूरी ने 3.84 लाख लोगों को उपदेष दे ओसवाल वंष की स्थापना ओसिया नगरी में की।
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