13.08.2016 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 13.08.2016
Updated: 09.01.2018

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Source: © Facebook

चेन्नई: श्री राजसिंह बरमेचा द्वारा "तिविहार संथारे" का प्रत्यख्यान
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

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👉गुवाहाटी - मुनि धनन्जय कुमार जी के सम्बन्ध में केंद्रीय विज्ञप्ति
प्रसारक - *तेरापंथ संघ संवाद*

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👉 पूज्य प्रवर का "प्रेरणा पाथेय" - वीतराग समवसरण, धारापुर, 'गुवाहाटी' में..
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 आज के "मुख्य प्रवचन" के कुछ विशेष दृश्य..
👉 आज पूज्य प्रवर के सान्निध्य में और तेरापंथ प्रोफेसनल फोरम के तत्वावधान में पहली "डॉक्टर्स कांफ्रेंस" का आयोजन हो रहा है..

दिनांक 13/08/2016

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

👉 पूज्य प्रवर का "प्रेरणा पाथेय" - वीतराग समवसरण, धारापुर, 'गुवाहाटी' में..
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 आज के "मुख्य प्रवचन" के कुछ विशेष दृश्य..
👉 आज पूज्य प्रवर के सान्निध्य में और तेरापंथ प्रोफेसनल फोरम के तत्वावधान में पहली "डॉक्टर्स कांफ्रेंस" का आयोजन हो रहा है..

दिनांक 13/08/2016

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आचार्य तुलसी की कृति....."श्रावक संबोध"

गतांक से आगे......

📝श्रृंखला - 89 📝

*दैनिक प्रत्याख्यान*

*[ लावणी ]*

61. महनीय महाश्रवक की हो दिनचर्या,
बढ़ती ही जाए जीवन की जागर्या।
जो हर-हमेश व्रत की सीमा संकोचे,
नव नियम निरन्तर प्रात: प्रत्यालोचे।।

62. खाद्यों की सीमा वस्त्रों का परिसीमन,
पानी-बिजली का हो न अपव्यय धीमन!
यात्रा-परिमाण मौन प्रतिदिन स्वाध्यायी,
हर रोज विसर्जन अनासक्ति वरदायी।
हो सदा संघ-सेवा सविवेक सफाई,
प्रतिदिवस रहे इन नियमों की परछाईं।।

*अर्थ* - जीवन में विशेष जागृति लाने के लिए महाश्रावक की दिनचर्या को महत्त्वपूर्ण बनाना आवश्यक है। इस दृष्टि से वे स्वीकृत व्रतों की सीमा को निरन्तर संक्षिप्त करते रहें। यह तभी संभव है जब वे प्रतिदिन प्रात:काल नौ नियमों का प्रत्यालोचन कर दैनिक प्रत्याख्यान करें। उनके जीवन पर कम से कम निम्ननिर्दिष्ट नौ नियमों का प्रभाव अवश्य रहे -

🔺 खाद्य पदार्थों की सीमा।
🔺 वस्त्रों की सीमा।
🔺 पानी, बिजली के अपव्यय से बचना।
🔺 यात्रा की सीमा।
🔺 मौन
🔺 स्वाध्याय
🔺 विसर्जन
🔺 संघ-सेवा
🔺 स्वच्छता

*भाष्य*:- धर्म का एक महत्त्वपूर्ण सूत्र है जागरूकता। भगवान महावीर ने साधु को चलना, ठहरना, बैठना, सोना, खाना, बोलना आदि हर क्रिया में जागरूकता या यतना रखने का निर्देश दिया है। चलते समय जागरुकता के अभाव में जीववध न होने पर भी हिंसा का दोष लगता है। साधु की तरह श्रावक भी अपनी जीवनचर्या और दिनचर्या के प्रति जागरुक रहकर अव्रत के पाप से बचाव कर सकता है।

श्रावक के बारह व्रतों में दसवाँ व्रत है देशावकाशिक व्रत। इस व्रत के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें हमारी अगली पोस्ट...

क्रमशः कल......
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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13 अगस्त का संकल्प

मिट्टी, पानी, हवा, वनस्पति सब में है असंख्य जीव व्याप्त ।
ना हो अनावश्यक हिंसा किसी भी जीव की रखें ध्यान पर्याप्त ।।

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👉 अंबिकापुर - महासभा अध्यक्ष श्री डागलिया की संगठन यात्रा

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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👉 कांदिवली, मुम्बई - ढाई सौ पचखान कार्यक्रम

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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