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भोजन करते समय न देखें टीवी, इससे होती है ऊर्जा नष्ट: पूर्णमति माताजी #Purnmati #vidyasagar #JainDharma
धर्मसभा को संबोधित करते हुए आर्यिका पूर्णमति माताजी ने कहा ज्यादा देर टीवी न देखें बच्चे, टीवी देखने से जिंदगी बर्बाद हो रही हैं। भोजन करते समय कभी टीवी नहीं देखनी चाहिए। इससे न सिर्फ ऊर्जा नष्ट होती है बल्कि शरीर के हार्मोन्स प्रभावित होते हैं। आज महिलाओं में सबसे अधिक बीमारियां इसी कारण हो रही है, क्योंकि वह भोजन करते समय टीवी देखती हैं।
उक्त आशय की बात आर्यिका पूर्णमति माताजी ने महावीर भवन में एक धर्मसभा के दौरान संबोधित करते हुए कही। एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार नवजात शिशु में अन्य समय 85 प्रतिशत ऊर्जा रहती है और जब वह टीवी देखता है तो उस समय उसकी ऊर्जा घटकर मात्र 15 प्रतिशत रह जाती है। क्योंकि उससे निकलने वाली तरंगे उसकी ऊर्जा को नष्ट करती हैं। भोजन के वक्त तो बिल्कुल टीवी नहीं देखना चाहिए। क्योंकि इससे हार्मोंस इतने प्रभावित हो रहे हैं कि लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
आर्यिका माताजी ने कहा कि आज व्यक्ति छोटी-छोटी बात पर तिलमिला उठता है, उसके पीछे कारण उसकी ऊर्जा का नष्ट होना है। आज के समय बाप की एक ही शिकायत है कि उसका बेटा नहीं सुनता। जबकि बेटे में ऊर्जा का ह्रास इतना हो चुका है कि वह खुद नहीं सुन पाता। कई बार मन करता है कि मंदिर जाना है लेकिन नहीं जा पाता है। माताजी ने कहा कि आज की माताएं इस बात में बड़ी खुश होती हैं कि उनका बेटा लगातार दो घंटे टीवी देखता है घंटों वीडियो गेम खेलता है। वास्तव में वह अपने बच्चे को जीवन बर्बाद कर रही हैं। आज की माताएं बच्चों के लिए सब बात करती हैं लेकिन जिनवाणी की बात नहीं करती हैं।
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आचार्यश्री� के लिए आईएएस, आईपीएस लगा रहे चौका -एक ही तमन्ना: आज हमारे चौके में पड़ जाएं आचार्यश्री के कदम, कई अधिकारियों ने ली तीन से चार दिन की छुट्टी तो कई ने बदली अपनी दिनचर्या
कहा जाता है भगवान के दरबार में सब एक समान हैं। वहां न कोई छोटा न कोई बड़ा। ऐसा ही एक दरबार इन दिनों राजधानी में लगा है-आचार्य विद्यासागर महाराज का। यहां जज, आईएएस, आईपीएस समेत कई आला अधिकारी आचार्यश्री की भक्ति में रमे हैं। उनकी एक तमन्ना है कि आचार्यश्री के चरण उनके लगाए गए चौके पर पड़ जाएं। यानी उनके आंगन में आकर आहार ग्रहण कर लें। आमतौर पर बहुत व्यस्त रहने वाले अधिकारियों ने इन दिनों दिनचर्या ही बदल ली है।
आचार्यश्री के चौके लगाने वालों में आदिम जाति कल्याण विभाग के आयुक्त और मप्र दुग्धसंघ के आयुक्त शोभित जैन, आईएएस निलय जैन, डीआईजी जेल लखनऊ, राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल के एसई ऋषभ जैन, एआईजी प्रशासन मलय जैन, एएसपी संदेश जैन, डिप्टी कमिश्नर स्वच्छता मिशन सुधीर जैन, वैशाली जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश जैन, पूर्व जिला जज देवेंद्र जैन सहित 150 से ज्यादा प्रशासनिक अधिकारी इन दिनों आचार्यश्री की भक्ति में लीन हैं।
नमक, शकर, हरी सब्जी, दही, सूखे मेवा, दूध, घी, तेल आदि सभी वस्तुओं का आचार्यश्री ने आजीवन त्याग किया हुआ है। उनके आहार में उबली हुई दाल और बिना घी की रोटियां ही रहती हैं। यह आहार भी 32 तरह के अंतराय को टालने के बाद लेते हैं।
मुनि को आहार कराने के लिए श्रावक को नवधा भक्ति यानी 9 तरह की भक्ति करना जरूरी होती है तभी वे अपनी अंजुली आहार के लिए खोलते हैं। छात्रावास में चौकों की व्यवस्था आसपास के फ्लैट बुक कर लिए गए हैं। कई छात्रावासों को खाली करा लिया गया है। वहां टीनशेड के माध्यम से 200 चौकों की व्यवस्था चातुर्मास समिति की ओर से की गई है। करीबन डेढ़ हजार महिला- पुरुष शुद्ध वस्त्र पहनकर आचार्यश्री और मुनियों की प्रतीक्षा करते हैं।
200 परिवारों की बदली दिनचर्या चौका लगाने के लिए 200 परिवारों की दिनचर्या बदल गई है। ये सुबह 5 बजे उठते हैं। फिर चौका के लिए शुद्ध सामग्री जुटाते हैं। 9 बजते ही पड़गाहन के लिए द्वार पर खड़े होना। बस एक ही उम्मीद कि आज नहीं तो कल भगवन उनके चौके में आहार लेने के लिए जरूर आएंगे। तकरीबन पौने 200 परिवार चौका लगा रहे हैं दुनिया में इनसे बड़ी शरण कहीं और नहीं है। यही सबसे बड़ा दरबार है। हम परिवार सहित तीन दिन से यहां रुके हैं। बस एक ही उम्मीद है कि आचार्यश्री के अच्छे से दर्शन हो जाएं। एनके जैन, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, छतरपुर आचार्यश्री जहां होते हैं, हम जाते हैं आचार्यश्री की शरण पाकर मन धन्य हो जाता है। हमारा परिवार बहुत पहले से जुड़ा हुआ है। अाचार्यश्री की निर्दोष चर्या हमें प्रभावित करती है। इनसे बड़ी शरण और कोई दूसरी नहीं है। यहां आकर आत्मिक शांति मिल रही है। - विनय जैन, डीआईजी जेल, लखनऊ, जो किताबों में पढ़ा वैसे ही भगवन जैसा हमने किताबों में पढ़ा है कि आचार्य भगवन का स्वरूप ऐसा होता है। मुनियों की चर्या ऐसी होती है। आचार्यश्री में वह सभी झलकता है।
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शंका समाधान
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१. जैन धर्म चमत्कार को नमस्कार करने को नहीं कहता लेकिन जहाँ अंतर की विशुद्ध भक्ति उमड़ती है वहाँ चमत्कार हो जाया करता है! भगवान् के तो जितने अतिशत होने थे वो तो उनके जीवन के साथ हो चुके! अभी जो चमत्कार दिखते हैं वो भक्तों की भक्ति से हैं!
२. सत्संग को अपनाकर अपने विचारों में बहुत परिवर्तन लाया जा सकता है!
३. अपनी आमंदनी का ५०% से ज्यादा व्यय नहीं करना चाहिए और कम से कम १०% दान जरूर करना चाहिए! कितनी भी गरीबी आ जाये लेकिन दान की भावना कभी दुर्बल नहीं होने देना! शास्त्रानुसार गरीब का दान बहुत दुर्लभ माना जाता है!
४. मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए सबसे उत्तम उपाय मोह को कम करके वैराग्य के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए!
५. कोई व्रत / नियम लेने का कभी भी भाव बने तो अप्रतक्ष्य रूप से देव - शास्त्र - गुरु का स्मरण करके ले लेना चाहिए!
६. दान मंदिर जी में करे या गौ / जीव रक्षा में करे --> जब जैसी जरुरत / भूमिका हो तब वैसा ही करना चाहिए! अगर मंदिर जी को दान के लिए पैसा लेकर जा रहे हो और रास्ते में कोई तड़पता हुआ पशु / जीव मिल जाये तो पहले उस पशु / जीव की मदद कर दो, मंदिर जी में दान बाद में कर देना!
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७. घर में भगवान् की किसी भी प्रकार की प्रतिमा जो अप्रतिष्ठित हो, कभी रखनी ही नहीं चाहिए; अगर हो तो बहते पानी में बहा देना चाहिए! तस्वीर आदि भी रखना हो तो एक पूजा कक्ष में ही रखिये उस कक्ष में आपका प्रवेश शुद्धता के साथ ही होना चाहिए!
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८. वस्त्रों में शालीनता होनी चाहिए! कपडे, शरीर ढकने के लिए होते है दिखाने के लिए नहीं, कम से कम मंदिर में बहुत शालीनता से आना चाहिए!
९. लड़कियां ज्यादा मूल्यवान हैं इसीलिए उन पर ज्यादा care की जाती है! लेकिन दहेज़, सती प्रथा जैसी कई कुरीतियों से लड़कियों के प्रति हीन भावना ने जगह ले ली जोकी कतई गलत है! लेकिन इसके पीछे नारियां भी उतनी ही दोषी हैं जितने पुरुष! नारी ही नारी की दुश्मन बन जाती है!
१०. आधुनिकता बुरी चीज नहीं है लेकिन ये तब बुरी हो जाती है जब हम अपनी मूल परम्पराओं को भूल जाते हैं!
११. भगवान् और गुरुओं के उपकार को उनकी बातों को अपनाकर ही चुकाया जा सकता है!
१२. नियति / भवितव्यता और पुरुषार्थ को समझने का सरल तरीका --> जैन दर्शन कहता की अनेकांत का सहारा लीजिये! पहले पूर्ण पुरुषार्थ करिये और फिर भी अगर चीजे अनुकूल ना हो तो फिर नियति / भवितव्यता का सहारा लेकर ये सोचिये की ऐसा ही होना था और अपने मन को शांत रखिये!
- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज
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जो वस्तु को जला दे उसे आग कहते है ।
जो जीवन को जला दे उसे राग कहते है ।
जो जीवन को उठा दे उसे त्याग कहते है ।
जो मुक्ति में पहुँचा दे उसे वैराग्य कहते है ।
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मुनि श्री विशाल सागरजी महाराज मुनि श्री धवल सागरजी महाराज के 4 उपवास की अनुमोदना स्वरुप वात्सल्य पूर्वक व्यावृत्ति करते हुए🙏🏼 #vidyasagar #Digambara #vishalsagar #dhavalsagar #jainism
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"Time flies but not the memories" #mangitungi #Gyanmati #Adinath
कुछ पल कुछ यादें- आर्यिका ज्ञानमती माताजी अपनी शिष्य आर्यिका चंदनामती, आर्यिका स्वर्णमती एवं स्वामी जी को मंगीतूँगी पर्वत पर आशीर्वाद देती हुई।
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News in Hindi
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1993 मे आचार्यश्री का चातुर्मास रामटेक मे चल रहा था देश के जाने माने राजनेता उधोगपति आचार्यश्री के दर्शनार्थ रामटेक आते थे। #Jainism #Jain #Digambara #Vidyasagar
एक दिन एक बहुत बड़े हाई प्रोफाइल तांत्रिक बाबा जिनका भारतीय राजनीति मे भी अच्छा दखल रहता था वे आचार्यश्री के दर्शनार्थ रामटेक आये थे। उनकी वेशभूषा सफेद चमकदार रेशमी धोती कुर्ता चमकते माथे पर तिलक पूरे शरीर मे चमेली के फूलो का इत्र महक रहा था उनके हाथो मे चमेली के फूल थे कुल मिलाकर उनका एक आकर्षक व्यक्तित्व था।
सामायिक के बाद वे आचार्यश्री के दर्शनार्थ आचार्यश्री के कक्ष मे पहुचे और आचार्यश्री के दर्शन कर वही बैठ गए शायद उन्हें लगा आचार्यश्री उनसे कोई चर्चा करेंगे। आचार्यश्री अपने लेखन मे व्यस्त थे। आधे घण्टे बाद वे कक्ष से बाहर निकल आये और जहां पड़ोस के कक्ष मे परमपूज्य प्रमाणसागर जी एवम् दो मुनिराज भी विराजित थे उनके कक्ष मे ये तांत्रिक बाबा पहुचे थोड़ी देर बाद तांत्रिक बाबा ने कहा आपके आचार्यश्री के पास मैं आधा घण्टा बैठा रहा मैंने महसूस किया कि इनके चरणों के पास ऐसी ऐसी दिव्य शक्तिया बैठी होती है जिन्हें सिद्ध करने मे हमारा पूरा जीवन निकल जाता है और हम उन्हें जीवन भर मे भी नही पा सकते है। लेकिन आचार्यश्री इन दिव्य शक्तियो की ओर नज़र उठा कर भी नही देखते है।
आचार्यश्री बहुत बड़े सिद्ध बाबा है मैंने अपने जीवन मे पहली बार ऐसे निर्मोही बाबा के दर्शन किये जो अपने पास दिव्य शक्तियो की ओर नज़र तक नही उठाते। आज ऐसे बाबा के दर्शन कर मन को बड़ी शांति मिली।
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📝इस संस्मरण का उल्लेख परमपूज्य प्रमाणसागरजी महाराज अपने प्रवचनों मे अक्सर करते है।
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दिनांक 20 अगस्त को मुनिश्री का दीक्षा दिवास मनाने के पश्चात 21 अगस्त को समूह के सदस्यों, सीनियर अवार्डी बच्चों और कार्यक्रम में सम्मलित सभी लोगो ने पदमपुरा जी में जिनेंद्र भगवान का सामूहिक अभिषेक और पूजन किया। तदुपरान्त सभी लोगों ने अज़मेर पहुँच कर पूज्य 108 मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज के दर्शन किये एवं मुनिश्री के साथ समूह की गतिविधियों एवं यंग जैना अवार्ड 2016 पर विशेष चर्चा की।
मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज ने यंग जैना अवार्ड के आयोजन के लिए आशीर्वाद दिया और कहा कि मुनिश्री क्षमासागर जी द्वारा दिए गए मार्गदर्शन अनुसार कार्यों को जारी रखो। यह परीक्षा की घड़ी है।