29.08.2016 ►Muni Tarun Sagar ►News

Published: 29.08.2016
Updated: 30.08.2016

Update

गुरुदेव ने अपनी पर्यादा का ध्यान रखते हुए क्षमा धर्म को निभाते हुए 1st दिन ही माफ़ कर दिया था। पर हमारी आस्था और हमारे धर्म पर ऊँगली उठाई है जिससे पूरा जैन समाज और संतसमाज के दिल को ठेस पहुँची है..
मैं ब्रमहचारी सतीश आप सभी से निवेदन कर आह्वान कर रहा हूँ कि देश के तमाम भक्त, शिष्य व संस्था विशाल ददलानी और तहसीन पीनेवाला के ख़िलाफ़ अपने-अपने तरीक़े से FIR दर्ज कराएँ...
धन्यवाद
8875101210

आप द्वारा दर्ज की गई FIR की एक copy मेरे पास तक भी भिजवा सकते हैं आप Whatsaap पर..
Jai Jinendra

Source: © Facebook

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News in Hindi

This is the best reply one can give to these people who just put useless allegations on our Muni 😘... Jai ho GuruvarTarunsagarji Maharajj Shri ki ❤
*मुनिश्री तरुणसागर जी महाराज व दिगंबर संतों पर विशाल ददलानी और तहसीम पुनवालिया की गयी अभद्र टिप्पणी पर आक्रोश जताती मेरी कविता*

फिर से देखो एक सिरफिरा बोल ये कैसे बोला है,
कोहिनूर हीरे को उसने काले कोयले से तौला है ।

अच्छे दिन और कच्छे दिन का भेद बताने वाले सुन,
अपनी ओछी बातों को गानों में गाने वाले सुन ।

चकाचोंध की आंच में तू संस्कारों को भूल गया,
शोहरत के गुब्बारे में तू इतना कैसे फूल गया ।

नग्न दिगंबर साधु का तू त्याग नहीं समझेगा रे,
क्रांतिकारी संत की शीतल आग नहीं समझेगा रे।

वो महावीर के वंशज, तू शीला वाली जवानी है,
वो गंगधार से पावन है, तू कीचड़ वाला पानी है

माना कई बुद्धिमानों को मेरी बातें खल जाएंगी,
तहसीन पूनावालिया फिर गुस्से में जल जाएंगी ।

मोह माया को त्याग कर एक संत दिगंबर बनता है,
तप के बल से,सामायिक से,जीते जी अम्बर बनता है।

उस अम्बर की ऊंचाई पे ऊँगली नहीं उठाते है,
पल भर के जुगनू सूरज को आँख नहीं दिखाते है

तुझमें और उनमें एक बड़ा सा अंतर है,
तू मन से है नंगा और वो तन से दिगंबर है ।

आना नग्न,जाना नग्न,उसी सत्य को अपनाया,
प्रभु महावीर के संदेशों को जन जन तक पहुँचाया।

पञ्च परमेष्ठी को नमन,मूर्खों को धिक्कार है,
मुनि तरुणसागर जी तो खुद में एक त्यौहार है।

ब्राह्मण हूँ और जैन अहिंसा धर्म को सदा निभाउंगा,
अपने गुरु के चरणों में लाखों बार शीश झुकाऊँगा ।

दुष्टों के भेदन हेतु राम के तीर आ जाओ अब,
या इनको सत्य सिखाने,महावीर आ जाओ अब

*क्रांतिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुणसागर जी महाराज का परमभक्त*

*_कवि प्रतीक दवे रतलामी_*

Source: © Facebook

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