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Gadal, Dharapur, Guwahati, Assam, India
अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
परिपक्वता, बलवता व सक्षमता का केन्द्र है युवावस्था
-अ.भा.ते.यु.प. के 50वें वार्षिक सम्मेलन में भाग ले रहे युवाओं को आचार्यश्री ने दी प्रेरणा
-युवावस्था को आचार्यश्री ने बताया कार्यकारी अवस्था
-उपाध्यक्ष और महामंत्री ने भावनाओं की दी अभिव्यक्ति, युवाशक्ति ने दी गीत की प्रस्तुति
-टेलीफोन डायरेक्ट्री को आचार्यश्री के चरणों में किया समर्पित
17.09.2016 गड़ल (असम)ः युवा शब्द अपने आप में ही ऊर्जावान शब्द है। युवा एक ऐसी अवस्था, जब इस अवस्था में पहुंचने के बाद आदमी एक विशेष कार्यक्षमता, एक विशेष सोच और एक विशेष शक्ति से परिपूर्ण हो जाता है। यह युवा सोच ही परिवार, समाज और राष्ट्र को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने में सक्षम होती है। युवास्था में बेहतर सोच, संकल्प व श्रम के साथ किया गया कार्य अपने आप में अद्वितीय हो सकता है। कहते हैं किसी भी राष्ट्र की शक्ति का आंकलन करना हो तो वहां युवाओं की जनसंख्या का अवलोकन कर लिया जाए तो उस राष्ट्र की क्षमता को मापा जा सकता है। ऐसे ही युवा देश भारत के असम राज्य के कामरूप में जिले में अवस्थित गड़ल, धारापुर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के युवाओं का 50वां वार्षिक सम्मेलन धर्मसंघ के गयारहवें अनुशास्ता, युवामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण जी की सन्निधि मंे आरम्भ हो चुका है।
धर्मसंघ का युवा संगठन अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के 50वें वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को देश भर से जुटे सैकड़ों को युवाओं को आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में युवकत्त्व की अवस्था कार्यकारी अवस्था होती है। बुढ़ापे और बचपन के बीच की स्थिति युवावस्था होती है। यह अवस्था बड़े काम की होती है। इस अवस्था में परिपक्वता, बलवता और सक्षमता जो होती है, वह किसी अन्य अवस्था में नहीं होती। इस अवस्था में किए गए कार्य क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सक्षम हो सकते हैं। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के वार्षिक अधिवेशन का प्रसंग चल रहा है। इसके युवा सदस्य अपने ढंग से कार्य भी कर रहे हैं।
आचार्यश्री ने युवाओं को कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को अपने समय का अच्छा उपयोग करना चाहिए। आदमी को निठल्ला नहीं रहना चाहिए। इसके लिए पूज्यप्रवर ने ‘हर हाथ में काम और मन पर रहे लगाम’ सूक्ति वाक्य प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को हमेशा कार्य करते रहने का प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही मन पर लगाम लगाने आवश्यकता पर भी बल देते हुए कहा कि जीवन में शरीर और आत्मा का योग होता है। शरीर जड़ है तो आत्मा चैतन्य। आत्मा जब तक शरीर मंे मौजूद होती है सारी गतिविधियां संचालित होती हैं और आत्मा के निकल जाने के बाद शरीर अपनी जड़ता को प्राप्त हो जाता है। अर्थात् आत्मा का जीवन का केन्द्रीय तत्त्व है। ऐसे आदमी के जीवन में अनेक तत्त्व कार्य करते हैं। आदमी को अपने मन और भावनाओं पर लगाम लगाने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि कहा गया है जिसका जैसा मन, वैसी उसकी सिद्धि होती है। शरीर से आदमी क्या करता है यह गौण, मन का भाव मुख्य होता है। वचन से क्या बोला यह गौण, मन में क्या सोचता है, यह महत्त्वपूर्ण बात होती है। आदमी ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए भी मन के कारण पाप का बंध कर सकता है, तो वहीं गृहस्थी का कार्य करते हुए भी आदमी भावनाओं के माध्यम से पुण्य की प्राप्ति कर सकता है। संस्कृत ग्रंथों में मन को ही बंध और मोक्ष का कारण बताया गया है। इसलिए आदमी को भावनाओं को शुद्ध व निर्मल व शुभ बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने आज से रामायण का पाठ भी आरम्भ किया। इसके उपरान्त मुख्यमुनिश्री ने ‘प्रभु तुम्हारे पावन पथ पर’ गीत का सुमधुर संगान किया।
चन्दन पाण्डेय
इसके उपरान्त आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति देते हुए अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राजेश जम्मड़ ने कहा कि गुरुदेव आपके मंगलपाठ के बाद आरम्भ हुआ यह अधिवेशन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। युवाओं में ऐसी ऊर्जा का संचार हुआ है कि वह किसी भी कार्य को सम्पन्न करने में सक्षम महसूस कर रही है। संगठन आपके इंगित के अनुसार कार्य करने को कटिबद्ध है। उन्होंने संगठन के अनेक कार्यों को गिनाया और आचार्यश्री के किसी भी इंगित या निर्देश का अनुपालन करने के अपने भावों को दोहराया। अभातेयुप के महामंत्री श्री विमल कटारिया ने पूज्यप्रवर के समक्ष अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति देते हुए कहा कि प्रभु आपके इंगित की आराधना के लिए यह संगठन निरंतर तत्पर है। आप द्वारा सामायिक किए जाने की प्रेरणा से अभिप्रेरित युवाओं ने विगत एक सितम्बर को पूरे देश में एक साथ तीन घंटे के भीतर एक लाख से अधिक सामायिक का सफल आयोजन कराकर आध्यात्मिक कीर्तिमान स्थापित करने का प्रयास किया। आपसे युवाओं को प्रेरणा प्राप्त होती रहे और संगठन पूरी निष्ठा, समर्पण और संकल्प के साथ आपकी आराधना और निर्देशों को पूर्ण करने को तत्पर बना रहे। युवाशक्ति के लोगों ने ‘शासन सेवा करते जाएं’ गीत का संगान भी किया। साथ ही पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की बनी टेलीफोन डायरेक्ट्री को आचार्यश्री के चरणों में अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
चन्दन पाण्डेय
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