22.09.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 22.09.2016
Updated: 05.01.2017

Update

UPDATE ❖ कुर्सी के लिए लड़ रहे लोग भरत से सीखें राज चलाना #आचार्यश्री #HabibGanj #Bhopal

आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने सुभाष स्कूल में रविवारीय धर्मसभा में अपने प्रवचनों में राजनेताओं व समाज सेवियों को सांकेतिक भाषा में बहुत कुछ सीख दी। उन्होंने कहा कि जो लोग कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं, वे भरत से सीख लें, जिन्होंने अपने बड़े भाई श्रीराम की चरण पादुकाओं को सिंहासन पर रख कर राज-पाठ चला लिया। दूसरी ओर समाजसेवी और दानदाता यह भी जान लें कि वर्तमान में देवालयों के साथ ही शिक्षा के मंदिरों की भी महती आवश्यकता है। आचार्य श्री ने सीख देते हुए कहा प्रातःकाल की वेला मनोरम वेला होती है। जीवन मे सफल होना है और जीवन का सही आनंद उठाना है तो सुबह 4 बजे उठना चाहिए । सुबह के 6 घंटे 24 घंटे के बराबर होते है। इस समय को अमृत समय भी कहा जाता है।

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

#Jainism #JainDharma #Jainsadhu #Jainsaint #Digambara #Nirgranth #Tirthankara #Adinatha #Mahavira #Rishabhdev #Acharyashri #Vidyasagar #Kundkund #Shantisagar

Source: © Facebook

चोपड़ा कुंड.. भगवान पार्श्वनाथ LIVE PIC:) संवलिया पारसनाथ शिखर पर भला विराजा जी.. ओ बाबा देखो विराजा जी..

Source: © Facebook

Update

❖ #Chinmaysagar #Junglewalebaba:)

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

#Jainism #JainDharma #Jainsadhu #Jainsaint #Digambara #Nirgranth #Tirthankara #Adinatha #Mahavira #Rishabhdev #Acharyashri #Vidyasagar #Kundkund #Shantisagar

Source: © Facebook

News in Hindi

❖ नैनागिर में हुआ था चमत्कार ~बात 1993 की है, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ नैनागिर में विराजमान थे, वैसे तीर्थक्षेत्रों पर भीड़ कम रहती है, परन्तु जहाँ स्वयम चलते फिरते तीरथ विराजमान हों वहाँ तो मेला लगा ही रहता है, सुबह का समय था आचार्य भगवन ससंघ मंच पर आसीन थे और प्रवचन चल रहे थे... #Nainagir #SiddhaKshetra

सब लोग शांत होकर गुरु की अमृत वाणी सुन रहे थे, वही टेंट के खम्बे के पास एक छोटा सा छिद्र था उसमे एक सर्प छिपा हुआ आराम से आचार्य भगवन को देख रहा था, अचानक पास बैठे एक व्यक्ति की नजर उसपर गई और वो घबराकर उठ गया और चिल्लाने लगा सांप - सांप, उसे देखकर सब लोग उठकर खड़े हो गए और इधर उधर भागने लगे वो सर्प मंच के पास आया और जोर जोर से नृत्य करने लगा, वहाँ उपस्थित लोग आश्चर्य से देखने लगे ये क्या हो रहा है, आचार्य भगवन भी अपनी चिरपरिचित मुस्कान लिये उसे देख रहे थे, उस समय मोबाइल नही चलते थे तो कुछ कैमरे वाले लोग जो वहाँ आचार्य श्री के प्रवचन रिकॉर्ड कर रहे थे, वो अपने कैमरे से पूरी घटना रिकॉर्ड करने लगे, थोड़ी देर बाद उस सर्प ने आचार्य श्री को तीन बार जमीन पर फन रखकर नमोस्तू किया, आचार्य श्री ने उसे हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया और सबके सामने से वो सर्प अचानक से ही गायब हो गया वहाँ उपस्थित लोगों ने उसे बहुत ढूढ़ने की कोशिस की लेकिन कहीं नही मिला आचार्य श्री ने सबसे बैठने के लिये कहा

वो सर्प तो चला गया, वहाँ तीन लोगों ने कैमरे से पूरी घटना रिकॉर्ड की थी जब उसकी रिकोर्डिंग देखी तो फिर से चमत्कार हुआ, तीनों कैमरों में सब कुछ आया, आचार्य श्री ससंघ आये, वहाँ उपस्थित जितने लोग थे सब आये... लेकिन वो सर्प किसी भी कैमरे में कहीं भी नही दिखा, बार बार रिपीट करके देखते रहे तीनों कैमरा वाले, पर वो कोई साधारण सर्प नही था वो तो देव थे जो आचार्य भगवन को सुनने उनके दर्शन करने सर्प का रूप रखकर धरती पर आये थे

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

#Jainism #JainDharma #Jainsadhu #Jainsaint #Digambara #Nirgranth #Tirthankara #Adinatha #Mahavira #Rishabhdev #Acharyashri #Vidyasagar #Kundkund #Shantisagar

Source: © Facebook

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Bhopal
          2. Digambara
          3. Jainism
          4. JinVaani
          5. Kundkund
          6. Mahavira
          7. Nainagir
          8. Rishabhdev
          9. Shantisagar
          10. Tirthankara
          11. Vidyasagar
          12. आचार्य
          13. दर्शन
          14. शिखर
          Page statistics
          This page has been viewed 453 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: