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‘नैनो सैटेलाइट’ बनाने में सुमित जैन IIT इंजीनियर की अहम भूमिका, मिलेगी पूर्व सूचना
इसरो के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से सोमवार को लांचिंग होने वाले उपग्रहों में से एक को बनाने में अजमेर के रहने वाले आैर वर्तमान में आईआईटी मुंबई में पढ़ने वाले इंजीनियरिंग छात्र ने अहम भूमिका निभाई है। छात्र सुमित जैन ने इस नैनो सैटेलाइट को आकार देने में दिन-रात एक कर दिया। आईआईटी मुंबई का पहला स्टूडेंट सैटेलाइट...
आईआईटी मुंबई का पहला स्टूडेंट सैटेलाइट है, जिसे ‘प्रथम’ के नाम से जाना जाएगा। सोमवार को इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन का श्रीहरिकोटा केंद्र इसे लांच करेगा। यह 4 माह तक धरती से 720 किमी दूर अंतरिक्ष में रहकर “सुनामी’ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना देगा। करीब 1.5 करोड़ की लागत के इस सैटेलाइट को बनाने में आईआईटी मुंबई की स्टूडेंट्स टीम को 8 साल लगे। डीएवी शताब्दी स्कूल से पासआउट सुमित बताते हैं कि आईआईटी मुंबई की जिस टीम ने पहला स्टूडेंट सैटेलाइट बनाया है, उसमें वह भी शामिल हैं। यह नैनो सैटेलाइट है, जिसे इसरो द्वारा अंतरिक्ष की “लो-अर्थ आरबिट’ (लिआे) में छोड़ा जाएगा।
यह लांचिंग पूरी तरह निशुल्क होगी। इसरो स्टूडेंट्स द्वारा बनाए सैटेलाइट को निशुल्क लांच करता है। 26 सितंबर को श्री हरिकोटा से एक साथ आठ सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़े जाएंगे, जिनमें हमारा “प्रथम’ भी शामिल हैं।
अजमेर के आदर्श नगर निवासी सुमित अभी आईआईटी मुंबई में मैकेनिकल इंजीनियरिंग फोर्थ ईयर में अध्ययनरत हैं। सुमित के पिता सुभाष जैन अजमेर में ऑटो पार्ट्स व्यवसायी हैं। मैकेनिकल सब सिस्टम के हैड सुमित जैन बताते हैं कि इस नैनो सैटेलाइट की परिकल्पना आठ साल पहले उनके सीनियर सप्तऋषि बंधोपाध्याय आैर शशांक तामस्कर ने की थी। आठ साल से आईआईटी मुंबई में अध्ययन करने आने वाले विद्यार्थियों की विभिन्न टीमें इसे साकार करने में जुटी, वर्तमान में जो टीम काम कर रही है उसमें छत्तीसगढ़ के रत्नेश मिश्रा, एमपी की मानवी, महाराष्ट्र की रचना, यूपी के अस्थेष आैर अगरतला के विशाल सहित अन्य आईआईटीएन शामिल हैं।
डेढ़ माह इसरो बेंगलुरू में रहकर किया परिकल्पना को साकार
सुमित जैन के साथ उनके कॉलेज के सीनियर व जूनियर मिलाकर छह इंजीनियर करीब डेढ़ माह तक इसरो बेंगलुरू प्लांट में रहकर नैनो सैटेलाइट की परिकल्पना साकार करने में जुटे थे। वहां इसरो के डायरेक्टर अन्ना अदूरॉय सहित अन्य अंतरिक्ष वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन मिला। सैटेलाइट लांच होने के बाद चार माह तक अंतरिक्ष में रहेगा। सुमित ने बताया कि वह इंजीनियरिंग के बाद पीएचडी करेगा, फिर स्पेस सेक्टर में अपना व्यवसाय करेगा।
सुनामी की पूर्व सूचना मिलेगी
“प्रथम’ अंतरिक्ष में रहकर सुनामी जैसे प्राकृतिक आपदाओं के पूर्व सूचना देने के साथ ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) के सिग्नल को बेहतर बनाने में मदद करेगा। सुमित ने बताया कि “प्रथम’ फैराडे सिद्धांत पर कार्य कर आयन मंडल में उपस्थित इलेक्ट्रॉन घनत्व का मापन करेगा। इस गणना का इस्तेमाल करके जीपीएस से उपलब्ध सूचनाओं को आैर बेहतर आैर त्रुटि रहित बनाया जा सकेगा। इससे सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना तकनीकी रूप में मिल सकेगी।
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