30.10.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 30.10.2016
Updated: 05.01.2017

Update

Mr. Obama wishes on Diwali.. via Official @ President Obama Page. #Diwali #Obama #Jain #Jainism #LordMahavira #Nonviolence #Ahinsa

To all who are celebrating the festival of lights across America and around the world, happy Diwali. As Hindus, Jains, Sikhs, and Buddhists light the diya, share in prayers, decorate their homes, and open their doors to host and feast with loved ones, we recognize that this holiday rejoices in the triumph of good over evil and knowledge over ignorance. It also speaks to a broader truth about our shared American experience. It's a reminder of what's possible when we see beyond the differences that too often divide us. It's a reflection of the hopes and dreams that bind us together. And it's a time to renew our collective obligation to deepen those bonds, to stand in each other's shoes and see the world through each other's eyes, and to embrace each other as brothers and sisters - and as fellow Americans.

I was proud to be the first President to host a Diwali celebration at the White House in 2009, and Michelle and I will never forget how the people of India welcomed us with open arms and hearts and danced with us in Mumbai on Diwali. This year, I was honored to kindle the first-ever diya in the Oval Office - a lamp that symbolizes how darkness will always be overcome by light. It is a tradition that I hope future Presidents will continue.

On behalf of the entire Obama family, I wish you and your loved ones peace and happiness on this Diwali.

Source: © Facebook

🔆 *भगवान महावीर के वंशज दीपावली कैसे मनाये* 🔆

पूज्य आचार्य देव श्री १०८ विद्यासागर जी यतिराज के परम प्रभावक शिष्य मिथ्यात्व भंजक जगतपूज्य मुनि पुंगव श्री १०८ #सुधासागर जी ऋषिराज के विशेष प्रवचन:~

🔆कैसे मनाये हम #दीपावली🔆
👉सबसे पहले हम जैन है, हम और हमारा परिवार का कोई भी सदस्य दिवाली और कभी भी शुभ कार्यो में फटाका नही चलायेगा, फटाका में बारूद है और बारूद नकारात्मकता का प्रतीक होता है।
👉 दीपावली के दिन सबसे पहले सुबह परिवार का एक-एक सदस्य नहा-धोकर हाथो में दिया लेकर मंदिर में पूजन कर निर्वाण लाडू चढ़ायेगा, निर्वाण लाडू सिध्य शिला के आकार हो और सिर्फ बूरे का बना हो । बूंदी, बेसन आदि का नही।
👉 रात्रि में पूजन जिन आगम में नही दोपहर 3, या 4 बजे से गोधूलि बेला में परिवार का हर सदस्य नहा-धोकर जैसे मंदिर में शुद्ध सोलह का वस्त्र पहनकर जाता है उसी प्रकार धोती दुपट्टे में गौतम स्वामी की अष्ट द्रव्य से पूजन करेंगे।।
👉पूजन के समय उच्च स्थान पर माँ जिनवाणी और भगवान महावीर, गौतम स्वामी की फोटो रखे गौतम स्वामी की प्रतीकात्मक फोटो के रूप में आचार्य परमेष्ठी या साधु गण की फोटो रख सकते है, अन्य किसी भी देवी देवता की नही ।
👉१६ माटी के दियों पर सोलह कारण भावना का नाम लिखकर एक दिया में ४ बाती करकर ६४ ऋद्धि बोलते हुए, एक एक करके ६४ बाती को जलाये
👉पूजन के बाद पूजन थाल के बचें हुए पुष्प को परिवार का मुखिया सबके ऊपर डालें
👉पूजन के बाद एक दिया मंदिर जी में,एक दिया अपने रिश्तेदार के घर और एक दिया अगर नगर में मुनिराज हो उनके कमरे के अंदर या बाहर रखें।
👉पूजन के स्थान से हटकर अगर आप चाहते है तो, ख़ुशी के रूप में सबको मिठाई बाटें, गरीबो के घर जाकर कपडे, मिठाई, आदि दे।
शुभ दीपावली...!!

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News in Hindi

विज्ञान-नगर के वैज्ञानिक, तेरी प्रयोगशाला विस्मय।
कैवल्य-कला में उमड़ पड़ा, सम्पूर्ण विश्व का ही वैभव।।
पर तुम तो उससे अतिविरक्त, नित निरखा करते निज-निधियाँ।
अतएव प्रतीक प्रदीप लिये, मैं मना रहा दीपावलियाँ।।

श्री वर्धमान महावीर भगवान के निर्वाण दिवस व श्री गणधर गौतम स्वामी के केवलज्ञान प्राप्ति दिवस की अनन्त शुभकामनाएँ हम भी अपने जीवन में गौतम स्वामी की तरह मिथ्यात्व रुपी अंधकार को छोड़कर ज्ञान रुपी प्रकाश को प्राप्त करे व श्री वीरप्रभु की भाँति मोक्षपथ के पथिक बन पूर्णता को प्राप्त करे।।

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जिससे भी पता हो ज़रूर बताये...

दीपावाली पर्व कोन से तीर्थंकर भगवान के मोक्ष कल्याणक पर्व के उपलक्ष्य में मनाया जाता हे....???

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निर्वाण कल्याणक -महावीर प्रभु #Diwali #MahavirBhagwan

अभी पंचमकाल का प्रारंभ होने में तीन वर्ष आठ मास तथा पन्द्रह दिन का समय शेष था | चौथा काल चल रहा था | प्रभु महावीर का विहार थम गया; वाणी का योग भी मोक्षगमन के दो दिन पूर्व { धन्यतेरस से } रुक गया |प्रजाजन समझ गये कि अब प्रभु के मोक्षगमन की तैयारी है | प्रत्येक देश के राजा तथा लाखो प्रजाजन भी प्रभु के दर्शनार्थ आ पहुँचे | परम वैराग्य का वातावरण छा गया | भले ही वाणी बन्द हो गई थी,तथापि प्रभु की शान्तरस झरती मुद्रा देखकर भी अनेक जीव धर्म प्राप्त करते थे | गौतम गणधरादि मुनिवर ध्यान में अधिकाधिक एकाग्र हो रहे थे | प्रभु की उपस्थिति में प्रमाद छोड़कर अनेक जीवों ने सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र की आराधना प्रारंभ कर दी |

*इसतरह कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तथा चतुर्दशी को दो दिन देवेन्द्रों तथा नरेन्द्रों ने सर्वज्ञ महावीर तीर्थंकर की अन्तिम महापूजा की*. मोक्ष महोत्सव का महान मेला लग रहा था....संसार को भूलकर सब मोक्ष की महिमा मे तल्लीन थे |चतुर्दशी की रात्री हुई,अर्धरात्री भी बीत गई और...पिछले प्रहर { अमावस्या का प्रभात उदित होने से पूर्व } वीरनाथ सर्वज्ञ प्रभु तेरहवाँ गुणस्थान लाँघकर चौदहवे गुणस्थान में अयोगीरुप से विराजमान हुए | यहाँ आस्त्रव का सर्वथा अभाव एवं संवर की पूर्णता हुई | परम शुक्ल ध्यान{ तीसरा -चौथा } प्रगट करके शेष अघाति कर्मों की सम्पंर्ण निर्जरा प्रारंभ कर दी और क्षणमात्र में प्रभु सर्वज्ञ महावीर मोक्ष भावरुप परिणमित हुए....तत्क्षण ही लोकाग्र में सिध्दालयरुप मोक्षपुरी में पहुँचे | आज भी वे सर्वज्ञ परमात्मा वहाँ शुध्द स्वरुप अस्तित्व में विराज रहे है....उन्हे हमारा { वीरा का } बारंबार नमोस्तु
है |

🙏 जय बोलो महावीर भगवान की
जय हो! निर्वाणमहोत्सव की जय
हो! जय हो! जय हो! 🙏

पावापूरी में वीरप्रभु निर्वाण को प्राप्त हुए और कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की अंधेरी रात भी मोक्षकल्याणक के दिव्य प्रकाश में जगमगा उठी....लाखों भक्तों ने करोडों दीपकोंकी आवलियाँ सजाकर प्रभु के मोक्ष कल्याणक का उत्सव मनाया;इसलिये कार्तिक कृष्ण अमावस्या *दीपावली पर्व* के रुप में प्रसिध्द है | उस निर्वाण महोत्सव को अब रविवार दि.29/10/2016 को 2543 वर्ष पूर्ण हो जाऐगे |

उसी दिन गौतमगणधर स्वामी चैतन्य की अनुभूति में अधिक गहरे उतरकर मोक्ष की साधना में मग्न हो गये थे | 30 वर्ष तक जिनके सतत सान्निद्य में रहा |...ऐसे मेरे प्रभो निर्वाण को प्राप्त हुए और मै अभी छद्मस्थ ही रहा?....अब आज ही साधना पूर्ण करुंगा -इस प्रकार उत्कृष्ट रुप से आत्मा की आराधना में लीन होकर उसी दिन केवलज्ञान को प्रगट किया और सर्वज्ञ परमात्मा हुए |
उनके शिष्य सुधर्मस्वामी उसी दिन श्रुतकेवली बने | नमस्कार हो उन केवली-श्रुतकेवली भगवन्त को |

और इसीकारण गणधर को केवलज्ञान की प्राप्ती हुई उस हेतु उनकी पूजन करते है |

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एक चर्चा आचार्य श्री के लौकिक जीवन के बचपन के मित्रों से #Acharyashri #AcharyaVidyasagar

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज तब भाव विभोर हो गए जब उनके बचपन के तीन मित्र शिव,रूद्र और पारस उनके समक्ष दर्शन करने पहुंचे। चारों मित्रों को अचानक अतीत की सभी यादें ताजा हो गई जब बो बचपन में साथ साथ खेला करते थे। उनके बचपन के मित्र रुद्रकुमार वी हलापनवर ने बताया की वे पेशे से किसान हैं और गन्ने की खेती करते हैं उन्होंने कृषिशास्त्र में स्नातक किया है। उन्होंने बताया की हम चारों मित्र बचपन में कैरम,शतरंज और गिल्ली डंडा जैंसे खेल खेलते थे। 15 बर्ष की उम्र में बालक विद्याधर सभी लोगों को मंदिर में एकत्रित कर भगवान की भक्ति करवाया करते थे। वे बचपन से ही धार्मिक प्रवत्ति के थे।

दुसरे मित्र शिव कुमार ने बताया कि आचार्य श्री बचपन से ही बहुत गंभीर थे और बस्त्रों में पजामा, शर्ट और नेहरू टोपी पहनते थे और अपने बस्त्रों में प्रेस स्वयं किया करते थे। उन्हें शतरंज का बहुत शौक था। तीसरे मित्र पारस जी ने बताया की मेरे साथ बहुत हास परिहास किया करते थे। हुतुतु का खेल और कंचे का खेल भी बहुत खेलते थे। आज हम तीनों मित्रो ने उनके दर्शन करके बहुत आशीर्वाद पाया और मन को भी बहुत प्रसन्नता हुई। हमारे बचपन की सारी यादें ताजा हो गई हैं हमें गर्व है की हमारा मित्र आज करोडों लोगों की आँखों का तारा बना हुआ है।

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