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today pic.. आज आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि मोक्षमार्ग पर चलना आसान हो सकता है परंतु संभलना भी जरूरी होता है।
आचार्यश्री ने कहा कि जब इस मार्ग पर चलने में पसीना बहता है तो पोंछने के लिए तौलिया भी उपलब्ध नहीं होती है। जब हम संभल संभल कर मोक्ष मार्ग की तरफ बढ़ते हैं तो सम्यक ज्ञान की प्राप्ति संभव हो जाती है उन्होंने कहा कि हम जब पानी बाले नारियल को बजाते हैं तो उसमें से पानी की आवाज आती है और सूखे नारियल (खोपरा) को बजाते हैं तो उसमें से गोले की आवाज आती है, जो बनने की प्रक्रिया में होता है। ऐंसे ही हमारे भावों में जो गीलापन है उसे खोपरे की तरह सुखा बनाने के लिए अपनी खोपड़ी में से संसार की माया को विलुप्त करना पड़ेगा और इसके लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है।
_गुरुवर ने राजस्थान से आये भक्तों की चुटकी लेकर कहा कि आपके राजस्थान में एक चार पहिया वाहन चलता है जिसे जुगाड़गाडी कहते हैं वो आपने जुगाड़ से तैयार की है जो सरपट दौड़ती है परंतु तप के मार्ग में कोई जुगाड़ नहीं चलती यहां तो स्वयं ही चलना पड़ता है। यदि आप मोक्ष मार्ग की और सतत् बढ़ना चाहते हैं तो उसके लिए आपको पूरी तरह तैयार होना पडेगा,जिस तरह पानी बाला श्रीफल सुखा गोला बनने के लिए भीतर ही भीतर तप करता है,आपको भी भीतर ही भीतर तपना होगा तब आपका मोक्ष मार्ग प्रशस्त होगा।
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News in Hindi
आगे आगे अपनी अर्थी के मैं गाता चलूँ, सिद्ध नाम सत्य है अरिहंत नाम सत्य है #Kshamasagar
पीछे पीछे दूर तक दिख रही जो भीड़ है,
पंछी शाख से उड़ा, खाली पड़ा नीर है,
शक्ति सारी देख ले, पर्याय ही अनित्य है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है।२।
जिनको मेरे सुख दुखों से कुछ नहीं था वास्ता ।
उनके ही कांधों में मेरा कट रहा है रास्ता,
आँख जब मुंदी तो कोई शत्रु है न मित्र है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है।२।
डोरियों से में बंधा नहीं यह मेरा संस्कार था ।
एक कफ़न पर मेरा रह गया अधिकार था,
तुम उसे उतार ने जा रहे यह सत्य है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है।२।
आपके अनुराग को आज यह क्या हो गया,
मैं चिता पर चढ़ा महान कैसे हो गया,
सत्य देख हँस रहा की जल रहा असत्य है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है।२।
आपके ही वंश से भटका हुआ हूँ देवता,
आत्म तत्त्व छोड़ कर में जगत को देखता,
यह अनादि काल की भूल का ही करत्य है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है
आगे आगे अपनी अर्थी के में गाता चलूँ
सिद्ध नाम सत्य है अरिहंत नाम सत्य है।
~समाधिस्थ मुनि श्री क्षमासागर जी की सबसे प्रिय पंक्तिया जिन्हें वे हमेश गुनगुनाया करते थे
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