27.11.2016 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 28.11.2016
Updated: 28.11.2016

News in Hindi

★ मुनि श्री का पदार्पण।
🔘 जिगनी, बैंगलोर
★ साध्वी श्री का पदार्पण।
🔘 मत्तिकेरे, बैंगलोर
★ आध्यत्मिक मिलन।
🔘 शिवपुर, MP

27.11.2016
प्रस्तुति > #तेरापंथ मीडिया सेंटर
#jain #terapanth #tmc #news

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📢 शिलोंग:-
शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य से आज के प्रवचन कालीन अनुपम दृश्य।

27.11.2016
प्रस्तुति > #तेरापंथ मीडिया सेंटर
#jain #Terapanth #Acharyamahashraman #tmc #shillong #news #meghalaya #ahimsayatra

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🌎 आज की प्रेरणा 🌏
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
आलेखन - संस्कार चैनल के श्रवण से:-

आर्हत वाड्मय में कहा गया है - बारह भावनाओं में बारहवीं भावना है बोधि दुर्लभ भावना | हमारी आत्मा संसार में अनंत काल से संचरण व भ्रमण कर रही है | कभी देव, कभी नारक, कभी मनुष्य लोक में भ्रमण करते करते बोधि रत्न की प्राप्ति होती है | आचार्य विजयसूरीजी ने कहा है - हम मनुष्य जीवन के महत्व का अंकन करें | जब तक रोग व बुढ़ापा पीड़ित न करे तब तक इसका उपयोग करें | बोधि सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन का भान होना है| मैं आत्मा हूँ शरीर नहीं हूँ | यह अभी तो सहचर है पर सदा साथ देने वाला नहीं है| अतः हम इसके सही उपयोग की ओर भी ध्यान दें, शरीर और आत्मा की भिन्नता पर ध्यान दें व यथार्थ दृष्टिकोण के प्रति आस्थावान बनें | सच्चाई कहीं पर भी हो वह स्वीकार्य है, सिरोधार्य है | अर्हत मेरे देव, शुद्ध साधु मेरे गुरू व केवली भाषित धर्म मेरा धर्म है| यह बोधि है - सम्यक दर्शन | सत्य का बोध सम्यक ज्ञान| चारित्र बोधि हमारे आचरण से सम्बन्धित है | मैं मानव हूँ और मानव बना रहूँ | मुझे सुख प्रिय है व दुःख अप्रिय तो दूसरों को भी सुख प्रिय व दुःख अप्रिय है | इसलिए हम जीव हिंसा से बचने का प्रयास करें | जो हम दूसरों से नहीं चाहते वैसा व्यवहार दूसरों के साथ भी न करें |

दिनांक - २७ नवम्बर २०१६, रविवार

🌎 आज की प्रेरणा 🌏
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
आलेखन - संस्कार चैनल के श्रवण से:-

आर्हत वाड्मय में कहा गया है - बारह भावनाओं में बारहवीं भावना है बोधि दुर्लभ भावना | हमारी आत्मा संसार में अनंत काल से संचरण व भ्रमण कर रही है | कभी देव, कभी नारक, कभी मनुष्य लोक में भ्रमण करते करते बोधि रत्न की प्राप्ति होती है | आचार्य विजयसूरीजी ने कहा है - हम मनुष्य जीवन के महत्व का अंकन करें | जब तक रोग व बुढ़ापा पीड़ित न करे तब तक इसका उपयोग करें | बोधि सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन का भान होना है| मैं आत्मा हूँ शरीर नहीं हूँ | यह अभी तो सहचर है पर सदा साथ देने वाला नहीं है| अतः हम इसके सही उपयोग की ओर भी ध्यान दें, शरीर और आत्मा की भिन्नता पर ध्यान दें व यथार्थ दृष्टिकोण के प्रति आस्थावान बनें | सच्चाई कहीं पर भी हो वह स्वीकार्य है, सिरोधार्य है | अर्हत मेरे देव, शुद्ध साधु मेरे गुरू व केवली भाषित धर्म मेरा धर्म है| यह बोधि है - सम्यक दर्शन | सत्य का बोध सम्यक ज्ञान| चारित्र बोधि हमारे आचरण से सम्बन्धित है | मैं मानव हूँ और मानव बना रहूँ | मुझे सुख प्रिय है व दुःख अप्रिय तो दूसरों को भी सुख प्रिय व दुःख अप्रिय है | इसलिए हम जीव हिंसा से बचने का प्रयास करें | जो हम दूसरों से नहीं चाहते वैसा व्यवहार दूसरों के साथ भी न करें |

दिनांक - २७ नवम्बर २०१६, रविवार

✨ ॐ श्री महाप्रज्ञ गुरवे नमः ✨

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🔯 गुरुवचनों को अपनाये - जीवन सफल बनायें 🔯
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