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गुरु पुष्कर देवेन्द्र #जैन #कैलेण्डर
#2017_जनवरी
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#जैन_मंदिर की दास्तां
यहां भगवान को पत्थर मारकर पूजते हैं भक्त, जानिये क्यों
- पेट दर्द के शिकार लोगों ने राई के इस जैन मंदिर में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियों पर इतने पत्थर बरसाए कि मंदिर में स्थापित मूर्तियों को बेहद नुकसान पहुंचा।
भगवान को भक्तों का डर है, अजब है, लेकिन सच है एक मंदिर में भक्त भगवान को पत्थर मारते हैं। भक्तों की इस आस्था की वजह से जैन तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ, पुंथनाथ और अरहनाथ की 1200 साल पुरानी प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। पुष्करवाणी गु्रप ने जानकारी लेते हुए बताया कि प्रतिमाओं को बचाने के लिए जैन समाज ने अब भगवान को लोहे का जाल बनाकर ताले में कैद कर दिया है। भगवान को भक्तों से बचाने लगाना पड़ा ताला...
- शिवपुरी से 31 किमी दूर राई गांव में नौवीं शताब्दी के जैन मंदिर हैं।
- इन मंदिरों में जैन तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ, पुंथनाथ और अरहनाथ की 1200 साल पुरानी प्रतिमाएं स्थापित हैं।
- गांवों में किसी प्रचलित विश्वास की वजह से भक्त इन मूर्तियों को पत्थर मार कर मनौती मनाते हैं।
- भक्तों की इस आस्था के चलते ये दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं है।
- इन्हें भक्तों के पत्थरों से सुरक्षित रखने के लिए मंदिर को इर्दगिर्द लोहे का जाल लगाकर बाहर ही ताला डालना पड़ा है।
- अब इस मंदिर को पूजा-आराधना के लिए खुद पुजारी समाज की सामूहिक मौजूदगी में खोलते हैं और पूजा संपन्न हो जाने पर मंदिर बंद कर ताले डाल दिए जाते हैं।
पत्थर मारने से होता ठीक हो जाता है पेट दर्द
- किंवदंती है कि किसी पेट में दर्द रहता है तो इस प्राचीन जैन मंदिर में पहुंचकर भगवान शांतिनाथ और उनके पास स्थापित पुंथनाथ व अरहनाथ की मूर्तियों पर पत्थर मार दे।
- गांव वालों को विश्वास है कि इससे पेट दर्द बंद हो जाएगा, और फिर कभी नहीं होगा।
- पेट दर्द के शिकार लोगों ने राई के इस जैन मंदिर में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियों पर इतने पत्थर बरसाए कि मंदिर में स्थापित मूर्तियों को बेहद नुकसान पहुंचा।
- भगवान शांतिनाथ समेत दो अन्य जैन तीर्थंकर प्रतिमाओं पर चेचक जैसे दाग नजर आते हैं।
सेठ पाड़ा शाह ने बनवाया था ये मंदिर
- सेसई जैन मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष राजाराम जैन ने बताया 9वीं व 10वीं शताब्दी में सेठ पाड़ा शाह ने ये मंदिर शिवपुरी, गुना और अशोकनगर क्षेत्रों में बनवाए थे।
- इन मंदिरों में भगवान शांतिनाथ, पुंथनाथ और अरहनाथ की मूर्तियां स्थापित की गईं थीं।
- शताब्दियों पहले बने ये मंदिर आज भी ठीक हालत में हैं।
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