27.12.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 27.12.2016
Updated: 05.01.2017

Update

*जिज्ञासा समाधान - 27 Dec. 2016*
*=======================*

1. युवाओं को चाहिए कि वो अच्छी संख्या में धार्मिक क्रियाओं में सम्मलित हों । इससे बड़े, बूढ़े लोग अपने आप सुधरने लगेंगे ।

2. शास्त्रानुसार हर श्रावक को हमेशा एक मृदु वस्त्र अपने पास रखना चाहिए जीव रक्षा के लिए । जैसे कोई मक्छर शरीर पर बैठ जाए तो उसको हटाने के लिए । और पानी छानने का छन्ना भी हमेशा अपने पास रखना चाहिए ।

मुनियों के उपकरण पीक्षी और कमंडल को कभी भी श्रावकों को अपने प्रयोग में नहीं लानी चाहिए ।

3. *आज हमारा दुर्भाग्य है कि सुबह मंदिरों में भगवान् का प्रथम दर्शन बागवान करता है ।*

4. *पुरे भारत में एक भी जैन संस्था ऐसी नहीं है जो लौकिक शिक्षा में पढ़ाए जा रहे जैनो के गलत इतिहास को ठीक कराने के लिए ध्यान दे ।*

5. चिड़ियाघर आदि में पशुओं को बांधकर रखना आदि सर्वथा गलत है । और उनको देखकर मनोरंजन करना सर्वथा गलत है ।

6. *आगम में क्षत्रियों और जैनियों को नोकरी करने का कोई विधान ही नहीं है । उत्तम खेती, मध्यम व्यापर है ।* नोकरी के चक्कर में बच्चों को होस्टल आदि में जाकर क्या क्या नहीं खाना पड़ता । इसके पीछे 90% माँ बाप ही दोषी हैं । अगर माँ बाप सुधर जाएँ तो बच्चे अपने आप सुधर जाएंगे ।

7. भगवान्, गुरु और माँ बाप से अपेक्षाएं limited रखे ।

8. *विधवा स्त्री को सवा महीने तक मंदिर ना जाने देना रूडी है, आगम में ऐसा कोई विधान नहीं है।* सूतक का पालन करिये लेकिन बाहर से दर्शन कराया जा सकता है ।

9. बच्चों को हमेशा माँ बाप के ऋणों को याद करना चाहिए । तब फिर वो कभी उनकी उपेक्षा नहीं कर सकता ।

*- प. पू. मुनि श्री १०८ सुधा सागर जी एवं श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज*

Source: © Facebook

News in Hindi

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ शीत कालीन प्रवास... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज (ससंघ 38मुनि सहित) प्रवास स्थल - सिलवानी मध्य प्रदेश!!

मुनि श्री 108 समयसागर जी,
मुनि श्री 108 प्रशस्तसागर जी,
मुनि श्री 108 मल्लिसागर जी,
मुनि श्री 108 धीरसागरजी,
मुनि श्री 108 आनंदसागर जी(5 मुनि)
प्रवास स्थल - गुना

आर्यिका 105 गुरुमति माता जी ससंघ (22 आर्यिका)
प्रवास स्थल - नैनागिर

आर्यिका 105 दृढृमति माता जी (27 आर्यिका)
प्रवास स्थल - गुना

आर्यिका 105 मृदुमति माता जी ससंघ (2 आर्यिका)
प्रवास स्थल- नरसिंहपुर

आर्यिका 105 ऋजुमति माता जी ससंघ (10 आर्यिका)
प्रवास स्थल -अशोकनगर

आर्यिका 105 तपोमति माता जी ससंघ (10 आर्यिका)
प्रवास स्थल -सागर

आर्यिका 105 प्रशांतमति माता जी ससंघ (4 आर्यिका)
प्रवास स्थल - चदेरी

आर्यिका 105 अनंतमति माता जी ससंघ (19 आर्यिका)
प्रवास स्थल:-मुंगावली

आर्यिका 105 प्रभावनामति माता जी ससंघ (4 आर्यिका)
प्रवास स्थल -बेगमगंज

आर्यिका 105 आदर्शमति माता जी ससंघ (6 आर्यिका)
प्रवास स्थल -इंदौर

आर्यिका 105 दुर्लभमति माता जी ससंघ (8 आर्यिका)
प्रवास स्थल -इंदौर

आर्यिका 105 अंतरमति माता जी ससंघ (10 आर्यिका)

आर्यिका 105 अनुनयमति माता जी ससंघ (5 आर्यिका)
प्रवास स्थल -इंदौर

आर्यिका 105 अपूर्वमति माता जी ससंघ (3 आर्यिका)
प्रवास स्थल -बारा सिवनी

आर्यिका 105 उपशांतमति माता जी ससंघ (4 आर्यिका)
प्रवास स्थल -शहपुरा

आर्यिका 105 अकंपमति माता जी ससंघ (9 आर्यिका)
प्रवास स्थल -नागपुर

आर्यिका 105 गुणमति माता जी ससंघ (4 आर्यिका) स्थल -जबलपुर

आर्यिका 105 पूर्णमति माता जी ससंघ (8 आर्यिका)
चातुर्मास स्थल -दिगम्बर जैन मंदिर गुना सम र्पित कार्यकर्ता संपर्क सूत्र-संजय जैन गुना 9425139847 प्रेषक - पारस जैन पिण्डरई -8871397161

--- www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #Rishabhdev #AcharyaVidyasagar #Ahinsa #Nonviolence #AcharyaShri

Source: © Facebook

स्वर्णिम पल... #आचार्यविद्यासागर_जी

27 दिसम्बर 2001.... यूँ लगता है जैसे कल ही की बात हो..आचार्य भगवंत ससंघ अतिशय क्षेत्र कोनीजी में विराजमान थे..हमारा चौका लग रहा था...आहार कराने की तीव्र लालसा मगर क्षेत्र पर स्थान सीमित....क्षेत्र के मुख्य द्वार के बाहर सामने एक ब्राह्मण सम्प्रदाय का नवनिर्मित खपरैल बरामदा जिसमे दरवाजे नही उसे पालीथीन से विभाजित कर चौके का रूप दिया, चौका तक का पहुँच मार्ग भी दोनों और गाय बंधी रहती थी बीच से सिर्फ निकलने का रास्ता...आज 16वा दिन था...पड़गाहन को खड़े हैं और आचार्य भगवंत अपनी चिर परिचित मुस्कान के साथ आन विराजे....कब प्रदिक्षणा हुई कब शुद्धि बोली और चल पड़े चौके की और....पूर्ण नवधा भक्ति के साथ गुरुवर को आहार देने के वह 38 मिनट हमारे जीवन को धन्य कर गये....सिर्फ मन में महामन्त्र का उच्चारण और निरंतराय आहार चर्या सम्पन्न हुई....अहारोपरांत जब संघस्थ शिष्यो के साथ गुरुवर के पास बैठे और गुरुवर ने मुस्कराते हुए सब से बताया की आज हमने " कुटिया" में आहार किये.....सच बताता हूँ वो बात और वो पल ऐंसा लगता है जैसे कल ही की बात है...

इसके बाद अभी 18 फ़रवरी 2016 को पुनः आचार्य भगवंत की आहार चर्या कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ..
पूरे परिवार की ओर से गुरु चरणों में त्रिवार नमोस्तु..

- जैन ब्रजेश सेठ, पाटन

--- www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #Rishabhdev #AcharyaVidyasagar #Ahinsa #Nonviolence #AcharyaShri

Source: © Facebook

Video

What's up! Today we will be talking bout Jainism, arguably the world's most peaceful religion. We'll be going over why this is & what we can learn from it. E...

❤️ Jainism -the Philosophy ❤️

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Ahinsa
          2. Digambara
          3. Jainism
          4. JinVaani
          5. Nirgrantha
          6. Nonviolence
          7. Rishabhdev
          8. Tirthankara
          9. आचार्य
          10. दर्शन
          11. मध्य प्रदेश
          12. सागर
          Page statistics
          This page has been viewed 418 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: