31.12.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 31.12.2016
Updated: 05.01.2017

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welcome 2k17:) HAPPY NEW YEAR जैनम जैयतु शासनम! this year belongs to you..

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Advance @Happy New Year:) THIS YEAR MAKE A PROMISE TO YOURSELF- TO FOLLOW YOUR PASSION- 2017 BELONGS TO YOU... follow Jinvaani.. & Tirthankara's footprints.. your life will be beautiful:)) तेरे पद चिन्हों को हम लक्ष्य बनाएँगे.. वैरागी ओर सर्वस्व त्यागी.. तुझे हम आदर्श बनाएँगे..

-Nipun Jain

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मन की गंदगी साफ करने पर होगी आनंद की अनुभूति @सिलवानी -आचार्य विद्यासागर जी

उपयोग में लाए जा रहे वस्त्रों को गंदा होने पर साफ किया जा सकता है। वह भले ही गंदा हो गया हो लेकिन धोने से वह न केवल साफ दिखाई देने लगता है बल्कि साफ होकर वस्त्र पुनः कार्य में लेने के योग्य हो जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि श्रावक कपड़ा रूपी मन पर राग द्वेष की गंदगी को जमा न होने दे, बल्कि आत्म ध्यान में मन को लगाकर धोता रहे ताकि मन मलिन न होने पाए। कषाय रूपी मन को धोने से आनंद की अनुभूति होती है।

यह उपदेश आचार्य विद्यासागर महाराज ने बुधवार को नियमित व्याख्यान के तहत विश्वास शब्द को विस्तार से विस्तारित कर आत्म ध्यान का मर्म समझाते हुए दिए। प्रारंभ में श्रावकों ने आचार्य पूजा की । आचार्य श्री ने कहा कि किसी व्यक्ति और वस्तु पर विश्वास करना तथा विश्वास की भावना को जगाना पड़ेगा। विश्वास कर किए गए कार्य से आनंद की अनुभूति होती है, साथ ही कार्य में निखार भी आता है। आचार्य श्री ने श्रावकों से टेढ़ा-मेड़ा मार्ग न अपनाने की सीख देते हुए बताया कि वायुयान का मार्ग सीधा होता है, वह टेढ़े मेढ़े मार्ग पर नहीं चलता है। श्रावक को भी वायुयान जैसे मार्ग को आत्मसात कर टेढ़े-मेढ़े मार्ग पर आवागमन करना छोड़ना होगा। एेसा करने से जीवन सफल सफल होता जाता है। अवरोध नहीं आते हैं, और न ही अंधे मोड़ की चेतावनी वाले संकेतक बोर्ड की तरफ नजर जाती है। संसारी कार्य में लगे हुए लोगों को कार्य के दौरान विश्वास करना होगा। विश्वास से ही कार्य पूर्ण होता जाता है। उन्होंने कहा कि किसी ने भी भगवान को आंखों से नहीं देखा, लेकिन विश्वास है कि भगवान हैं।

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