27.01.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 27.01.2017
Updated: 28.01.2017

Update

28 जनवरी का संकल्प

तिथि:- माध शुक्ला एकम्

सामायिक में समता भाव व जप-स्वाध्याय का क्रम ।
ज्ञानोपार्जन व कर्म निर्जरण का है ये अच्छा उपक्रम ।।

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👉 कांदिवली, मुम्बई - गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
👉 पुणे - सेल्फ डिफेंस कार्यशाला
👉 दिल्ली - तेयुप की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में 50 सेवा कार्यो को करने के संकल्प के साथ सेवा कार्य का शुभारंभ

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👉 बोरीवली, मुम्बई - महिला मण्डल द्वारा आचार्य तुलसी रोजगार केंद्र का निरीक्षण
👉 तारानगर - तिविहार संथारा का प्रत्याख्यान
👉 नालासोपारा (मुम्बई) - गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम
👉 बारडोली - जैन संस्कार विधि से नामकरण संस्कार
👉 विजयनगरम - स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम
👉 सैंथिया -ज्ञानशाला प्रशिक्षिण शिविर का आयोजन
👉 नालासोपारा (मुम्बई) - स्वच्छ भारत अभियान

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👉 पूज्य प्रवर का प्रेरणा पाथेय
👉 सेना के जवानों के अलावा जुटे सैकड़ों ग्रामीण ने किया आचार्यश्री का भाव भरा अभिनन्दन
👉 आचार्यश्री ने दिया शांति का संदेश, कहा देश बड़ा परिवार, इसलिए देश सेवा पहले
👉 बंगाल सरकार की अल्पसंख्यक विभाग की उपसभापति संग दार्जीलिंग स्थित डाली गुम्बा के मुख्य बौद्ध भिक्षु श्री सोनेमदवा ने आचार्यश्री के किए दर्शन
👉 रानीनगर से पूज्यवर के आज के प्रवचन के अंश

दिनांक - 27 जनवरी 2017

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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'

📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 202📝

गतांक से आगे...

*भाष्य--* श्रावक सामाजिक जीवन जीता है। हर समाज की अपनी परम्पराएं होती हैं। परम्पराओं की पृष्ठभूमि में दो बातें होती हैं-- अनुकरण और विवेकपूर्ण आचरण। अनुकरण में उचित-अनुचित पर ध्यान नहीं जाता। अन्य लोग जो काम करते हैं, जिस विधि का उपयोग करते हैं, उसी क्रम का अनुवर्तन होता रहता है। विवेकपूर्ण आचरण में भी अनुकरण हो सकता है, पर वहां भेड़चाल नहीं होती। केवल देखादेखी नहीं होती। वहां सामाजिक और धार्मिक परम्पराओं में भी अपनी संस्कृति को महत्त्व दिया जाता है।

पर्व, उत्सव, त्योहार आदि मनाने की परंपरा नई नहीं है। कुछ पर्व या उत्सव ऐसे होते हैं, जिनका संबंध आम आदमी से है। उन्हें मनाने के तरीके सबके अपने-अपने होते हैं। उनके पीछे कुछ कारण भी होते हैं। जैन समाज की भी कुछ अपनी परम्पराएं रही हैं। पर एक समय ऐसा भी आया, जब जैनों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराए। उस समय श्रमण संस्कृति ने वैदिक संस्कृति की ओर मैत्री का हाथ बढ़ाकर अपने अस्तित्व की सुरक्षा की। जब भी दो संस्कृतियों का मिलन होता है, एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति पर प्रभाव हुए बिना नहीं रहता। जैनों के लौकिक और धार्मिक अनुष्ठानों पर वैदिक संस्कृति का प्रभाव पड़ा, इसका एक कारण यह भी था। उन अनुष्ठानों को विधिवत् सम्पन्न कराने के लिए वैदिक विद्वानों का सहयोग लिया गया। इससे प्रायः सभी व्यवहारों में वैदिक संस्कारों की पुट लग गई।

संस्कृतियों का मिश्रण उनके विकास का आधार बनता है। हर विकास के साथ कुछ खतरों की भी संभावना रहती है। जिन सांस्कृतिक विधियों में व्यक्ति की आस्थाओं और मौलिकताओं पर प्रश्नचिन्ह लगता हो, उनके बारे में सावधान रहना अपेक्षित है। इसी दृष्टि से *'जैन संस्कार विधि'* का अपना महत्त्व है। इसमें मुख्यतः तीन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है-- *आस्था, संयम और अहिंसा*। जिन मन्त्रों पर व्यक्ति की आस्था होती है, उनका उच्चारण करने से आस्था पुष्ट होती है। नमस्कार महामंत्र, मंगलपाठ, लोगस्स, उवसग्गहरं आदि ऐसे मंत्र और स्तोत्र हैं, जिनके प्रति सहज रूप में आस्था है। अर्हतों की वाणी भी आस्था का सशक्त आलंबन है। इसके द्वारा विघ्न-बाधा का निवारण संभव है, यह विश्वास ही हर अनुष्ठान को जीवंत बना देता है।

जन्म, विवाह, मृत्यु आदि प्रसंगों तथा जन्मदिन, दीपावली आदि मनाने की विधियों में संयम को महत्त्व मिले और अनावश्यक हिंसा से बचने का लक्ष्य रहे, यह जैन संस्कृति की अपनी पहचान है। आम आदमी ऐसे अवसरों पर संयम और अहिंसा की बात नहीं सोचता, पर जैन श्रावक की जीवनशैली में संयम और अहिंसा का प्रभाव आवश्यक है। इस आधार पर लौकिक और धार्मिक-- दोनों प्रकार के पर्व-उत्सव आदि मनाने की एक स्वतंत्र विधि निर्धारित है। संस्कारों की विशिष्टता के लिए समाज के चिंतनशील व्यक्तियों ने जिन विधियों का निर्धारण किया है, उनका उपयोग करके जैन संस्कृति को नया जीवन दिया जा सकता है तथा आडम्बर, अपव्यय, रूढ़ता और अनावश्यक हिंसा से बचाव किया जा सकता है।

*पारस्परिक मिलन, शिष्टाचार, पत्राचार आदि व्यवहार में बोलने और लिखने का प्रसंग आता ही रहता है। ऐसे प्रसंगों में जैनत्व को दर्शाने वाले किन गौरवमय शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए?* जानने-समझने के लिए पढ़ें... हमारी अगली पोस्ट... क्रमशः कल।

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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Update

👉 टी दासरहल्ली - मुनि वृंद का मंगल प्रवेश
👉 हैदराबाद - गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
👉 कोलकाता - ज्योत्सना स्वच्छता प्रशिक्षण सेमिनार का आयोजन
👉 उत्तर हावड़ा -ज्ञानशाला वार्षिकोत्सव व गणतंत्र दिवस समारोह
👉 इचलकरंजी - नशामुक्ति अभियान समापन समारोह संपन्न
👉 इचलकरंजी - सुरक्षित मिशन राहें 2
👉 गुवाहाटी - संगोष्ठी का आयोजन व ऊनि वस्त्र वितरण हेतु अनुदान
👉 धानोरा (महाराष्ट्र) - गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन

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👉 पूज्य प्रवर का आज का प्रवास स्थल - रानीनगर
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 आज के "मुख्य प्रवचन" के कुछ विशेष दृश्य..

दिनांक - 27/01/2017

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👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 10. 5 किमी का विहार
👉 आज का प्रवास - रानीनगर
👉 आज के विहार के दृश्य

दिनांक - 27/01/2017

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  1. आचार्य
  2. आचार्य तुलसी
  3. दर्शन
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