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An Ascetic Jaina saint gives up food during his last days.When he is about to die,other saints keep telling him the philosophy of soul and body this is called 'Art of dieing' 😍🙃
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Authentic Info मेरी गिरनार यात्रा 21 से 26 जनवरी 2017 -गिरनार से लौटकर ग्राउंड रिपोर्ट Latest Situation @ #Girnar #NeminathBhagwan
21 को शाम 5 बजे सपरिवार गिरनार तलेटी स्थित श्री बंडिलाल दिगंबर जैन धर्मशाला पहुचे,पूर्व आरक्षित कमरे सहायक मैनेजर ने आबंटित कर दिए।सामान आदि रखकर सुबह वंदना कैसे, कितनी बजे प्रारम्भ हो चर्चा चल रही थी।प्रबंधक ने अवगत कराया कि श्री निर्मल जी बंडी भी वही है और जूनागढ़ गए हुवे है।विश्राम हेतु पुनः कमरे में पहुचे।प्रातः 3 बजे उठकर बॉयलर से खोलता हुआ गर्म पानी ले स्नान आदि से निवृत हो पहाड़ की वंदना हेतु प्रस्थान किया।डोली वालो का व्यवहार वैसा ही था जैसा हर बड़े पहाड़ पर होता है,खुद की 15000/-पत्नी की 9100/-बड़े भाभी की 9600/-में डोली कुर्सी वाली ले कर,शेष युवा सदस्यो ने पैदल, वन्दना प्रारम्भ की। युवा रस्ते में आगे होते गए। 8 बजे तक रुकते रुकाते कुछ पैदल चलते, कही बैठते पहली टोंक पर पहुचा।देखकर संतोष हुआ की विकास प्रगति पर है और पहली टोंक स्थित श्री बंडीलाल दिगंबर जैन मंदिरजी की दशा पहले से बहुत बेहतर है।पहली टोंक पर 17 कमरे की आधुनिक धर्मशाला 62 लाख की लागत का निर्माण अंतिम चरण में है,इसके लिए भी श्री निर्मल जी बंडी और उनकी टीम की जितनी प्रशंसा की जाय काम है
वहां अभिषेक देखने-पूजन करने उपरांत में वही रुक गया।(जैसा दामाद ने बताया)तब तक दामाद- भतीजे-पुत्र आदि 5 वी टोंक पहुच चुके थे उन्होंने शांतिपूर्वक 2-3-5 वीं टोंक की वन्दना,फूलों-शाल से ढंके चरणों के दर्शन किये-जैसा नीचे मैनेजर ने समझाया था किसी ने भी नेमिनाथ की जयघोष अथवा अक्षत प्रेक्षण आदी नहीं किया।मन पूर्वक अर्चन शांति से किया। 5 वी टोक पर उस समय केवल मेरे परिवार के 12 सदस्य ही दिगंबर जैन उपस्थित थे, पर जैनेतर सेकड़ो की संख्या में थे।पण्डे बोले कुछ नहीं पर उनकी आँखों के भाव डराने वाले ही थे।पुलिस भी उपस्थित थी।निचे उतरना प्रारम्भ किया।पैदल वन्दना वाले आराम से तथा डोली वाले तेजी से उतरे।अंतिम यात्री मेरी पुत्र वधु 2 बजे नीचे पहुची। निर्विघ्न वन्दना पर सबने सकून की सांस ली।
2001-2010 को की गयी मेरी वन्दना से इस वन्दना की तुलना करू तो पूरा पहाड़ खाने-पीने की वस्तुओं का बाजार याने चौपाटी के रूप में परिवर्तित हो गया है। पहली टोंक पर मंदिर विकास की और अग्रसर, और स्वच्छ दिखा। 2-3 टोक पर कब्ज़ा गोरक्षनाथ प्रतिमा स्थापित। 5 वीं टोंक पर चरणों के सिरहाने गुरुदत्त की प्रतिमा स्थापित । चरणों वाला परिसर रेलिंग से घेर दिया गया। याने केवल पहली टोंक का मंदिर ही दिगंबर जैन आम्नाय प्रदर्शित कर रहा था।
पहाड़ पर जाने वाले दिगंबर जैन वर्ष भर में 60-65000 होते है उसमें से आधे ही 5 वि टोंक तक जाते है। तलेटी में कुर्ता-पाजामा पहन माथे पर तिलक लगा कर मेने कुछ पंडेनुमा महानुभावो से चर्चा की- कोई पंडा समझौते की बात नहीं करता। जैन अस्तित्व घुमाफीरा कर स्वीकार तो करते है पर मानने को तैयार नहीं।बंडी धर्मशाला के प्रबंधकों के सतत संपर्क से वे प्रभावित और नर्म जरूर दिखे। किसी तरह की मारपीट आदी की घटना से पण्डे इंकार करते है। यह ज्ञात होने से भी संतोष हुआ कि पिछले 9-10महीनो में (सूरत वाली घटना को छोड़ कर)कोई विवाद 5 वी टोक पर नहीं हुआ-इसका श्रेय बंडी धर्मशाला के प्रबंधकों को दिया जाना चाहिए क्योंकि वे वंदना पूर्व यात्रियों को इस हेतु मौखिक प्रशिक्षण देते है।
श्री निर्मल जी बंडी की इस उम्र में भी सक्रियता काबिले तारीफ़ है,वे लगातार गिरनार-मुम्बई-इंदौर दौरे करते है। sp जूनागढ़ से बंडी जी के साथ मुलाकात और चर्चा उपरान्त यह भी संतोष है कि पुलिस भी अब एक तरफ़ा नहीं है,पुलिस हमको भी सुनती है,कार्यवाही करती है। परमपूज्य आचार्य 108 श्री निर्मलसागर जी एवम निर्मल ध्यान केंद्र की कार्यविधि पूर्ववत ही है। श्री बंडीलाल दिगंबर जैन धर्मशाला में नवीन खंडों में संपन्न निर्माण, अत्याधुनिक कमरे,भोजनशाला स्वच्छता कर्मचारीयो का व्यवहार काबिले तारीफ़ है।इन सब व्यवस्थाओं के लिए श्री निर्मल जी बंडी और उनकी टीम धन्यवाद की पात्र है। श्री अशोक जी पाटनी,आर के मार्बल के अर्थ सहयोग से निर्मित होने वाले आरके मार्बल संकुल के नवनिर्माण की नींव श्री निर्मल जी बंडी रख रहे है,जिसकी लागत एक करोड़ से ज्यादा है,उन्हें इस हेतु भी धन्यवाद दिया जाना चाहिए।आने वाले समय में गिरनार में सितारा सुविधाए प्राप्त होगी,जो रिसोर्ट का अहसास कराएगी। पहाड़ पर अनेको जगह मोबाइल नेटवर्क मिल जाता है।
"चूंकि में गिरनार आंदोलन से वर्षो से जुड़ा हु,सभी तथ्यों से भली भांति परिचित हु"।अतः निम्नानुसार मेरा निजी मत इस प्रकार है:- जैनेतर बहुलता के कारण 2-3-5 वी टोक पर अब जैन आधिपत्य असंभव है। मुझे परम पूज्य मुनि 108 श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज का एक सुझाव स्मरण हो रहा है उन्होंने कहा था कि सम्पूर्ण गिरनार पर्वत ही भगवान् नेमिनाथ की मोक्ष स्थली है पहाड़ अनेको चोटियों वाला है।पहाड़ का कोई ऐसा क्षेत्र चिन्हित किया जाए जो रिक्त हो-अविवादित हो उसे विधिवत शासन से आबंटित करा कर -भगवान् नेमिनाथ की मोक्षस्थली के रूप में विकसित किया जाय। समय स्वयं उसे मान्यता दे देगा।जितना श्रम और अर्थ हम न्यायलय में व्यय कर रहे है उतने में तो पूरा पहाड़ विकसित हो जाएगा। यह सुझाव मुझे मौजू लगता है।
भवदीय,
सुरेन्द्र जैन बाकलीवाल
राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष
दिगंबर जैन महासमिति।
चैयरमेन
नवनिर्माण समिति
भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी,मध्यांचल।
9425064525
श्रीमती सरिता जी जैन
राष्ट्रीयअध्यक्ष,bdjtc
श्री संतोष पेण्डारी
महामंत्री,bdjtc
श्री अशोक बड़जात्या
राष्ट्रिय अध्यक्ष
दिगंबर जैन महासमिति।
श्री निर्मल जी बंडी
अध्यक्ष
श्री बंडीलाल दिगंबर जैन मंदिर-धर्मशाला
गिरनार,जूनागढ़।
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News in Hindi
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री प्रणम्यसागर जी महाराज के विहार के दौरान ग्राम-लुहारिया(राज.) में चल रही "राम-कथा" में गांव वालों के द्वारा विनम्र अनुरोध पर प्रवचन करते हुए। #RamKatha #AcharyaVidyaSagar #MuniPranamyaSagar
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