06.02.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 06.02.2017
Updated: 07.02.2017

Update

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श्रावक सन्देशिका

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 2 - श्रावक निष्ठा पत्र

क्रमशः देखते रहे कल की पोस्ट में....

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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Video

6 Febuary 2017 Pravachan

https://youtu.be/214vTkVozg0
👉 सिलीगुड़ी में पूज्यप्रवर के आज के "मुख्य प्रवचन" का वीडियो लिंक
👉 दिनांक 06 - 02- 2017
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇

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07 फरवरी का संकल्प

तिथि:- माघ शुक्ला एकादशी

मिट्टी, पानी, हवा, वनस्पति सब में है असंख्य जीव व्याप्त।
ना हो अनावश्यक हिंसा किसी भी जीव की रखें ध्यान पर्याप्त।।

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👉 विजयवाड़ा - स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम आयोजित
👉 ब्यावर - 153 वें मर्यादा महोत्सव का आयोजन
👉 लाडनूँ: 153 वें "मर्यादा-महोत्सव" का आयोजन
👉 जयपुर - स्वच्छता अभियान के साथ मैराथन में सहभागिता
👉 बारडोली - मर्यादा महोत्सव का आयोजन
👉 गंगाशहर - विभिन्न संस्थाओं के सदस्यों द्वारा चारित्र आत्माओं के दर्शन
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻

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News in Hindi

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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'

📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 209📝

*तेरापंथ*

(दोहा)

*60.*
पांच घटक इस संघ के, हैं स्वाभाविक सेट।
समझें सब श्रावक इन्हें, गहरे पानी पैठ।।

लय... देव! तुम्हारे...

*61.*
स्थिर श्रद्धा आचार-उच्चता
और व्यवस्था नूतन भोर।
सर्वमान्य अनुशासन-शैली
एक हाथ में गण की डोर।।

*अर्थ--* तेरापंथ धर्मसंघ के पांच घटक तत्त्व हैं। वे पांचों स्वाभाविक रूप में व्यवस्थित हैं। श्रावकों का दायित्व है कि वे गहरे पानी में उतरकर उन्हें समझने का प्रयत्न करें।

*तेरापंथ के पांच घटक तत्त्व--*
*(1)* स्थिर श्रद्धा
*(2)* उन्नत आचार
*(3)* व्यवस्था
*(4)* सर्वमान्य अनुशासन शैली
*(5)* एक आचार्य का नेतृत्व।

*भाष्य--* संगठन बनाना एक बात है, पर उसे शक्तिशाली बनाना दूसरी बात है। शक्ति के अभाव में संगठन बनते हैं और बिखर जाते हैं। आचार्य भिक्षु ने संगठन बनाने से पहले अनेक दृष्टियों से उसके बारे में विचार किया। संगठन बनाने के 15 वर्षों तक गंभीरता से उसका अध्ययन किया। भविष्य की संभावनाओं के बारे में सोचा। आने वाली समस्याओं के सम्बन्ध में ध्यान दिया और एक संविधान का निर्माण किया। उन्होंने अपने संगठन को शक्तिशाली और चिरजीवी बनाने के लिए उसके निर्माण में पांच बातों पर विशेष ध्यान दिया--

*श्रद्धा--* श्रद्धा, आस्था, विश्वास-- ये समानार्थक शब्द हैं। प्रश्न होगा--श्रद्धा किसके प्रति? लक्ष्य के प्रति, लक्ष्य प्राप्ति के साधनों के प्रति, अपने प्रति, अपने सहयोगियों के प्रति और अपने नेता के प्रति।

*उन्नत आचार--* साधु का सबसे बड़ा धन है उसका आचार। संघ में जो आचार मान्य हो, उसका दृढ़ता के साथ अनुशीलन होने से ही आचार की निर्मलता रह सकती है। आचारहीन साधुवेष विडम्बना है, धोखा है।

*व्यवस्था--* व्यवस्था के अभाव में कोई भी संगठन नहीं चल सकता। संगठन छोटा हो या बड़ा, धार्मिक हो सामाजिक अव्यवस्था उसकी जड़ों को हिला देती है। न्याय, समविभाग और शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए व्यवस्थातंत्र की सबलता आवश्यक है।

*अनुशासन--* अनुशासन दमन का नहीं, प्रशिक्षण का सूत्र है। जो किसी में हीनता पैदा करे और किसी का अहंकार पुष्ट करे, वह अनुशासन नहीं होता। जिस अनुशासन से सहयोगियों में हीनता या अहंता का भाव आए, उसे अच्छा नहीं माना जाता। हीनता से कुंठा बनती है और अहंकार से उच्छृंखलता आती है। कुंठा के द्वारा विकास को रोकना अभिष्ट नहीं है। तेरापंथ की अनुशासन शैली में इन दोनों बातों का ध्यान रखा गया है।

*एक नेतृत्व--* उपर्युक्त चारों तत्त्व एक नेतृत्व की स्थिति में ही विकसित हो सकते हैं। एक नेतृत्व के अभाव में श्रद्धा किस आधार पर टिके? आचार की सीमारेखा कौन खींचे? व्यवस्था का संचालन कौन करे? और अनुशासन कौन दे? धर्मसंघ में एक आचार्य का नेतृत्व आचार्य भिक्षु की मौलिक देन है। तेरापंथ के विकास और विस्तार में इसका बहुत बड़ा योग है।

आगे जानेंगे-समझेंगे… *हाजरी और श्रावक निष्ठा पत्र* के बारे में हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः कल।

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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👉 पूज्य प्रवर का आज का विहार लगभग 12 किमी का..
👉 आज का प्रवास - सिलीगुड़ी शहर
👉 आज के विहार के दृश्य..

दिनांक - 06/02/2017

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06 फरवरी का संकल्प

तिथि:- माघ शुक्ला दशमी

जब तक बंधन है, मुक्ति कहाँ ।
शरीर से ममत्व छूटा, मुक्ति वहाँ ।।

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  1. Pravachan
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