20.02.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 20.02.2017
Updated: 21.02.2017

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दिगम्बर में बनके विचरु, वो घड़ी कब आएगी.. जिनवर बनने को निकलू, वो घड़ी कब आएगी.. आएगा वैराग्य मुझको इस संसार से.. सर्व बंधन तोड़के निकलू में सब त्याग कर...:):) अहा..

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शफीक खान ने मुनिश्री अभय सागर से मांगी पुरानी पिच्छिका ⚠️🙃 #MuniAbhaySagar #AcharyaVidyaSagar

मुनिश्री अभय सागर जी महाराज ससंघ के पिच्छिका परिवर्तन समारोह में ऐसी घटना घटी, जिसे देख और सुन कोई भी कह सकता है कि अगर मन में धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा-भक्ति हो तो उसके लिए कोई मार्ग कठिन नहीं है। आपको बता दें कि मुनिश्री ससंघ के पिच्छिका परिवर्तन समारोह में शफीक खान भी श्रद्धालुओं में बैठे थे और उन्होंने महाराजश्री से उनकी पुरानी पिच्छी मांग ली। उनकी इस मांग पर एक बार तो समाज आश्चर्य में पड़ गया, वहीं मुनिश्री अभय सागर जी महाराज सहित अन्य संत शफीक खान के अनुरोध पर मुस्करा दिये।

ज्ञातव्य हो कि जीव दया और पर्यावरण के लिए कार्यरत शफीक खान ने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर अविवाहित रहने का संकल्प ले चुके हैं और अपने परिवार सहित रविवार को मुनिश्री ससंघ के पिच्छिका परिवर्तन समारोह में शामिल होने यहां पहुंचे थे। शफीक खान जैन संतों के त्याग और तपस्या से प्रेरित होकर वर्ष 1980 में मानव सेवा और जीव दया के लिए काम कर रहे हैं। श्री खान ने कहा कि गौसेवा को राजनीतिक और धर्म के नजरिये से न देखकर इंसानियत के नजरिये से देखा जाए। उन्होंने महाराजश्री की पिच्छिका मांगने के कारण में बताया कि महाराज की पिच्छी जीव दया की प्रतीक है। इससे छोटे-छोटे असंख्य जीवों की रक्षा होती है।

श्री खान ने बताया कि वे आचार्य विद्यासागर जी महाराज से लेकर जैन संतों से समय-समय पर इस कार्य के लिए आशीर्वाद लेते रहे हैं। श्री शफीक खान ने जन्म तो मुस्लिम समाज में लिया किंतु अपने अच्छे कायरे और जीव दया के प्रति उनकी दया-करुणा ने आज उनको इस मुकाम पर ले जाकर खड़ा कर दिया है, जिसकी हर कोई कल्पना नहीं कर सकता। इसलिए स्पष्ट है कि इंसान जन्म लेने से नहीं बल्कि अपने अच्छे कायरे के द्वारा इंसान से इंसानियत का मसीहा बन सकता है।

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