05.03.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 05.03.2017
Updated: 06.03.2017

Update

*जैसे राजा के सिर पर मुकुट, रहता उसकी शान है*

*जिनशासन के हीरा वो, हमको यह अभिमान है*

*रूप दिगम्बर धारे वो,जो सबसे महान है*

*अरे कामदेव भी शर्माता, ऐसे रूपवान है*

*जिनके दर्शन को पाकर, हम हुए जो पुण्यवान हैं*

*सारे जग में फैली जिनकी, अजब निराली शान हैं*

*मेरे गुरुवर मेरे भगवन, विद्यासागर उनका नाम हैं*

*मेरे गुरुदेव मेरे भगवन,विद्यासागर उनका नाम हैं*

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आस्था के अन्वेषक -आत्मीय सखा क्षमासागर जी की जीवनी #MuniKshamasagar #AcharyaVidyasagar

बुन्देलखण्ड की धरती जिस तरह फसलों के अर्घ चढ़ाती रही है,उसी तरह यहाँ के ग्रहस्थ मंदिरों में प्रभु के आगे नित्य नित्य अर्घ चढ़ाकर अर्घ्यम निर्वपामीति की प्रशस्त भावना के साथ अपने कर्तव्य पूर्ण करते रहे है!जिस तरह बुन्देलखण्ड में सागर नगर प्रमुख है,उसी तरह प्रान्त के सहस्रो श्रेष्ठी जनों के मध्य सिंघई परिवार प्रमुख रहा है,उसकी प्रमुखता तब और बढ़ गई जब उस महान परिवार में परम् पूज्य मुनि श्री १०८ क्षमासागर जी महाराज का बालक के रूप में जन्म हुआ!

मुनि भले ही लाखो घर पीछे एक होते रहे हो पर बुंदेलखंड में मुन्ना घर घर होते रहे है!जिस घर में बालक जन्म लेता था,सीधे सज्जन ग्रहस्थ गण उससे मुन्ना कहकर ही अपने ह्रदय का दुलार जाहिर करते थे!यह अधिक पुरानी बात नही है,अभी 50 साल पहले तक शिशु को मुन्ना शब्द से सम्बोधन का चलन चरम पर था!ऐसे वातावरण में जब सिंघई परिवार में मुनि रत्न का जन्म हुआ तो बड़े बुजुर्गों से लेकर छोटे-छोटे सदस्यों ने भी शिशु को जो प्रथम नाम दिया वह मुन्ना ही था!(बाद में भले ही नए नए सम्बोधनो ने स्थान पाया किन्तु समयकाल में तो महत्वपूर्ण स्थान और ह्रदय को प्यारा लगने वाला शब्द यदि कोई था तो मुन्ना!

संकलन कर्ता श्री मति स्नेहलता सिंघई

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भगवान से समर्पित होकर मांगो: सुधासागरजी महाराज #MuniSudhasagar

भगवान से और कुछ भी नहीं खुद भगवान को ही मांगो। उन्होंने कहा कि कृष्ण भगवान से अर्जुन ने भी खुद भगवान को ही मांगा था और युद्ध में सफलता मिली। इसी प्रकार भक्तजनों को भगवान को समर्पित होकर मांगना चाहिए। जीवन में अपने परिवार में पूज्य, गुरु तथा भगवान सेवा से बढ़कर दूसरी कोई सेवा नहीं है। उन्होंने कहा कि राजस्थान भूमि देव भूमि है इसे पूजा जाना चाहिए उन्होंने कहा कि भक्तजनों को चाहिए कि अपनी श्रद्धा एवं भक्ति से तन मन धन से इसके विकास कार्यों को लेकर निष्ठा के साथ विकास कार्यों में सहयोग करें। तभी भारत में पंचकल्याणक के बाद इसका नाम रोशन हो सकेगा।
धर्मसभा में प्रवचन देते सुधासागर जी महाराज।

संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी.

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News in Hindi

आचार्य श्री विद्यासागर जी के महाकाव्य मूकमाटी से... #AcharyaVidyasagar #Mookmati

शूल जिज्ञासा व्यक्त करता है कि--

"मोह क्या बला है
और
मोक्ष क्या कला है?
इनकी लक्षणा मिले, व्याख्या नहीं,
लक्षणा से ही दक्षिणा मिलती है।
लम्बी, गगन चूमती व्याख्या से
मूल का मूल्य कम होता है
सही मूल्यांकन गुम होता है।

मूल्यांकन भले ही
दुग्ध में जल मिला लो
दुग्ध का माधुर्य कम होता हैअवश्य!
जल का चातुर्य जम जाता है रसना पर!"

कंटक की जिज्ञासा समाधान पाती है
शिल्पी के सम्बोधन से--
"अपने को छोड़ कर
पर-पदार्थ से प्रभावित होना ही
मोह का परिणाम है
और
सबको छोड़ कर
अपने आप में भावित होना ही
मोक्ष का धाम है।"

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गुण का अभिनन्दन करो, करो कर्म की हानि #AbhinandanNathBhagwan
गुरु कहते गुण गौण हो, किस विधि सुख हो प्राणि

चेतनवश तन शिव बने, शिव बिन तन शव होय
शिव की पूजा बुध करें, जड़ जन शव पर रोय

विषयों को विष बन तजूं, बनकर विषयातीत
विषय बना ऋषि ईश को, गाऊं उनका गीत

गुण धारे पर मद नहीं, मृदुतम हो नवनीत
अभिनन्दन जिन! नित नमूं, मुनि बन में भवभीत ||

ओम् ह्रीं अर्हं श्री अभिनंदननाथ जिनेंद्राय नमो नम: |

स्वयंभू स्तोत्र स्तुति आचार्य श्री विद्यासागर द्वारा रचित #AcharyaVidyasagar

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