Update
👉 राजसुनाखला (उड़ीसा) - अणुव्रत एवं अणुव्रती जीवन शैली पर कार्यक्रम
👉 बैंगलोर (विजयनगर) - व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन
👉 घुरना एवं निर्मली (बिहार) - अणुव्रत आचार संहिता पट्ट भेंट
👉 तुसरा - प्रेक्षावाहिनी का गठन
👉 श्रीगंगानगर - 68 वां अणुव्रत स्थापना दिवस कार्यक्रम
👉 सवाई माधोपुर - नवकार मंत्र अनुष्ठान
👉 सिरसा - आचार्य श्री महाप्रज्ञ चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रधान बने मक्खन लाल गोयल
👉 वीर गणपत भंसाली महावीर इंटरनेशनल के अंतर्राष्ट्रीय निर्देशक मनोनीत
👉 कांदिवली मलाड - 68 वां अणुव्रत स्थापना दिवस
👉 जयपुर - ज्ञानशाला में जैन संस्कार विधि से जन्मोत्सव
प्रस्तुती: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
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👉 मुंडिपार (महाराष्ट्र) - आध्यात्मिक मिलन
👉 सिलीगुड़ी - स्वागत एवं अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित
👉 कालु - आंचलिक कार्यशाला का आयोजन
👉 गुवाहाटी - अणुव्रत विचार संगोष्टी का आयोजन
👉 विजयवाड़ा - स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम के अन्तर्गत रैली का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'
📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 231📝
*तात्त्विक ज्ञान*
गतांक से आगे...
*भाष्य--* कंप्यूटर और केलकुलेटर के युग में जन्म लेने वाली पीढ़ी कंठस्थ ज्ञान की परंपरा को भार मान रही है। उनके स्मृति-प्रकोष्ठ इतने संकुचित हो गए हैं कि हर बात कंप्यूटर में भरकर रखने की भावना सुदृढ़ होती जा रही है। कुछ भी सीखने का प्रसंग उपस्थित होता है तो इस पीढ़ी के सदस्यों की प्रतिक्रिया होती है-- रट्टा मारने से क्या होना है? कंठस्थ करना तो सिर-दर्द मोल लेना है, याद तो कुछ रहेगा नहीं, फिर कंठस्थ करने में समय क्यों लगाएं? उक्त विचार एक-दूसरे में संक्रांत होते हुए इस युग की पूरी पीढ़ी को प्रभावित कर लेंगे तो मनुष्य पूरी तरह से यंत्रों पर निर्भर हो जाएगा।
आचार्यश्री तुलसी हर समस्या का समाधान खोजते रहे हैं। स्मरण-शक्ति के ह्रास से उपजने वाली समस्या का निराकरण करने के लिए उन्होंने कंठस्थ ज्ञान की प्रणाली को सुरक्षित रखने का निर्देश देते हुए कम-से-कम *'पच्चीस बोल'* और *'जैनतत्त्वप्रवेश'* नामक दो ग्रंथों को मुखस्थ करने की बात कही। इस क्रम में कालूतत्त्वशतक, तत्त्वचर्चा, कर्मप्रकृति, लघुदण्डक, इक्कीस द्वार, बावन बोल आदि ग्रंथों को जोड़ा जा सकता है। बिना पढ़ी-लिखी बहनें एक-एक शब्द सुन-सुनकर अपने ज्ञानभंडार को बहुत स्मृद्ध कर लेती थीं तो क्या पढ़े-लिखे लोग दो-चार ग्रंथों को याद नहीं रख सकते?
*'अमृत कलश'* पुस्तक के तीन भागों में पठनीय, स्मरणीय और कण्ठीकरणीय विविध सामग्री का संकलन है। उपयोगिता और तथ्यों की प्रामाणिकता-- दोनों दृष्टियों से इनका स्वाध्याय आवश्यक है।
*'ज्ञानशाला'* बच्चों के संस्कार-निर्माण का एक प्रयोग है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कारण संस्कारों पर हो रहे हमले से बच्चों को बचाने में ऐसे प्रयोग ही सफल हो सकते हैं। इनमें प्रशिक्षण की प्रक्रिया और प्रशिक्षक की अर्हता के आधार पर *'ज्ञानशाला'* की उपयोगिता प्रमाणित हो सकती है।
*'तेरापंथ प्रबोध'* आचार्यश्री तुलसी द्वारा रचित एक विशिष्ट ग्रंथ है। इसमें आचार्य भिक्षु का जीवनदर्शन तथा तेरापंथ का इतिहास बहुत व्यवस्थित और सरल तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसका निर्माण मूलतः *'धम्म-जागरणा'* के लक्ष्य को सामने रखकर हुआ था। किंतु यह एक ऐसा ग्रंथ है, जिसका हर घर में समय-समय पर संगान होता रहे तो आने वाले शताब्दियों में इसे लोकगीत की तरह जन-जन के मुंह पर सुना जा सकेगा।
*जैन विद्या के जिज्ञासु लोगों के लिए हिंदी संस्कृत और प्राकृत भाषा में अनेक प्रमुख ग्रंथ उपलब्ध हैं। उनका गहरा अध्ययन होना चाहिए।* उन ग्रंथों के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः।
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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Update
👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 प्रवचन स्थल: करजाइन बाजार (बिहार) से..
दिनांक - 06/03/2017
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👉 जयपुर - हास्य कवि सम्मेलन एवं प्रतिभा सम्मान समारोह
👉 मुम्बई - स्वच्छता अभियान के अंतर्गत वाकेथान का आयोजन
👉 अहमदाबाद - IMMOVABLE PROPERTY - LEGAL & TAXATION ISSUE पर कार्यक्रम आयोजित
👉 बगोमुंडा - ज्ञानशाला शिविर व प्रेक्षावाहिनी कार्यशाला
👉 वड़पल्लनी - आध्यात्मिक मिलन
👉 चैन्नई (विल्लीवाक्कम) - शिशु संस्कार बोध परीक्षाआओं में उतीर्ण ज्ञानार्थीयों को पुरस्कार
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
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06 मार्च का संकल्प
तिथि:- फाल्गुन शुक्ला नवमी
भरता जाता है घट जिस तरह बूंद-बूंद से।
त्यागवृत्ति जगे यों छोटे-छोटे संकल्पों से।।
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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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