10.03.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 10.03.2017
Updated: 10.03.2017

Update

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*श्रावक सन्देशिका*

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 25 - *छात्रावास, स्कॉलरशिप व अणुव्रत*

*प्रेक्षा ध्यान संकल्प पत्र, जैनत्व, तेरापंथित्व, अणुव्रतित्व* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....

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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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News in Hindi

👉 पटना - *तख्त पटना साहिब के जत्थेदार श्री* को अहिंसा यात्रा साहित्य भेंट
👉 साकरी - महिला दिवस पर कार्यक्रम
👉 हिसार - महिला दिवस पर कार्यक्रम
👉 बगोमुंडा - महिला दिवस पर कार्यक्रम
👉 जयपुर - होली स्नेह मिलन समारोह
👉 गदग - "क्या वर्तमान परिपेक्ष में नारी सशक्त है" विषय पर प्रतियोगिता
👉 जयगांव - अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 बारडोली - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 राजमहेन्द्रवरम - अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻

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👉 पटना - *तख्त पटना साहिब के जत्थेदार श्री* को अहिंसा यात्रा साहित्य भेंट
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻

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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'

📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 235📝

*उपसंहार*

*रूपचन्दजी सेठिया*

सुजानगढ़ निवासी सूश्रावक रूपचंदजी सेठिया दृष्टिसंपन्न व्यक्ति थे। वे दृढ़धर्मी और विवेकसंपन्न थे। उन्होंने धर्म को प्रायोगिक रुप में जीने का प्रयास किया। अहिंसा उनके जीवन का एक विशेष प्रयोग था। जीवन के हर कार्य में अहिंसा का ध्यान रखना उनका लक्ष्य था। वे मानसिक हिंसा से भी बचने का प्रयास करते थे। आर्थिक संपन्नता के बावजूद दे त्यागमय और सादा जीवन जीते थे। उनकी संयम-साधना को देखकर लोग कहते थे कि वे गृहस्थ जीवन में भी साधु जैसा आचरण करते हैं। उनका जीवन त्याग और वैराग्य की जीवंत कहानी है। 32 वर्ष की अवस्था में उन्होंने (पति-पत्नी दोनों ने) लक्ष्यपूर्वक ब्रम्हचर्य की साधना शुरू कर दी। पांच वर्ष तक साधना करने के बाद वे जीवन भर के लिए ब्रम्हचारी बन गए।

रूपचंद जी का वैराग्यभाव बहुत प्रबल था। स्नान करने के लिए बहुत कम पानी का उपयोग करते थे। प्रारंभ के कुछ वर्षों तक वे स्नान के लिए पांच सेर पानी काम में लेते। धीरे-धीरे उसे घटाकर 45 तोले तक पहुंच गए। वे पहनने, ओढ़ने या बिछाने के लिए रुई भरे वस्त्र काम में नहीं लेते थे। सर्दी के समय रात को 23 हाथ से अधिक कपड़े का उपयोग नहीं करते थे। प्रतिदिन सामायिक, दोनों समय प्रतिक्रमण, रात्रि को चौविहार, सचित्त पानी का त्याग आदि नियमों का वे जागरुकता से पालन करते थे।

रूपचंद जी सत्यनिष्ठ व्यक्ति थे। व्यापार में पूरी प्रामाणिकता रखते थे। अपने मुनीम-गुमाश्तों को भी उनका निर्देश था कि वे ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी न करें। एक बार उनकी दुकान पर कोई ग्राहक आया। मुनीम ने उसको कपड़ा दे दिया और पैसे ले लिए। जिस भाव में उसे कपड़ा बेचा गया, वह दुकान की निर्धारित दरों से कम था। रूपचंदजी ने मुनीम से इसके बारे में पूछताछ की तो वह बोला-- 'मैंने उसको बहुत समझाया, पर वह सही भाव में कपड़ा खरीदने के लिए तैयार नहीं हुआ। इस कारण मैंने उसके कहे हुए भाव पर कपड़ा दे दिया, किंतु मापने में दो गज कपड़ा बचा लिया।' रूपचंदजी को यह धोखे का व्यवहार अच्छा नहीं लगा। उन्होंने तत्काल आदमी भेजकर ग्राहक को वापस बुलाया। उसे दो गज कपड़े और दिया तथा भूल के लिए क्षमायाचना की। ग्राहक के जाते ही मुनीम का भी हिसाब कर उसे नौकरी से छुट्टी दे दी।

रूपचंदजी विद्याप्रेमी और तत्त्वज्ञ श्रावक थे। उन्हें अनेक थोकड़े कंठस्थ थे। थोकड़ों को गहराई से समझकर उन्होंने जैनतत्त्व के जानकार श्रावकों में अपना स्थान बना लिया। उन्हें अनेक स्तवन और तात्त्विक गीत याद थे। वे अपने जीवन में जैन संस्कारों को बहुत महत्त्व देते थे। इसलिए लौकिक क्रियाकांडों या देववाद में उनकी कोई रुचि नहीं थी। वे श्रद्घानिष्ठ और धर्मसंघ के हितैषी थे। उन्होंने पांच आचार्यों का शासन काल देखा। सातवें आचार्य डालगणी की उन पर विशेष कृपा थी। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति के समय रूपचंदजी से परामर्श किया था। जीवन के आखिरी समय में उनको आठवें आचार्य कालूगणी के दर्शनों का सौभाग्य उपलब्ध हुआ। अपने 60 वर्ष के जीवनकाल में उन्होंने एक आदर्श श्रावक का उदाहरण उपस्थित किया। उनकी आस्था, उनका ज्ञान, उनका विवेक और उनका उदात्त चरित्र उनके गौरवपूर्ण जीवन की कहानी कह रहा है।

*देव-गुरु-धर्म की कृपा से श्रावक-संबोध की पोस्ट सफलतापूर्वक अपनी संपन्नता की ओर है... कल आप पढ़ेंगे इस कृति की अंतिम पोस्ट...*

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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👉 महासभा अध्यक्ष पूज्यवर को अणुव्रत पुरस्कार 2016 के सम्बन्ध में बिहार के मुख्यमंत्री से हुई वार्ता की जानकारी पूज्यवर को प्रदान करते हुए।

दिनांक 10-3-17

प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*

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👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 10.5 किमी का विहार..निर्मली बाजार से नरहैंया
👉 आज का प्रवास -श्री साई पब्लिक स्कुल, नरहैंया
👉 आज के विहार के दृश्य..

दिनांक - 10/03/2017

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