30.03.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 30.03.2017
Updated: 31.03.2017

Update

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Source: © Facebook

आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत प्रवचन का वीडियो:

👉 विषय - प्राण व शारीरिक स्वास्थ्य

👉 खुद सुने व अन्यों को सुनायें

*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

प्रसारक: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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👉 बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालूप्रसाद यादव पूज्यवर के दर्शनार्थ
👉 इस मुलाकात का संक्षिप्त वीडियो..

दिनांक - 30-03-2017
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

👉 बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालूप्रसाद यादव पूज्यवर के दर्शनार्थ..

दिनांक - 30-03-2017

प्रस्तुति -🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

👉 आचार्य श्री चन्दना जी ने अपनी शिष्याओं के साथ पूज्यवर के दर्शन किये..
👉 भगवान महावीर की दो परंपराओं के मिलन का गवाह बना अवसर हाॅल
👉 पटना प्रवास के चौथे दिन भी आगंतुकों का लगा रहा तांता
👉 साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यनियोजिकाजी, साध्वीवर्याजी सहित आचार्य चन्दना जी ने लोगों को किया वर्धापित
👉 आचार्यश्री ने धर्मार्जित व्यवहार करने का दिया ज्ञान
👉 श्रीमुख से सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) स्वीकार कर पटनावासियों ने खोले भाग के कपाट

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

News in Hindi

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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*

अनुक्रम - *भीतर की ओर*

*चैतन्यकेन्द्र-- [ 2 ]*

प्राणविद्या के अनुसार शक्तिकेन्द्र (मूलाधार) विद्युत उत्पादन का केन्द्र है । शरीर की सारी प्रवृत्तियां विद्युत के द्वारा संचालित होती है । शरीर शास्त्र के अनुसार हर कोशिका के पास अपना विद्युत - गृह (power house) है ।
विद्युत उत्पादन की क्रिया तैजस शरीर के द्वारा होती है । वैज्ञानिक विकास का आधार विद्युत है, वैसे ही प्राण शक्ति के विकास का मूल आधार तेजस शरीर है । वह हमारे स्थूल शरीर में अवस्थित है । उसी के द्वारा शरीर की क्रिया संचालित होती है ।

30 मार्च 2000

प्रसारक - *प्रेक्षा फाउंडेशन*

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी

📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 17📝

*आचार-बोध*

गतांक से आगे...

*11. उत्पादन-दोष*

*उत्पादन के सोलह प्रकार के दोष--*

*1. धात्री--* धाय की तरह बालक को खिलाकर भिक्षा लेना।
*2. दूती--* दूती की तरह संवाद बताकर भिक्षा लेना।
*3. निमित्त--* भावी शुभ-अशुभ बताकर भिक्षा लेना।
*4. आजीव--* अपनी जाति, कुल आदि का परिचय देकर भिक्षा लेना।
*5. चिकित्सा--* वैद्य की तरह चिकित्सा कर भिक्षा लेना।
*6. वनीपक--* भिखारी की तरह दीनता दिखाकर भिक्षा लेना।
*7. क्रोध--* क्रोध का प्रदर्शन कर भिक्षा लेना।
*8. मान--* मान का प्रदर्शन कर भिक्षा लेना।
*9. माया--* माया का प्रदर्शन कर भिक्षा लेना।
*10. लोभ--* लोभ का प्रदर्शन कर भिक्षा लेना।
*11. संस्तव--* दाता की प्रशंसा कर भिक्षा लेना।
*12. विद्या--* विद्या (देवी अधिष्ठित) का प्रयोग कर भिक्षा लेना।
*13. योग--* आकाशगमन आदि के साधक द्रव्यों के मिश्रण का प्रयोग कर भिक्षा लेना।
*14. मंत्र--* मंत्र (देव अधिष्ठित) का प्रयोग कर भिक्षा लेना।
*15. चूर्ण--* अंजन, इष्टका चूर्ण आदि का प्रयोग कर भिक्षा लेना।
*16. गर्भपात--* गर्भपात आदि के उपाय बताकर भिक्षा लेना।

*एषणा-दोष* के बारे में विस्तार से जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 17* 📝

*आगम युग के आचार्य*

*श्रमण-सहस्रांशु आचार्य सुधर्मा*

*आगम-रचना*

गतांक से आगे...

*उवासगदसाओ (उपासकदशा)*

यह सातवां अङ्गागम है। इसके दस अध्ययन हैं। इसमें भगवान महावीर के बारह व्रतधारी दस उपासकों के मुख्यतः साधनामय जीवन का वर्णन है। प्रथम अध्ययन में श्रावक के बारह व्रतों का विस्तार से विवेचन है। इस आधार पर श्रावक आचार संहिता को सुगमता से समझा जा सकता है। श्रावक प्रतिमा साधना का विशद विश्लेषण इसमें है।

यह आनंद आदि दस उपासकों की अगाध धर्मनिष्ठा एवं हृदय को कंपा देने वाली कष्टकर स्थिति में भी उनकी अटल नियमानुवर्तिता को प्रकट करता है।

श्रावक आचार संहिता को प्रमुख रुप से प्रस्तुत करने वाला यह आगम अङ्गागमों में अपना मौलिक स्थान रखता है।

*अंतगडदसाओ (अन्तकृद्दशा)*

यह आठवां अङ्गागम है। इसके दस अध्ययन हैं। जन्म-मरण की परंपरा का अंत करने वाले दस महापुरुषों का वर्णन होने के कारण इस ग्रंथ का नाम अन्तकृद्दशा है। नंदीसूत्र में इसके आठ वर्ग बताए गए हैं। अध्ययनों की संख्या नहीं है। समवायांग सूत्र में इसके 10 अध्ययन और 7 वर्ग बताएं हैं ।चूर्णिकार ने दसा का अर्थ अवस्था किया है।

हरिभद्र के अभिमत से इस आगम के प्रथम वर्ग के दस अध्ययनों के आधार पर ग्रंथ का नाम अन्तकृद्दशा है।

इस आगम ग्रंथ के वर्णनानुसार भगवान् महावीर के संघ में राजकुमार गजसुकुमाल, मालाकार अर्जुन, बाल-मुनि अतिमुक्तक, श्रेष्ठीपुत्र सुदर्शन आदि सभी जाति एवं वर्ग के लोगों के लिए अध्यात्म साधना का द्वार समान भाव से खुला था।

*अणुत्तरोववाइयदसाओ (अनुत्तरौपतिकदशा)*

यह नौवां आगम है। अनुत्तर विमान में उत्पन्न होने वाले साधकों का इसमें वर्णन होने के कारण ग्रंथ का नाम अनुत्तरौपतिकदशा है। इस ग्रंथ के तीन वर्ग हैं।

समवायांग के अनुसार इसके दस अध्ययन और सात वर्ग हैं। इसमें राजकुमारों और श्रेष्ठी कुमारों की विभुता एवं उनकी तपस्याओं का विस्तृत वर्णन है। गजसुकुमाल की ध्यान-साधना एवं धन्यकुमार की तपःसाधना का वर्णन है। इस ग्रंथ से तपोयोग का बोध होता है।

*पण्हावागरणाइं (प्रश्नव्याकरण)*

यह दसवां अंग है। स्थानांग, नंदी, तत्त्वार्थवार्तिक, जय धवला आदि ग्रंथों में इस आगम का जो स्वरुप प्रतिपादित किया गया है वह आज उपलब्ध नहीं है। नंदी के अनुसार इस सूत्र में 108 प्रश्न, 108 अप्रश्न, 108 प्रश्नाप्रश्न तथा विविध विद्याओं और मंत्रों का उल्लेख था। वर्तमान में प्रश्नव्याकरणसूत्र पांच आश्रव और पांच संवर द्वारों में विभक्त है। यह स्वरूप नंदी में नहीं, नंदीचूर्णि में उपलब्ध है। अतः वर्तमान प्रश्न-व्याकरण संभवतः किसी स्थविर द्वारा नंदी आगम रचना के बाद और नंदीचूर्णि से पहले रचा गया है।

*विवायसुय (विपाक-सूत्र)*

यह ग्यारहवां अंग है। कर्मों के विपाक (फल परिणति) का वर्णन होने के कारण इस ग्रंथ का नाम विपाक है। इसके दो श्रुतस्कंध हैं और 20 अध्ययन हैं। श्रुतस्कंध के नाम हैं दुख विपाक, सुख विपाक। नाम के अनुसार ही इन विभागों में अपने विषय का वर्णन है। जैन कर्मसिद्धांत के प्रायोगिक रूप को समझने के लिए यह ग्रंथ विशेष पठनीय है।

*बारहवें आगम व आचार्य सुधर्मा को सर्वज्ञत्वश्री की उपलब्धि कब हुई और उनके जीवन के समय-संकेतों* के बारे में विस्तार से जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*श्रावक सन्देशिका*

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 42 - *स्टैचूआदि*

*वंदन-अभिवादन व्यवहार* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....

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30 मार्च का संकल्प

तिथि:- चैत्र शुक्ला तृतीया

मनुष्य जीवन है दुर्लभ विस्मृत न हो जाए यह चिंतन।
कदम बढ़े उसी दिशा में जहाँ बन सकें हम अकिंचन ।।

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Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Preksha
  2. अमृतवाणी
  3. आचार्य
  4. आचार्य श्री महाप्रज्ञ
  5. ज्ञान
  6. दर्शन
  7. दस
  8. बिहार
  9. भाव
  10. महावीर
  11. सम्यक्त्व
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