14.04.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 14.04.2017
Updated: 15.04.2017

Update

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दिनांक 14- 04- 2017 के विहार और पूज्य प्रवर के प्रवचन का विडियो
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

👉 चेन्नई - ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों द्वारा कार्यक्रम

प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*

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*नवीन घोषणा*

👉 आचार्य श्री महाश्रमणजी के निर्देशानुसार *शासन स्तम्भ मुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी* का संवत 2074 का चातुर्मास अणुविभा केंद्र, मालवीय नगर, जयपुर में होगा।

👉 पूज्यप्रवर ने महती कृपा कर *शासन श्री साध्वी चाँदकुमारी जी* (लाडनूं) का विक्रम संवत 2074 का चतुर्मास अमरनगर, जोधपुर में फरमाया है।

प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*

Update

15 अप्रैल का संकल्प

*तिथि:- वैशाख कृष्णा चतुर्थी*

जीवनशैली का हिस्सा हो जब ध्यान-योग ।
दूर रहते सब शारीरिक व मानसिक रोग ।।


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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का वीडियो:

👉 *विषय - स्वभाव परिवर्तन भाग 2*

👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*

*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

प्रसारक: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

*पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 पार्वती गांव से लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे बरैयाबीघा, कुसुम्भा
👉 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने बताई गुरु की गुरुता
👉 *अनुशासनबद्धता राष्ट्र और समाज के लिए आवश्यक: आचार्यश्री महाश्रमण*
👉 आचार्यश्री के आह्वान पर ग्रामीणों ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प

दिनांक - 14-04-2017

प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*

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News in Hindi

👉 *पूज्य प्रवर का प्रवास स्थल - कुसुभां में*
👉 *गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..*
👉 *आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..*

दिनांक - 14/04/2017

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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी

📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 30📝

*संस्कार-बोध*

*संस्कारों का महत्त्व*

(दोहा)

*1.*
मुनि जीवन का सार है, उज्ज्वलतम आचार।
निरतिचार आचार का, दर्पण है व्यवहार।।

*2.*
सहज सुघड़ व्यवहार हो, और उदार विचार।
आवश्यक इसके लिए, जागे शुभ संस्कार।।

*3.*
जीवन में संस्कार का, सबसे ऊंचा स्थान।
करता संस्कारी श्रमण, अपना अनुसंधान।।

*4.*
संस्कारों का जागरण, होता जहां प्रकाम।
खुलते रहते हैं वहां, नए-नए आयाम।।

*5.*
कुछ आते हैं साथ ले, नैसर्गिक संस्कार।
कुछ पाते हैं अधिगमज, क्षमता के अनुसार।।

*6.*
मुद्गशैल-पाषाण ज्यों, होते जो जन रूढ़।
संस्कारी बनते नहीं, बने-बनाए मूढ़।।

*7.*
संस्कारी सुविनीत का,
बढ़ता यश अविवाद।
भारिमाल मघ को मिला,
गुरू-मुख कृपा प्रसाद।।

*8.*
कलयुग में भी सतयुगी, कहलाए विख्यात।
शुभ सेवा संस्कार से, सन्त खेतसी ख्यात।।

*9.*
प्राणार्पण से भी मिले, तो लें शुभ संस्कार।
इससे बढ़कर है नहीं, जीवन का आधार।।

*10.*
संस्कारों की सम्पदा, है उत्कृष्ट अमूल्य।
धन-वैभव संसार का रखता है क्या मूल्य।।

*शिष्य-सम्बोध* के बारे में जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 30* 📝

*आगम युग के आचार्य*

*परिव्राट्-पुंगव आचार्य प्रभव*

प्रभव का दल प्रभूत धन-संपदा को हस्तगत करने के लिए निशा के समय श्रेष्ठी ऋषभदत्त के गृह में प्रविष्ट हुआ। अवस्वापिनी विद्या के द्वारा सबको नींद की गोद में सुलाकर तालोद्घाटिनी ने विद्या का प्रयोग किया। ताले टूट गए। मधु-बिंदु पर जैसे मधुमक्खियां भिनभिनाती हैं उसी प्रकार गिरोह के सदस्य धन की पेटियों पर टूट पड़े। वे सभी अत्यंत त्वरता से पेटियों में छिपे हीरे, पन्ने, माणक, मुक्ता आदि बिखरे वैभव को बटोरने लगे।

जम्बू ने अपने उच्च प्रासाद से चोरों द्वारा अपनी संपत्ति का अपहरण होते हुए देखकर भी वह न कुपित हुआ न क्षुब्ध। स्तेनदल के कई सदस्यों ने निंद्राधीन अतिथिजनों के पहने हुए आभूषणों को शरीर पर से उतारने का प्रयास किया। "दस्युजनों! विवाहोपलक्ष में आए हुए मेरे मित्रों के अलंकारों पर हाथ मत लगाओ।" मैं निशाप्रहरी की भांति खुली आंखों से तुम्हें देख रहा हूं।" अज्ञात दिशा से आती हुई ये शब्द तरंगें स्तेनदल के कानों से टकराईं। तरंगों की टकराहट के साथ ही एक विचित्र घटना घटित हुई।

दस्युदल का नेता प्रभव इस अभियान का संचालन करता हुआ घूम रहा था। स्तेनदल ने अत्यंत त्वरा से अपना काम किया। धन की गांठें बांधीं। गांठों को उठाने में तत्पर उनके हाथ गांठों पर और पैर धरती पर चिपक गए। सब भित्तिचित्र की तरह स्तंभित हो गए। प्रभव दूर खड़ा अपने साथियों को चलने का आदेश दे रहा था पर वे सब प्रस्तर मूर्ति की तरह अविचल खड़े थे। अपनी शारीरिक शक्ति का पूरा उपयोग करने पर भी किसी का पैर इंच मात्र भी नहीं हिला। वे उर्ध्वकर्ण होकर अज्ञात दिशा से आती हुई शब्द तरंगों को सुन रहे थे तथा भयाक्रांत नयनों से नेता की ओर देख रहे थे।

पवन की लहरों पर आरूढ़ शब्द-तरंगे प्रभव के कानों में पहुंची। प्रभव कुशाग्र बुद्धि का स्वामी था। उसे स्थिति को समझने में देर नहीं लगी। मेरे संकेत पर बलिदान होने वाला मेरा दल आज्ञा की अवहेलना नहीं कर सकता। यहां अवश्य ही दूसरा रहस्य है। मेरे कानों से टकराने वाली शब्द-तरंगों का प्रयोक्ता इसी भवन में कहीं है। वह मेरे से अधिक शक्तिशाली है। मेरी अवस्वापिनी विद्या उसके सामने असफल हो गई है। उसी ने अवश्य मेरे स्तेनदल पर स्तंभिनी विद्या का प्रयोग किया है। प्रभव की दृष्टि क्षण-भर में चारों ओर घूम गई। उसने ऊपर की ओर देखा। ऋषभदत्त के सबसे उपरितन प्रसाद में दीपमालाएं जल रहीं थीं। उसी प्रसाद के जालीदार गवाक्ष से छनकर आती हुई प्रकाश-किरणें प्रभव को जम्बू के शयनकक्ष तक खींचकर ले गईं। उसने द्वार के छिद्रों में से चुगलखोर की तरह चुपके से भीतर की ओर झांका।

*प्रभव ने कक्ष के भीतर क्या देखा...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*

अनुक्रम - *भीतर की ओर*

*दर्शन केन्द्र --[ 1 ]*

इसका स्थान दोनों भौहों तथा दोनों आखों के मध्य का भाग है । हठयोग में इसे आज्ञाचक्र कहते हैं । यह अन्तश्चक्षु के जागरण का मर्मस्थान है । इसकी साधना से प्रज्ञा और तीसरे नेत्र का जागरण होता है । योग साधना में इसका स्थान सर्वोपरि है । यह पीयूष ग्रन्थि
(pituitary Gland) का स्थान है जो मास्टर ग्लैण्ड (master Gland) के रुप में जानी जाती है । संभवतः दर्शन केन्द्र का निम्नवर्ती सभी केंद्रों पर नियंत्रण है ।

14 अप्रैल 2000

प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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*श्रावक सन्देशिका*

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 55 - *समायोजन*

*पर्युषण* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....

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👉 *पूज्य प्रवर का आज का लगभग 12 किमी का विहार..*
👉 *आज का प्रवास - कुसुभां*
👉 *आज के विहार के दृश्य..*

दिनांक - 14/04/2017

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Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Pituitary Gland
  2. Preksha
  3. अमृतवाणी
  4. आचार्य
  5. दर्शन
  6. श्रमण
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