18.04.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 18.04.2017
Updated: 18.04.2017

Update

19 अप्रैल का संकल्प

*तिथि:- वैशाख कृष्णा अष्टमी*

नमस्कार महामंत्र मंगलकारी ।
सर्व दोष - बाधा - विघ्न हारी ।।

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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी

📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 32📝

*संस्कार-बोध*

*संस्कारों का महत्त्व बतलाते दोनों में प्रयुक्त कुछ उदाहरणों का विस्तृत विवेचन*

गतांक से आगे...

(ख) जयाचार्य की मुनि मघवा पर विशेष कृपा थी। उनके पास कोई भी विद्वान आता तो वे कहते-- 'हमारे यहां पंडित मघजी हैं।' जयाचार्य ने उनके पांडित्य का पूरा मूल्यांकन किया पर उन्होंने तो यह उपाधि अप्रत्याशित रूप में बहुत पहले ही प्राप्त कर ली थी। वे मुनि अवस्था से ही पंडित कहलाने लगे थे। इसके पीछे एक घटना इस प्रकार घटित हुई--

घटना विक्रम संवत 1913 की है। शेषकाल का समय था। जयाचार्य मारवाड़ से विहार करते हुए जैतारण गांव पधारे रहे थे। कुछ साधु उनसे आगे चल रहे थे। वे गांव के बाहर तक पहुंचकर रुक गए। एक साधु ने शेष साधुओं को लक्ष्य करके एक पहेली पूछी--

*आगै जैतारण लारै जैतारण,*
*बिच में चालां आपां।*
*इण पाली रो अर्थ बतावै,*
*तिण नै पंडित थापां।।*

साधु इस पहेली पर विचार करने लगे। सबसे पहले मुनि मघवा बोले-- 'हम जिस स्थान पर ठहरे हैं, वहां से आगे जैतारण गांव है। हमारे पीछे जनता को तारने वाले जयाचार्य-जै तारण हैं। हम उन दोनों के बीच में हैं।' शर्त के अनुसार उसी दिन से साधु उन्हें 'पंडित' कहकर संबोधित करने लगे।

जयाचार्य यह भी कहते थे कि मघजी पुण्यवान हैं। उनके कथन का अभिप्राय यह था-- संघ में संघर्ष की परिस्थितियां और साधुओं के संघ से अलग होने के विशेष प्रसंग मेरे सामने आ गए। अब मघजी का मार्ग प्रशस्त है।यदि वैसे प्रसंग बाद में उपस्थित होते तो लोग कहते कि जीतमलजी सक्षम थे। उन्होंने सब परिस्थितियों को पार कर दिया। मघजी इन का मुकाबला कैसे करेंगे? मेरा विश्वास है कि अब मघजी के सामने ऐसी उलझन आएगी ही नहीं।

*कलयुग में भी सतयुगी* इस पंक्ति का अर्थ जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 32* 📝

*आगम युग के आचार्य*

*परिव्राट्-पुंगव आचार्य प्रभव*

गतांक से आगे...

चोर सम्राट की बात को ध्यान से सुनकर जम्बू ने मंद स्वर में उसे उद्बोधन दिया "प्रभव विषय-भोगों से उत्पन्न सुख अपाय-बहुल है। सर्षपकण तुल्य स्वल्प भोग भी विश्व के समान प्रचुर दुःख के दाता होते हैं। महर्षियों की दृष्टि में विषय-सुख मधु-बिंदु के समान क्षणिक आनंददाई होते हैं। जैसे धन-संग्रह का इच्छुक व्यक्ति घोर विपिन में मदोन्मत्त हाथी के द्वारा पीछा करने पर त्राण पाने का कोई अन्य उपाय नहीं देखकर वृक्ष की शाखा का आलंबन लिए गंभीर कूप में लटक रहा है। उसके पदतल के नीचे कूप में विकराल काल की भ्रुचाप के समान चार कृष्णकाय सर्प फुफकार कर रहे हैं। उनके मध्य में विशालकाय अजगर मुंह फैलाए खड़ा है। मत्त मंतगज वृक्ष के प्रकाण्ड को प्रकम्पित कर रहा है। आलंबनभूत शाखा को सफेद और काले दो चूहे काट रहे हैं। वृक्ष के सबसे ऊपर की शाखा पर मधुमक्खियों का छत्ता है। मधुमक्खियां देह को काट रही हैं। छत्ते से बूंद-बूंद मधु उसके मुंह में टपक रहा है। उसे सर पर मौत नाचती हुई दिखाई दे रही है। भाग्य में एक विद्याधर का विमान ऊपर से निकलता है। शाखा से लटकते दुःखार्त व्यक्ति को देखकर करुणार्द्रहृदय विद्याधर आह्वान करता है "आओ मानव! मैं तुम्हें नंदनवन की भांति आनंदमय स्थान पर ले चलता हूं।" पुनः-पुनः विद्याधर द्वारा बुलाने पर भी मधु-बिंदु में आसक्त बना वह मानव चलने को तैयार नहीं होता। एक बिंदु और... एक बिंदु और... की प्रतीक्षा में वह प्राणों से हाथ धो लेता है।"

रूपक को जीवन पर घटित करते हुए जम्बू ने कहा "हे प्रभव! संसार अटवी है। विषयोन्मुख प्राणी रसलुब्ध मानव के समान है। कूप मानव-जन्म तथा चार नागराज चतुष्क कषाय हैं। अजगर की भांति नरकादि गतियों के द्वार खुले हुए हैं। आयुष्य की शाखा पर मनुष्य लटक रहा है। चूहों के रुप में शुक्लपक्ष एवं कृष्णपक्ष हैं, जो आयुष्य की शाखा को काट रहे हैं। मधुमक्षिका की भांति व्याधियां आक्रांत कर रही हैं। इंद्रियजन्य सुख मधुबिंदु के समान क्षणिक आस्वाद देने वाले हैं। विद्याधर के समान संत बोध प्रदान कर रहे हैं। उनकी वाणी से विवेक प्राप्त सुधिजन लक्ष्मी और ललना-लावण्य में लुब्ध होकर संयममय सुरक्षित स्थान की क्षण भर के लिए भी उपेक्षा नहीं करते।

*जम्बू ने प्रभव को और किस तरह से समझाया-उद्बोधित किया...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*श्रावक सन्देशिका*

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 57 - *चारित्रात्माओं के प्रवेश व जुलूस*

*चारित्रात्माओं के प्रवेश व जुलूस* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....

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👉 चेन्नई - ज्ञानशाला निरीक्षण का कार्यक्रम
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👉 कपासन - तालमेल दंपति कार्यशाला आयोजित
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