20.04.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 20.04.2017
Updated: 21.04.2017

Update

21 अप्रैल का संकल्प

*तिथि:- वैशाख कृष्णा एकादशी*

अरहंत-सिद्ध-आचार्य-उपाध्याय-शुद्ध साधु हैं तरण तारण।
नहीं रहता शेष कुछ भी पाना जो करता इनको मन में धारण।।



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News in Hindi

👉 *पूज्य प्रवर का आज का लगभग 12.5 किमी का विहार..*
👉 *आज का प्रवास - बंशीपुर*
👉 *आज के विहार के दृश्य..*

दिनांक - 20/04/2017

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*श्रावक सन्देशिका*

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 59 - *चारित्रात्माओं के प्रवेश व जुलूस*

*पुरस्कार, अलंकरण* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....

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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी

📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 34📝

*संस्कार-बोध*

*शिष्य-सम्बोध*

*11.*
सहनशीलता विमलता, मृदुता वर वैराग्य।
मुनि जीवन में है यही, सर्वोपरि सौभाग्य।।

*12.*
है रुपया निन्यानवे, विमल विनय आचार।
शेष एक रुपया रहा, विद्या कला प्रचार।।

*13.*
'जाए सद्धाए' रखा, प्रगति - पन्थ पर पांव।
उसे निभाना अन्त तक, भले धूप हो छांव।।

*14.*
'इमरत वेला' में सदा, गुरु को करें प्रणाम।
ध्यान जाप स्वाध्याय सब, हो तदनन्तर काम।।

*15.*
विधिवत् उच्चारण सहित, प्रतिक्रमण गुरु पास।
सधे स्वयं भावक्रिया, हो ऐसा अभ्यास।।

*16.*
लेखपत्र प्रतिदिन कहें, रहें शांत अभ्रांत।
करें निवेदन आर्य से, गत दिन का वृत्तान्त।।

*17.*
शौच गोचरी दुःस्वपन, प्रतिलेखन के बाद।
करना कायोत्सर्ग है, रखना होगा याद।।

*18.*
भोजन-वेला में रहे, जितना संभव मौन।
सरस अरस में उलझकर, दोष लगाए कौन।।

*19.*
रत्नाधिक सम्मान में, करे न अंश प्रमाद।
विधियुत सांय वंदना, रखें हमेशा याद।।

*शिष्य-सम्बोध...* हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 34* 📝

*आगम युग के आचार्य*

*परिव्राट्-पुंगव आचार्य प्रभव*

गतांक से आगे...

प्रभव ने जम्बू के चरणों में गिरकर अपराध हेतु क्षमा मांगी और अपने साथियों को मुक्त करने के लिए आग्रह भरा निवेदन किया।

जम्बू ने कहा "मैंने तुम्हारे किसी भी साथी को नहीं बांधा है, न किसी पर विद्या एवं तंत्र-मंत्र का प्रयोग किया है।" स्तेनाआधिपति प्रभव अंतःतृप्तिदायिनी जम्बू की वाणी को सुनकर प्रभव निरुत्तर हो गया। वास्तविक स्थिति को जानने के लिए वह अपने दल के पास पहुंचा, उसने देखा, कोई भी साथी बंधा हुआ नहीं है। किसी का पैर धरती पर चिपका हुआ नहीं है। प्रभव आश्चर्य के महासागर में डूब गया। चिंतन की धारा आगे बढ़ी, मन में प्रश्न उभरा मेरे साथियों के हाथ-पैर पहले क्यों स्तंभित हो गए थे? उसका वैज्ञानिक समाधान उसे मिल गया। जिसको वह स्वयं और उसके साथी देवमाया का प्रयोग तथा स्तंभिनी विद्या का प्रभाव मांन रहे थे वह और कुछ नहीं, जम्बू की पावन अध्यात्मधारा की त्वरितगामी तरंगों का प्रभाव था। अणुशक्ति के प्रयोग से आंदोलित वातावरण की भांति जम्बू की सद्यःगामी एवं दूरगामी सबल ज्ञानधारा के स्पर्श से स्तेनदल के अंतर्मन में एक विचित्र क्रांति हुई। प्रभव को अपने साथियों के हाथ-पैरों का जो स्तंभन दिखाई दिया, यथार्थ में वह स्तंभन नहीं था। अध्यात्म-तरंगों से प्रभावित चोरों का मन यह चौर्य कर्म करने से पूर्णतः विमुख हो गया।

प्रभव संयम मार्ग पर बढ़ने को तत्पर हुआ। अपने अधिपति के इस निर्णय को सुनकर समग्र स्तेनदल में एक दूसरी क्रांति हो गई। दीप से दीप जले। पाप भस्म हो गया। समस्त साथियों ने नेता का अनुगमन किया। प्रभव ने अपने पूरे दल सहित वी. नि. 1 में सुधर्मा के पास दीक्षा ग्रहण की।

परिशिष्ट पर्व के अनुसार प्रभव की दीक्षा आचार्य जम्बू की दीक्षा के एक दिन बाद हुई। इस आधार पर दीक्षा ज्येष्ठ आचार्य जम्बू थे एवं अवस्था ज्येष्ठ प्रभव थे। दीक्षाग्रहण के समय जम्बू की अवस्था 16 अथवा 18 वर्ष एवं प्रभव की अवस्था 30 वर्ष की थी।

आचार्य जम्बू के बाद वी. नि. 64 (वि. पू. 406, ई. पू. 463) में प्रभव ने आचार्य पद का दायित्व संभाला। भगवान् महावीर की परंपरा में प्रभव का क्रम तृतीय है।

श्रुतधर प्रभव को महावीर-संघ का उत्तराधिकार अवश्य मिला, पर सर्वज्ञत्व की संपदा उन्हें प्राप्त नहीं हो सकी।

*समकालीन राजवंश, प्रथम श्रुतकेवली, समय संकेत आदि* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*

अनुक्रम - *भीतर की ओर*

*शरीर का सौरमण्डल*

आध्यात्म ज्योतिष्क में चक्रों अथवा चैतन्य केन्द्रों के साथ सौरमण्डल की योजना की गई है ।इससे ग्रन्थियों के साथ सौरमंडल के संबंध को भी जाना जा सकता है । सौरमण्डल की योजना -------
चैतन्य केन्द्र ---- ग्रह
शक्ति केन्द्र --- बुध, राहु, केतु
स्वास्थ्य केन्द्र --- शुक्र
तैजस केन्द्र ---- रवि
आनन्द केन्द्र ----- मंगल
विशुद्धि केन्द्र ---- चन्द्र
दर्शन केन्द्र ---- गुरु
ज्ञान केन्द्र ---- शानि

20 अप्रैल 2000

प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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*पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 लखीसराय जिला मुख्यालय से लगभग नौ किलोमीटर का हुआ विहार
👉 अलीनगर स्थित जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हुआ आचार्यश्री का प्रवास
👉 आचार्यश्री ने ग्रामीणों को जीवन सफल बनाने का दिया मंत्र
👉 ग्रामीणों ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प
👉 सरपंच, ग्राम पंचायत सक्रेट्री व विद्यालय के शिक्षक ने आचार्यश्री के स्वागत में दी भावाभिव्यक्ति

दिनांक 19-04-2017

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