Update
👉 *पूज्य प्रवर का आज का लगभग 12.4 किमी का विहार..*
👉 *आज का प्रवास - कल्याणपुर*
👉 *आज के विहार के दृश्य..*
दिनांक - 24/04/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
*प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
*पूज्य प्रवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 नौवागढ़ी से लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे कल्याणपुर गांव
👉 गांव स्थित मध्य विद्यालय में हुआ प्रवास, दर्शन को पहुंचे ग्रामीण
👉 आचार्यश्री ने उपस्थित ग्रामीणों को सुगति की ओर कदम बढ़ाने के लिए किया उत्प्रेरित
👉 गांव के मुखिया और सरपंच ने आचार्यश्री के स्वागत में दी भावाभिव्यक्ति
दिनांक - 24-04-17
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*पूज्य प्रवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर अहिंसा यात्रा पहुंची नौवागढ़ी
👉 आदर्श मध्य विद्यालय में प्रवास तो देवी दुर्गा पूजा स्थली परिसर में हुआ मंगल प्रवचन
👉 आचार्यश्री से प्रेरित ग्रामीणों और बच्चों ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प
दिनांक - 23-04-17
धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 विजयनगरम (आंँ.प्र.) - आचार्य श्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस के उपलक्ष में पच्चीस बोल प्रतियोगिता
👉 छापर: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा "टेक्नोलॉजी का ज्ञान बनाएगा सशक्त पहचान" विषयक कार्यशाला का आयोजन
👉 जयपुर - आचार्य श्री महाप्रज्ञ अष्टम महाप्रयाण दिवस
👉 हिसार - आचार्य श्री महाप्रज्ञ अष्टम महाप्रयाण दिवस समारोह
👉 हैदराबाद:- जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉दिल्ली - राज्यसभा दिवस पर राज्यसभा में हुई अणुव्रत की गुंज
👉 कटक - आचार्य महाप्रज्ञ जी के अष्टम महाप्रयाण दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
👉 भीलवाड़ा - श्रीउत्सव का आयोजन
👉 जींद - आचार्य श्री महाप्रज्ञ अष्टम महाप्रयाण दिवस
👉 दिल्ली - नगर निगम के चुनाव में चुनाव शुद्धि संगोष्ठी
👉 वापी - आचार्य श्री महाप्रज्ञ अष्टम महाप्रयाण दिवस
👉 केसिंगा (ओड़िशा) -ATDC का शुभारंभ समारोह
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*
अनुक्रम - *भीतर की ओर*
*ग्रन्थियों के स्राव का संतुलन*
आसन, रंग ध्यान, प्रेक्षा और स्वतः सूचना इनके द्वारा ग्रन्थि - स्राव को संतुलित किया जाता है ।
इडा, पिंगला नाडियों में प्राण प्रवाह संतुलित कर अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के स्रावी और मस्तिष्क के रासायनिक स्राव नियन्त्रित किए जा सकते हैं ।
शशांकासन का आधा घंटा या एक घंटा तक अभ्यास करने से एड्रीनल ग्रन्थि पर नियन्त्रण होता है ।
सुप्तवज्रासन से स्वास्थ्य केन्द्र और भुजंगासन से तैजस केन्द्र पर नियन्त्रण होता है ।
सर्वाड्गासन से विशुद्धि केन्द्र जागृत होता है ।
24 अप्रैल 2000
प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 37📝
*संस्कार-बोध*
*शिष्य-सम्बोध*
*शिष्य के संस्कारों का महत्त्व बतलाते दोहों में प्रयुक्त कुछ उदाहरणों का विस्तृत विवेचन*
*4. है रुपया निन्यानवे*
प्राचीनकाल में चांदी के रुपये होते थे। उन्हें कलदार कहा जाता था। रुपये डालने के लिए कपड़े की संकरी-सी थैली बनाई जाती। उसमें पूरे सौ रुपए समाते थे। उसे लोग अपनी कमर पर बांधकर रखते थे। सौ रुपयों की क्षमता वाली नौली में निन्यानवे रूपये हों और उसमें मात्र एक रुपये की कमी रहे तो वह नौली खाली नहीं कहलाती। नौली में केवल एक ही रुपया हो तो उसका होना न होना बराबर है। वह नौली खाली मानी जाती है।
तेरापंथ धर्मसंघ में साधु के जीवन को नौली के प्रतीक से समझाते हुए कहा गया है-- आचार और विनय निन्यानवे रूपये हैं तथा विद्या, कला, वक्तृत्व, लेखन आदि एक रुपया है। विद्या, कला आदि अनावश्यक नहीं हैं। किंतु इनकी कीमत एक रुपये से अधिक नहीं है। मूल तत्त्व आचार और विनय है। इनके साथ ही विद्या, कला आदि की शोभा है।
*तेरापंथ धर्मसंघ का वह लेखपत्र जिसका साधु-साध्वियां प्रतिदिन प्रातःकाल उच्चारण करते हैं।* के बारे में जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 37* 📝
*आगम युग के आचार्य*
*श्रुत-शार्दुल आचार्य शय्यंभव*
गतांक से आगे...
प्रभव सक्षम आचार्य थे। वे चर्चा से शय्यंभव को जैन धर्म के प्रति प्रभावित कर सकते थे पर उन्हें आचार्य प्रभव के पास लाने का कार्य सरल नहीं था। धर्म-संघ के हित की भावना से प्रेरित होकर युगल श्रमण इस कार्य के लिए प्रस्तुत हुए। वे आचार्य प्रभव के आदेशानुसार विद्वान् शय्यंभव के यज्ञ में गए, उन्होंने द्वार पर खड़े होकर धर्म लाभ कहा। वहां श्रमणों का घोर अपमान हुआ और उन्हें बाहर निकालने का उपक्रम चला। श्रमण बोले *"अहो कष्टमहो कष्टं तत्त्वं विज्ञायते न हि"* अहो! खेद की बात है, तत्त्व नहीं समझा जा रहा है।
तत्त्व को नहीं जानने की बात महाभिमानी उद्भट्ट विद्वान् शय्यंभव के मस्तिष्क में टकराई। सोचा, ये तपस्वी मुनि झूठ नहीं बोलते। हाथ में तलवार लेकर वे अध्यापक के पास गए और तत्त्व का स्वरूप पूछा। अध्यापक ने कहा "स्वर्ग और अपवर्ग को प्रदान करने वाले वेद ही परम तत्त्व हैं।" शय्यंभव बोले "वीतराग, परम कारुणिक निष्परिग्रही, उपशांत महर्षि अवितथ भाषण नहीं करते, अतः यथावस्थित तत्त्व का प्रतिपादन करो अन्यथा इस तलवार से शिरच्छेद कर दूंगा।" लपलपाती तलवार को देखकर अध्यापक कांप उठा और कहने लगा। *"अर्हद् धर्म ही यथार्थ तत्त्व है।"*
विद्वान शय्यंभव महाभिमानी होते हुए भी जिज्ञासु थे। वे यज्ञ सामग्री अध्यापक को संभालाकर श्रमणों की खोज में निकले और एक दिन आचार्य प्रभव के पास पहुंच गए। प्रभव ने उन्हें यज्ञ का यथार्थ स्वरुप समझाया। अध्यात्म की विशद भूमिका पर जीवन-दर्शन का चित्र प्रस्तुत किया। आचार्य प्रभव की पीयूषस्रावी वाणी से बोध प्राप्त कर शय्यंभव वी. नि. 64 (वि. पू. 406) में श्रमण संघ में प्रविष्ट हुए। मुनि जीवन ग्रहण के समय उनकी उम्र 28 वर्ष की थी।
वे वैदिक दर्शन के धुरंधर विद्वान् थे। आचार्य प्रभव के पास उन्होंने 14 पूर्वों का ज्ञान प्राप्त किया और श्रुतधर की परंपरा में वे द्वितीय श्रुतकेवली बने।
श्रुतसंपन्न शय्यंभव को आचार्य प्रभव ने वी. नि. 75 (वि. पू. 395) में आचार्य पद से अलंकृत किया।
ब्राह्मण विद्वान् का श्रमण संघ में प्रविष्ट होना उस युग की एक विशेष घटना थी। शय्यंभव जब दीक्षित हुए तब उनकी नवयुवती पत्नी गर्भवती थी। ब्राह्मणों में चर्चा प्रारंभ हुई।
*ब्राह्मणों में आचार्य शय्यंभव के बारे में क्या चर्चा प्रारंभ हुई...?* पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*श्रावक सन्देशिका*
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 62 - *प्रयाण*
*समाधिस्थल व स्मारक* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....
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News in Hindi
👉 गाँधीनगर - महाप्रयाण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
👉 बैंगलोर - महाप्रयाण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
👉 पचपदरा - बेटी बचाओ, कन्या भ्रुण हत्या व बाल विवाह
पर कार्यक्रम का आयोजन
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